Just In
- 8 hrs ago Blackheads Removal Tips: नहीं निकल रहे हैं ठुड्डी पर धंसे हुए ब्लैकहेड्स? 5 मिनट में ये नुस्खें करेंगे काम
- 9 hrs ago आम पन्ना से 10 गुना ज्यादा ठंडक देता है इमली का अमलाना, लू से बचने का है देसी फार्मूला
- 10 hrs ago रूबीना दिलैक ने शेयर किया स्तनपान से जुड़ा दर्दनाक एक्सपीरियंस, नई मांए ने करें ये गलती
- 11 hrs ago Gajalakshmi Yog April 2024: 12 वर्षों के बाद मेष राशि में बनेगा गजलक्ष्मी राजयोग, इन 3 राशियों पर बरसेगा पैसा
Don't Miss
- News संविधान बदलने, सेक्युलर शब्द को हटाने पर अमित शाह ने कही बड़ी बात, बोले- देश पर्सनल लॉ से नहीं चलेगा
- Education UP Board 12th Result 2024: यूपी बोर्ड 12वीं रिजल्ट 2024 कल 2 बजे आयेगा, यहां देखें UPMSP Result डाउनलोड लिंक
- Movies OOPS: बेटे अरहान से गंदी बातें करने के बाद अब इस हाल में दिखी मलाइका, बार-बार ठीक करती रही लटकती फिसलती ड्रेस
- Technology Vivo के इस 5G फोन की कल होने जा रही एंट्री, लॉन्च से पहले कीमत से लेकर फीचर्स तक की डिटेल लीक
- Travel हनुमान जयंती : वो जगहें जहां मिलते हैं हनुमान जी के पैरों के निशान
- Finance Employee Count: देश की टॉप IT कंपनियों में कम हो गए 63,759 कर्मचारी, जानें किस कंपनी में कितने लोग हुए कम
- Automobiles 3 करोड़ की कार में वोट डालने पहुंचे साउथ सिनेमा के दिग्गज स्टार Dhanush, फैंस ने किया स्वागत
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
क्यों नॉर्मल से ज्यादा होती है सीजेरियन डिलीवरी?
प्रेगनेंसी के दौरान जो सवाल सबसे ज्यादा एक गर्भवती के दिमाग में घूमता है वो होता है कि डिलीवरी नॉर्मल होगी या सीजेरियन। पूरे नौ महीने तक गर्भवती महिला के घर में इसी पर चर्चा होती है।
आजकल नॉर्मल से ज्यादा सी-सेक्शन डिलीवरी की संख्या में इजाफा होता जा रहा है। बहुत ही कम महिलाएं नॉर्मल डिलीवरी से स्वस्थ बच्चें को जन्म देती है, मेट्रो सिटीज में तो ज्यादातर सीजेरियन डिलीवरी ही की जाती है। धीरे धीरे कई कारणों के वजह से नॉर्मल की जगह महिलाएं सी-सेक्शन का सहारा लेनी लगी है।
स्तनपान के दौरान कैसे स्तनों के आकार को रखें संतुलित?
आखिर क्या वजह
आजकल महिलाएं प्रेगनेंट होते ही फीजिकल वर्क पर ज्यादा ध्यान नहीं देती है कामकाजी महिलाएं भी ज्यादात्तर लैपटॉप में बैठी रहती हैं, एक्सरसाइज कम होने क वजह से भी वजन बढ़ जाता है। सीजेरियन डिलीवरी की एक खास वजह महिलाओं की उम्र भी है। इन सभी के कारण उनकी बॉडी में फ्लैक्सिबिलिटी भी कम हो जाती है। महिलाएं के कम फिजिकल वर्क के वजह से भी बेबी का अग्र भाग ठीक रुप से डवलप नहीं हो पाता है जिस वजह से बच्चें की डिलीवरी आसानी से नहीं हो पाने के कारण भी सीजेरियन का सहारा लेना पड़ता है।
बिना कंडोम यूज किए भी आप प्रेगनेंट होने से बच सकती है, जानिए कैसे?
अन्य कारण
कुछ महिलाएं लेबर पेन सहन नहीं कर सकती है इसलिए वो सी-सेक्शन का सहारा लेती है। जबकि कुछ लोगों को एक खास डेट पर ही बच्चा चाहिए होता है। इन कारणों से भी सीजेरियन डिलीवरी बढ़ रही है।
क्या कहते हैं नेशनल फैमिली हेल्थ के सर्वे-
नेशनल फैमिली हेल्थ (NFHS-4) सर्वे के मुताबिक, सरकारी अस्पतालों में जहां 10% सीजेरियन डिलीवरी होती है, वहीं प्राइवेट हॉस्पिटल्स में 31.1% डिलीवरी सीजेरियन होती है। ऐसे में प्राइवेट अस्पतालों में तीन गुना ज्यादा सीजेरियन डिलीवरी होती है। आपके मन में सवाल उठेगा कि आखिर इसके पीछे क्या कारण हैं? तो आपको बता दें, NFHS-4 के अनुसार स्वास्थ्य सेवाओं में निजीकरण के बढ़ते दबदबे और अस्पतालों की ज्यादा मुनाफा कमाने की नीति भी इसके पीछे एक बड़ी वजह बनकर सामने आई है।
सर्वे में खुलासा
आंकड़ों में पाया गया कि जिन राज्यों में साक्षरता दर ज्यादा है वहां पर सीजेरियन के जरिए ज्यादा बच्चे पैदा किए जा रहे हैं।
डब्लूएचओ ने भी चौंकाया
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक, 2010 तक देश में सिर्फ 8.5 फीसदी सीजेरियन डिलीवरी हुई थीं। इसमें सरकारी और निजी अस्पताल शामिल हैं। जो 2015-16 में बढ़कर 17.2 फीसदी हो गया है, जबकि इसे 10 से 15 फीसदी के बीच ही होना चाहिए।
ऑपरेशन से हुए बच्चों को होती हैं ये बीमारियां-
कई स्टडी में भी ये बात साबित हो चुकी है कि नॉर्मल डिलीवरी से पैदा हुए बच्चे ज्यादा सेहतमंद होते हैं. सीजेरियन डिलीवरी से पैदा हुए बच्चों में मोटापे, एलर्जी और टाइप वन डायबिटीज होने का खतरा ज्यादा होता है.
गर्भाधारण से जुड़ी जानकारियां
विशेषज्ञों की मानें तो उम्र के साथ महिलाओं में गर्भाधारण को लेकर परेशानियां भी बढ़ती जाती हैं। जहां 19 से 25 साल तक की महिलाओं में प्रतिमाह 50 प्रतिशत तक प्रेगनेंसी के चांसेज रहते हैं, वहीं 30 साल की उम्र के बाद इसके चांसेज 30 प्रतिशत रह जाते हैं और गर्भपात की दर बढ़ती जाती है और 35 साल की महिलाओं के गर्भवती होने के चांसेज 20 साल की महिला के मुकाबले आधी हो जाती है।
तकरीबन 40 प्रतिशत जोड़ों को स्पर्म से जुड़ी समस्याओं की वजह से गर्भाधारण की समस्याएं झेलनी पड़ती हैं। ऐसे जोड़ों को इस बात का खास खयाल रखना चाहिए कि संभोग के दौरान शुक्राणु और अंडाणु के मिलने के लिए 24 घंटे तक का समय ही रखें, ताकि गर्भाधारण में किसी भी तरह की समस्या न आए। वैसी महिलाएं जिन्हें 21 से कम या 35 से ज्यादा दिनों के अंतर में पीरियड्स हो रहे हों, को जल्द से जल्द किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिलना चाहिए।
अंधविश्वास
तमाम बातों के बावजूद यह भी एक मिथक है कि बड़ी उम्र में महिलाओं को सिजेरियन होना लाजिमी है। पर सिजेरियन बेबी का एक अन्य मुख्य कारण पंडितों पर किए जाने वाला अंधविश्वास भी है। तेज दिमाग और बेहतर भविष्य वाले बच्चों की चाहत में पंडितों के दिशा निर्देश से उनके जन्म को लेकर सही समय तय कर लिया जाता है। तय समय पर नॉर्मल डिलीवरी न होने पर माता-पिता सिजेरियन करवाने तक के लिए जोर डालने लगते हैं। जबकि इसके लिए महत्वपूर्ण सलाह केवल चिकित्सकों से ही ली जानी चाहिए।
मोटापा व अन्य बीमारियां
नॉर्मल डिलीवरी न होने की एक अन्य वजह गर्भवती महिला के मोटापे का शिकार होना भी है। गर्भावस्था के दौरान या उससे पहले युवती का अधिक मोटा होना बच्चों के जन्म के समय परेशानी का कारण बन जाता है। यही वजह है कि मोटापे पर नियंत्रण रखने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा यदि मां को मधुमेह, थॉयराइड या फिर उच्च रक्तचाप हो तो भी नॉर्मल डिलीवरी में परेशानियां आती ही हैं। गर्भाधारण से लेकर डिलीवरी तक बीच-बीच में गर्भवती महिला को डॉक्टर की निगरानी में अल्ट्रासाउंड करवाते रहना चाहिए। इससे पहली बार मां बनने जा रही महिलाएं प्री-मैच्योर डिलीवरी और प्रेगनेंसी के दौरान एबनार्मल ब्लीडिंग आदि की समस्याओं से काफी हद तक मुक्त रह सकती हैं।
सावधानियां
अक्सर महिलाएं अपने स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह रहती हैं। शादी के बाद में फिट रहना उनके लिए और जरूरी हो जाता है। इसके लिए जरूरी है कि वे
- नियमित रूप से व्यायाम अवश्य करें।
- तनावमुक्त रहने की कोशिश करें।
- जहां तक हो सके, जंक फूड का सेवन न करें।
- शराब या सिगरेट से बचें।
- नियमित रूप से योग, ध्यान आदि करें।