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कुंडली में है काल सर्प दोष तो करें ये उपाय
कुंडली में कालसर्प दोष के होने का मतलब है व्यक्ति को अपने जीवन में कई सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है जैसे विवाह में अड़चन या दांपत्य जीवन में कलह, विद्या में बाधा, रोग चोट से परेशान रहना, आर्थिक तंगी, संतान को कष्ट आदि। लेकिन इस दोष का उपाय अगर उचित समय पर किया जाए तो इससे छुटकारा पाया जा सकता है।
आइए जानते हैं क्या है इसके लक्षण, कारण और इससे बचने के उपाय।
काल सर्प दोष का कारण
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार अगर किसी जातक की कुंडली में ग्रह राहु और केतु के बीच में आ जाएं तो काल सर्प योग बनता है। कुंडली में काल सर्प दोष को बहुत ही अशुभ माना जाता है। कहते हैं अगर किसी व्यक्ति ने अपने पिछले जन्म में बुरे कर्म किये होते हैं जैसे सांप या किसी और निर्दोष जीव की हत्या तो उसके अगले जन्म में दंड के रूप में उसकी कुंडली में काल सर्प योग बन जाता है। ऐसा भी माना जाता है कि अगर किसी मनुष्य के पिछले जन्म की कोई इच्छा अधूरी रह जाती है तो उसके अगले जन्म में उसकी इसी इच्छा की पूर्ति के लिए उसकी कुंडली में काल सर्प दोष का योग बन जाता है।
काल सर्प दोष के लक्षण
1.
संतान
प्राप्ति
में
मुश्किलें
आना
या
संतान
की
उन्नति
न
होना।
2.
अकारण
अपमान
होना
या
कलंक
लगना।
3.
मेहनत
करने
पर
भी
सफलता
नहीं
मिलना।
4.
हमेशा
आर्थिक
तंगी
रहना।
5.
व्यवसाय
में
नुकसान
होना।
6.
विवाह
में
बाधा
आना
या
दांपत्य
जीवन
सुखी
न
रहना।
7.
स्वास्थ्य
ख़राब
रहना।
8.
बार
बार
चोट
लगना
या
दुर्घटना
होना।
9.
बार
बार
बुरे
सपने
आना।
10.
सपने
में
नाग
नागिन
का
दिखना,
बारात
दिखना,
खुद
को
अंगहीन
देखना।
11.
अपनों
से
धोखा
मिलना।
12.
गर्भपात
होना
या
संतान
होकर
उसका
नहीं
बच
पाना।
13.
बार
बार
सपने
में
किसी
काली
भयंकर
स्त्री
को
या
फिर
किसी
विधवा
को
रोता
देखना।
14.
बनते
हुए
काम
बिगड़
जाना।
15.
मृत
व्यक्ति
का
सपने
में
कुछ
मांगना।
16.
विद्या
अध्ययन
में
रुकावट
होना
या
पढ़ाई
बीच
में
ही
छूट
जाना।
अगर आपको ऐसे लक्षण दिखाई पड़ रहे हैं तो समझ जाइए कि आपकी कुंडली में काल सर्प दोष है।
काल सर्प दोष से बचने के उपाय
1.
पंचाक्षरी
मन्त्र
और
महामृत्युन्जय
मन्त्र
का
जाप
108
बार
करना
चाहिए।
2.
शनिवार
के
दिन
पीपल
के
पेड़
में
जल
चढ़ाने
से
भी
इस
दोष
का
प्रभाव
कम
होता
है।
3.
घर
में
मोर
पंख
धारण
किये
हुए
कृष्ण
जी
की
मूर्ति
स्थापित
करें
और
विधिपूर्वक
उनकी
पूजा
अर्चना
करें
इससे
आपके
घर
में
सुख
और
शान्ति
बनी
रहेगी।
4.
काले
अकीक
की
माला
से
राहु
ग्रह
के
बीज
मन्त्र
का
जाप
108
बार
करें,
इससे
भी
आपको
फायदा
मिलेगा।
6.
नागपंचमी
के
दिन
नाग
देवता
की
पूजा
ज़रूर
करें
और
साथ
ही
व्रत
भी
रखें।
7.
अगर
आस
पास
शिव
जी
का
कोई
मंदिर
जर्जर
दिखाई
दे
तो
उसकी
मरम्मत
और
रंगाई
पुताई
कराएं।
इससे
शिव
जी
प्रसन्न
होते
हैं
और
अपना
आशीर्वाद
प्रदान
करते
हैं।
8.
11
जोड़े
नागिन
और
नाग
बनवाकर
आप
नदी
में
प्रवाहित
कर
दें,
ऐसा
करने
से
आपकी
मुश्किलें
कम
हो
जाएंगी।
9.
सोमवार
के
दिन
शिव
मंदिर
में
रुद्राभिषेक
करवाएं।
10.
इस
दोष
से
मुक्ति
पाने
के
लिए
आप
रोज़ाना
गायत्री
मंत्र
का
भी
जाप
कर
सकते
हैं।
11.
नियमित
रूप
से
शिव
जी,
माता
पार्वती
और
गणेश
जी
की
पूजा
करें।
12.
दूध
में
मिश्री
के
दाने
और
भांग
डाल
कर
रोज़ाना
शिवलिंग
पर
अर्पित
करने
से
इस
दोष
से
प्रभावित
जातक
का
क्रोध
शांत
होता
है।
13.
रोज़ाना
शिवजी
को
चंदन
तथा
चंदन
का
इत्र
चढ़ाएं
और
फिर
उसे
नित्य
स्वयं
लगाएं।
14.
नारियल
पर
नाग
और
नागिन
का
चांदी
का
जोड़ा
बनाकर
मौली
से
लपेटकर
नदी
में
बहाएं।
15.
गौमूत्र
से
रोज़ाना
अपने
दांत
साफ़
करें।