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बच्‍चों में इस वजह से बढ़ रहे हैं डायब‍िटीज के मामले, जाने कैसी हो डाइट और इलाज

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डायब‍िटीज का नाम सुनकर सबसे पहले द‍िमाग में आता है कि ये बीमारी सिर्फ बुढ़ापे में होती है। लेकिन ऐसा नहीं हैं, इस बीमारी की अब कोई उम्र सीमा नहीं रही। बड़ों के साथ-साथ ये बीमारी बच्‍चों को भी अपनी गिरफ्त में लेने लगा हैं। बच्‍चों में होने वाले डायब‍िटीज को टाइप 1 भी कहा जाता है। खाने-पीने से जुड़ी ख़राब आदतें इस बीमारी के होने का मुख्य कारण होता है।

समय रहते कुछ लक्षणों पर गौर करके आप इस बीमारी का पता लगा सकते हैं और इस बीमारी का न‍िदान भी करवा सकते हैं। आइए जानते हैं बच्‍चों में डायबिटीज के मुख्‍य लक्षण, कारण और इलाज।

 बच्चों में मधुमेह की समस्या के लक्षण-

बच्चों में मधुमेह की समस्या के लक्षण-

- बच्चों को आमतौर पर थकान,

- सिर में दर्द, ज्यादा प्यास लगने,

- ज्यादा भूख लगने,

- व्यवहार में बदलाव,

- पेट में दर्द,

- बेवजह वजन कम होने, खासतौर पर रात के समय बार-बार पेशाब आने,

यौन अंगों के आस-पास खुजली होने पर उनमें मधुमेह के लक्षणों को पहचाना जा सकता है।

 लगातार ठंड

लगातार ठंड

ज्‍यादा ठंड में रहने से इम्यून सिस्टम लड़ने के लिए एंटीबॉयटिक का उत्पादन करता है। इस वजह से ज्‍यादात्तर एंटीबॉयटिक ठंड को नष्ट करने के लिए खत्म हो जाते है इससे इंसुलिन कम होता है और डायबिटीज का खतरा होता है।

वायरल इन्फेक्शन

वायरल इन्फेक्शन

कुछ वायरल इन्फेक्शन से टाइप 1 डायबिटीज का खतरा हो सकता है क्योंकि वे इंसुलिन सेल्स को नष्ट कर देते हैं। हालांकि यह डायबिटीज का आम कारण नहीं है।

फिजिकल एक्टिविटी की कमी

फिजिकल एक्टिविटी की कमी

फिजिकल एक्टिविटी की कमी कि कारण इंसुलिन उत्पादन करने वाली सेल्स प्रभावित हो सकती हैं। इससे ब्लड शुगर लेवल प्रभावित हो सकता है जिससे डायबिटीज का खतरा होता है।

 ऑवरईटिंग

ऑवरईटिंग

कार्बोहाइड्रेट के अधिक सेवन से यह शरीर में फैट के रूप में जमा हो सकता है। इसके अलावा शुगर, चॉकलेट और मिठाई आदि से पैन्क्रीऐटिक ग्लैंड पर भार बढ़ता है। जिस वजह से इंसुलिन सेल्स के क्रमिक थकावट से डायबिटीज हो जाता है।

 जेनेटिक

जेनेटिक

बच्चे को डायबिटीज होना जेनेटिक कारण भी है। अगर पेरेंट्स में किसी को डायबिटीज है, तो बच्चा इस बीमारी के साथ पैदा हो सकता है या उसे 25 से 50 वर्ष की उम्र में इसका खतरा हो सकता है।

इन चीजों से दूर रखें बच्‍चों को

इन चीजों से दूर रखें बच्‍चों को

फास्‍ट फूड

आजकल बच्चों में फास्ट फूड खाने की आदत बहुत बढ़ गई है। इससे शरीर में कैलोरी की मात्रा बढ़ जाती है जिससे बच्चे मोटापा और डायबिटीज का शिकार हो रहे हैं। इसलिए बेहतर होगा कि बच्चों को फास्ट फूड से पूरी तरह दूर रखें।

व्हाइट ब्रेड

व्हाइट ब्रेड

व्हाइट ब्रेड भी बच्चों को न दे। यह जल्दी पचता नहीं है और इसे खाने से ब्‍लड में शुगर लेवल बढ़ जाता है। यदि बच्चे को पहले से ही मधुमेह है तो ऐसे में व्हाइट ब्रेड से दूरी बनाएं रखें।

 चॉकलेट, कैंडी व कुकीज

चॉकलेट, कैंडी व कुकीज

चॉकलेट, कैंडी और कुकीज में शक्कर की मात्रा बहुत ज़्यादा होती है और पोषक तत्‍व बिल्कुल नहीं होते। इनमें कार्बोहाइड्रेट की मात्रा भी कम होती है। इससे ब्‍लड में शुगर लेवल बढ़ जाता है, जिससे डायबिटीज का खतरा कई गुणा बढ़ जाता है। इसलिए बच्चे कितनी भी ज़िद्द क्यों न करें उन्हें चॉकलेट, कैंडी व कुकीज से दूर रखें।

 सॉफ्ट ड्रिंक्स

सॉफ्ट ड्रिंक्स

कोल्ड ड्रिंक्स में शक्कर की मात्रा बहुत अधिक होती है इसलिए ड्रिंक्स पीने से ब्‍लड में शुगर को मात्रा बढ़ जाती है। साथ ही कैलोरी काउंट भी बढ़ता है जिससे डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।

बेकरी आइटम्‍स

बेकरी आइटम्‍स

केक और पेस्‍ट्री भी बच्चों की सेहत के लिए खतरनाक होते हैं। इन्हें बनाने में सोडियम और शक्कर का इस्तेमाल ज़्यादा होता है इसलिए यह खाने से शुगर लेवल बढ़ जाता है। यह इंसुलिन के फंक्‍शन पर भी असर डालता है। इसके अलावा दिल की बीमारी का खतरा भी बढ़ जाता है।

ये होने चाह‍िए डाइट

ये होने चाह‍िए डाइट

- बच्चों को हर रोज़ दो ग्लास दूध ज़रूर दें। दूध में कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन की भरपूर मात्रा होती है और यह ब्लड शुगर लेवल को बैलेंस करता है।

- बच्चों की डाइट में हाई फाइबर वाली सब्ज़ियां जैसे मटर, सेम, ब्रोकोली, पालक और हरी पत्तेदार सब्ज़ियां शामिल करें। साथ ही दाल भी खिलाएं।

- फाइबर से भरपूर फल जैसे- पपीता, सेब, संतरा, नाशपाती और अमरूद का सेवन भी अच्छा होता है, लेकिन आम, केला और अंगूर बच्चों को न दें, क्योंकि इसमें शुगर की मात्रा बहुत ज़्यादा होती है।

- साबूत अनाज में पाया जाने वाला कार्बोहाइड्रेट और फाइबर सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है। यह आसानी से पच जाता है और ब्लड शुगर लेवल को बैलेंस करता है।

बच्चों में मधुमेह या डायबिटीज का इलाज -

बच्चों में मधुमेह या डायबिटीज का इलाज -

डायबिटीज से पीड़ित बच्चों को इंसुलिन थेरेपी दी जाती है। अक्सर निदान के पहले साल में बच्चे को इंसुलिन की कम खुराक दी जाती है। इसे 'हनीमून पीरियड' कहा जाता है। आमतौर पर बहुत छोटे बच्चों को रात में इंजेक्शन नहीं दिए जाते, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ रात को इंसुलिन शुरू किया जाता है।

English summary

Juvenile Diabetes: How To Manage Diabetes In Children

Juvenile diabetes is now known as type 1 diabetes, and type 1 diabetes is most often diagnosed in children and young adults whose bodies do not make insulin.
Story first published: Wednesday, November 13, 2019, 16:25 [IST]
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