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सेहत के लिए बेस्ट है कच्ची घानी का तेल, डाइटिशियन भी खाने की देते है सलाह
कच्ची घानी के बारे में आपने सुना तो होगा ही, लेकिन क्या आप जानते है कि असल में कच्ची घानी तेल होता क्या है, दरअसल ये तेल कुकिंग के लिए बहुत अच्छा होता है। इस तेल में कुकिंग के हिसाब से अहम घटक मौजूद होते हैं। इसमें आवश्यक औऱ हेल्दी फैट्स मौजूद होते हैं। सेलिब्रिटी न्यूट्रिशनिस्ट और डायट एक्सपर्ट रुजुता दिवेकर भी कच्ची घानी तेल या कोल्ड-प्रेस्ड ऑयल में बना भोजन खाने की सलाह देती हैं।
कच्ची घानी तेल तिलहनों को बहुत कम तापमान पर गर्म करके तैयार किया जाता है। बहुत कम तापमान में गर्म होने के कारण तेल में मौजूद पौषक तत्व बने रहते हैं और यह शरीर के लिए बहुत फ़ायदेमंद भी होते हैं।
इन तिलहनों से बनता है कच्ची घानी
कच्ची घानी का तेल सरसों, तिल, मूंगफली, राई इत्यादि तिलहनों से प्राप्त होता है। कच्ची घानी निर्मित तेल में गंध और चिपचिपाहट अधिक मात्रा में होने से ही ये बहुत ही लाभदक होता है।
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कच्ची घानी तेल कैसे बनता है
चक्की या घानी में पारम्परिक तरीके से बनाए जाने वाले तेल को ही कच्ची घानी तेल कहा जाता है। यह तेल ‘कोल्ड प्रेस्ड' प्रणाली से तैयार किए जाते हैं।
कच्ची घानी तेल को पहले तो कोल्हू द्वारा तैयार किया जाता था, जिसमें पशु को बांध कर चक्की चलती है और उसमें बीजों को डाल कर पीस कर तेल निकाला जाता था। वैसे आज के समय में इस तरह से तेल निकालने की प्रक्रिया कम ही देखने को मिलती है। अब पशु के बदले कोल्हू का रूप मशीनों ने ले लिया है। अब मशीनों के द्वारा ही बीजों को पीस कर गर्म करके तेल निकाला जाता है। तेल निकालने के बाद इसे रिफाइंड नहीं किया जाता है। इस वजह से इसे बहुत हेल्दी माना जाता है।
कच्ची घानी का तेल क्यों अच्छा माना जाता है
कच्ची घानी निर्मित तेल में उपस्थित महत्वपूर्ण तत्व जैसे कि फैटी एसिड , प्रोटीन, ओमेगा-3, विटामिन-र्इ और मिनरल्स आदि उचित मात्रा में मौजूद होते हैं।
इसलिए खाने के लिए कच्ची घानी का तेल ही सबसे अच्छा माना जाता है, क्योंकि इसमें तेल को निकालते समय उसका तापमान बहुत अधिक नहीं होता और उस कारण से तेल में मौजूद पोषक तत्व नष्ट नहीं होते हैं।
कच्ची घानी तेल मात्रा में कम निकलता है और इसकी गुणवत्ता भी बहुत अधिक होती है। यदि देखा जाए तो यह अन्य तेल की तुलना में अधिक गुणकारी भी होता है।
एंटी-ऑक्सिडेंट्स से है भरपूर
नेचुरल ऑयल्स में कई एंटी-ऑक्सिडेंट्स मौजूद होते हैं। रिफाइंड तेल को बनाते समय सोडियम और ब्लीचिंग एजेंट्स जैसे केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है। इन सारी प्रक्रियाओं से गुज़रने के कारण तेल के सारे विटामिन्स, प्रोटीन और एंटी-ऑक्सिडेंट्स खत्म हो जाते हैं। इसीलिए अगर आप किसी तिलहन के फायदे पाने के लिए उससे बना तेल खाना चाहते हैं तो कच्ची घानी या कोल्ड प्रेस्ड तरीके से तैयार किया गया तेल ही इस्तेमाल करें।
अचार में लोग करते है ज्यादा यूज
इस तेल का उपयोग अचार बनाने के अलावा कई तरह के पकवान बनाने में किया जाता है। कच्ची घानी तेल के उपयोग से पकवानों का स्वाद बहुत बढ़ जाता है। अचार में उपयोग में लाए जाने पर इससे अचार का स्वाद और उसकी लम्बे समय तक सही बने रहने की संभावना भी बढ़ जाती है।
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कच्ची घानी तेल और अन्य तेलों में अंतर
कच्ची घानी से निर्मित तेल में तीक्ष्ण गंध होती है इनका स्वाद तीखा होता है और यह चिपचिपाहट से युक्त होता है। लेकिन जब अन्य विधि द्वारा तेल का निर्माण होता है तो यह तेल चिपचिपाहट और गंध रहित होते हैं। और उच्च तापमान में गर्म होने की प्रक्रिया के चलते तेल में मौजूद पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। जिनके कारण यह तेल स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक नही रहता है।
त्रिदोषों को रखें दूर
आयुर्वेद में हमारे शरीर के तीन मुख्य दोष वात,पित्त और कफ बताएं गए हैं। कच्ची घानी तेल के सेवन से ये तीनों दोष नियंत्रण में रहते हैं। लेकिन रिफाइंड पद्धति से जो तेल तैयार किया जाता है, उनमें पोषक तत्व लगभग नदारद से होते हैं।