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दुनिया में पहली बार मृत डोनर के गर्भाशय से हुआ बच्ची का जन्म

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मेडिकल हिस्ट्री में ये पहली बार चमत्‍कार हुआ होगा कि जब एक मां के शरीर में मृत डोनर का गर्भाशय ट्रांसप्लांट किया गया और उस मां ने उसी गर्भाशय में 9 महीने तक बच्चे को पाला और फिर एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया।

मेडिकल जर्नल द लैंसेट में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक ब्राजील के साओ पालो में यह बेहद महत्वपूर्ण ऑपरेशन सितंबर 2016 में हुआ था जिसमें एक मृत महिला का गर्भाशय एक स्वस्थ महिला को लगाया गया और उसके बाद उस महिला ने दिसबंर 2017 में एक स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया।

मिला एक नया ऑप्‍शन

मिला एक नया ऑप्‍शन

शोधकर्ताओं की मानें तो इस सफल ट्रांसप्लांट और बच्ची के जन्म के बाद दुनियाभर की उन हजारों महिलाओं के लिए एक नई उम्मीद जगी है जो गर्भाशय से जुड़ी तमाम दिक्कतों की वजह से मां बनने और बच्चे को जन्म देने में असमर्थ हैं। इस ट्रांसप्लांट की सफलता से पहले तक इन्फर्टिलिटी और यूट्रस से जुड़ी समस्याओं से जूझ रही महिलाओं के पास मां बनने के सिर्फ 2 ही रास्ते थे- या तो वे बच्चे को गोद लें या फिर सरोगेसी का सहारा लें।

500 में से 1 महिला को है गर्भाशय से जुड़ी समस्‍या

500 में से 1 महिला को है गर्भाशय से जुड़ी समस्‍या

दुनियाभर में करीब 10 से 15 प्रतिशत कपल्स ऐसे हैं जो इन्फर्टिलिटी के शिकार हैं और हर 500 में से 1 महिला ऐसी है जो गर्भाशय से जुड़ी समस्या का सामना कर रही है। ऐसे में उनके लिए प्रेग्नेंट होना और 9 महीने तक बच्चे को अपनी कोख में रखना संभवन हीं हो पाता। शोधकर्ताओं का मानना है कि दुनियाभर की वैसी महिलाएं जो गर्भाशय से जुड़ी समस्या की वजह से बांझपन झेल रही हैं उनके लिए नई संभावनाएं मौजूद हैं।

सफल रही यूट्रस ट्रांसप्लांट की सर्जरी

सफल रही यूट्रस ट्रांसप्लांट की सर्जरी

इस केस में गर्भाशय डोनेट करने वाली महिला 45 साल की थी जिसकी स्ट्रोक की वजह से मौत हो गई थी। वहीं गर्भाशय पाने वाली महिला 32 साल की थी और जन्म से ही उसके शरीर में यूट्रस यानी गर्भाशय नहीं था जो अपने आप में एक अजीब और रेयर बीमारी है।

ट्रांसप्लांट से 4 महीने पहले उस महिला का आईवीएफ किया गया जिसके बाद उसके 8 एग्स फर्टिलाइज हुई जिन्हें फ्रीजिंग के जरिए प्रिजर्व किया गया। गर्भाशय ट्रांसप्लांट की सर्जरी करीब 10 घंटे तक चली। सर्जरी कर रहे डॉक्टरों ने डोनर के गर्भाशय की वेन्स, आर्टरी, लिगामेंट्स और वजाइनल कैनाल को प्राप्तकर्ता के शरीर से जोड़ा। महिला का शरीर नए अंग को कहीं अस्वीकार न कर दे, इसके लिए उसे 5 अलग-अलग तरह की दवाएं दी गईं।

सफल रही यूट्रस ट्रांसप्लांट की सर्जरी

सफल रही यूट्रस ट्रांसप्लांट की सर्जरी

इस केस में गर्भाशय डोनेट करने वाली महिला 45 साल की थी जिसकी स्ट्रोक की वजह से मौत हो गई थी। वहीं गर्भाशय पाने वाली महिला 32 साल की थी और जन्म से ही उसके शरीर में यूट्रस यानी गर्भाशय नहीं था जो अपने आप में एक अजीब और रेयर बीमारी है।

ट्रांसप्लांट से 4 महीने पहले उस महिला का आईवीएफ किया गया जिसके बाद उसके 8 एग्स फर्टिलाइज हुई जिन्हें फ्रीजिंग के जरिए प्रिजर्व किया गया। गर्भाशय ट्रांसप्लांट की सर्जरी करीब 10 घंटे तक चली। सर्जरी कर रहे डॉक्टरों ने डोनर के गर्भाशय की वेन्स, आर्टरी, लिगामेंट्स और वजाइनल कैनाल को प्राप्तकर्ता के शरीर से जोड़ा। महिला का शरीर नए अंग को कहीं अस्वीकार न कर दे, इसके लिए उसे 5 अलग-अलग तरह की दवाएं दी गईं।

भारत में हो चुका है ये चमत्‍कार

भारत में हो चुका है ये चमत्‍कार

गौरतलब है कि गर्भाश्य ट्रांसप्लांट के जरिये महाराष्ट्र के पुणे में भी एक महिला बच्चे को जन्म दे चुकी है। खास बात यह है कि इस बच्ची ने अपनी नानी के गर्भाशय से जन्म लिया था, जिसने कभी उसकी मां को जन्म दिया था। लेकिन इस केस में गर्भाशय देने वाली महिला जीवित थी।

English summary

Baby is born via a uterus transplanted from a DEAD donor in world first

he baby girl was born in Brazil via caesarean section at 35 weeks and three days, and weighed around 6lbs.
Story first published: Wednesday, December 5, 2018, 18:24 [IST]
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