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तो इस दुलर्भ बीमारी से जूझ रहे हैं इरफ़ान खान...
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता बॉलीवुड एक्टर इरफान खान ने चंद घंटों पहले एक ट्वीट करके अपने फैंस को बताया था कि वो एक दुलर्भ बीमारी से जूझ रहे हैं, जिसके बाद उन्हें ब्रेन ट्यूमर होने की बात सामने आई थी। ब्रेन ट्यूमर के चलते कोकिलाबेन अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है।
इरफान को ग्लियोब्लास्टोमा मल्टीफोर्मे (जीबीएम) ग्रेड-4 जैसे जानलेवा ब्रेन कैंसर होने की बात भी सामने आ रही है, इसे 'डेथ ऑन डायग्नोसिस' भी कहा जाता है।
हालांकि डॉक्टर्स की माने तो निडल बायोप्सी के बाद ही डॉक्टर्स के भी इस बीमारी या ट्यूमर की सही स्थिति के बारे में मालूम चलेगा, इसके बाद ही उनका क्रीमोथैरेपी या ऑपरेशन किया जाएगा। तब तक जानते है आखिर क्या है ये ग्लियोब्लास्टोमा मल्टीफोर्मे (जीबीएम) ग्रेड-4 और क्यों इसे दुलर्भ बीमारी कहा जाता हैं।
क्या है जीबीएम?
ग्लियोब्लास्टोमा मल्टीफॉर्म या जीबीएम एक प्राणघातक ब्रेन ट्यूमर है जो कि व्यस्कों में पाया जाने वाला घातक मलिग्नैंट प्राइमरी ब्रेन ट्यूमर है। इसे एस्ट्रोसाइटोमा ग्रेड IV की श्रेणी में रखा जाता है। GBM, का विकास स्टार के आकार वाली कोशिकाओं की लीनीऐज से होता है, जिसे एस्ट्रोसाइट्स कहते है। यह कोशिकाएं, तंत्रिका कोशिकाओं को समर्थन प्रदान करती है।
ब्रेन के अलावा रीढ़ की हड्डी में भी
GBM मुख्य रूप से सेरिब्रल हेमिस्फेरेस में विकसित होती है, लेकिन यह ब्रेनस्टेम, रीढ़ की हड्डी या ब्रेन के अन्य भागों में भी विकसित हो सकता है।
घातक बीमारी
जीबीएम इतनी घातक बीमारी है कि अगर समय पर रहते हुए इस ब्रेन ट्यूमर की पहचान होकर मरीज को इसका ईलाज नहीं मिल पाएं तो मरीज की 10-15 महीनें मौत हो जाती हैं।
GBM के कारण..
- यह कई विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं से मिलकर बनाता है।
- यह सीधे लोअर ग्रेड एस्ट्रोसाइटोमा या ओलिगोडेंड्रोग्लिओमा से भी विकसित हो सकता है।
- यह अधिक उम्र के लोगो में ज्यादा पाया जाता है और महिलाओं की तुलना में पुरुषों में इस रोग के होने की सम्भावना ज्यादा होती है।
- बच्चों में यह रोग बहुत कम ही देखने को मिलता है।
- उपचार के बाद जीवित रहने की दर - 15 महीने से 5 साल तक जीवित रहने की सम्भावना 4% होती है।
- इसका होने का कारण अभी तक ज्ञात नहीं है लेकिन बहुत से शोध के द्वारा यह बताया गया है कि आनुवंशिक परिवर्तन इसका मुख्य कारण हो सकता है।
ब्लड टेस्ट से भी मालूम
रक्त सीरम के साधारण जांच से बेहद ही कम कीमत और कम से कम समय में जीबीएम का पता लगाकर मरीज को बचाया जा सकता है।
GBM का उपचार
इसके लिए मानक उपचार सर्जरी ही मानी जाती है। इसके अलावा रेडिएशन, कीमोथेरेपी, कंबाइंड रेडिएशन और कीमोथेरेपी का इस्तेमाल भी किया जाता है। यदि आपके ट्यूमर को सर्जरी के माध्यम से नहीं निकला जा सकता तो इसके लिए रेडिएशन/कीमोथेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है।