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शिव को चढ़ाने के अलावा किसी औषधि से कम नहीं है बेलपत्र, बुखार से लेकर बवासीर का करती है इलाज
सावन के महीनें में बेलपत्र या बिल्वपत्र का महत्व खूब बढ़ जाता है। इस पूरे महीनें भगवान शिव की विशेष पूजा होती है और भगवान शिव की पूजा के दौरान इसे चढ़ाया जाता है। लेकिन भगवान शिव को अर्पित करने के अलावा बेलपत्र को औषधि के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है।
बेलपत्र में कई औषधीय गुण छिपे होते है जो शरीर से जुड़े कई समस्याओं का इलाज करता है। आइए जानते है सावन में शिव को चढ़ाएं जाने वाले बेलपत्र में ऐसा क्या खास है?
हार्ट के मरीजों के लिए
हृदय रोगियों के लिए भी बेलपत्र का प्रयोग बेहद फायदेमंद है। बेलपत्र का काढ़ा बनाकर पीने से हृदय मजबूत होता है और हार्ट अटैक का खतरा कम होता है। श्वास रोगियों के लिए भी यह अमृत के समान है। इन पत्तियों का रस पीने से श्वास रोग में काफी लाभ होता है।
पेट पर कीड़े होने पर
पेट या आंतों में कीड़े होना या फिर बच्चें में दस्त लगने की समस्या हो, बेलपत्र का रस पिलाने से काफी फायदा होता है और यह समस्याएं समाप्त हो जाती हैं।
बुखार में
बुखार होने पर बेल की पत्तियों के काढ़े का बहुत असरदायक होता है। बरसात में अक्सर सर्दी, जुकाम और बुखार की समस्याएं अधिक होती हैं। विषम ज्वर हो जाने पर इसके पेस्ट की गोलियां बनाकर गुड़ के साथ खाई जाती हैं।
मधुमक्खी डंक मार दे तो
यदि मधुमक्खी या किसी डंक मारने वाली मक्खी के काटने पर जलन होती है। ऐसी स्थिति में काटे गए स्थान पर बेलपत्र का रस लगाने से राहत मिलती है।
छाले होने पर
शरीर में गर्मी बढ़ने पर या मुंह में गर्मी के कारण यदि छाले हो जाएं, तो बेल की पत्तियों को मुंह में रखकर चबाने से लाभ मिलता है और छाले समाप्त हो जाते हैं।
बवासीर
बवासीर की समस्या होने पर बेल की जड़ का गूदा पीसकर बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर उसका चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को सुबह शाम ठंडे पानी के साथ लें। यदि पीड़ा अधिक है तो दिन में तीन बार लें। इससे बवासीर में फौरन लाभ मिलता है। इसके अलावा आप चाहे तो कच्चे बेलफल का भी सौंठ और सौंफ के साथ काढ़ा बनाकर सेवन कर सकते हैं।