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इस देश में इबोला के कारण WHO ने की 'स्वास्थ्य आपातकाल' की घोषणा, जानें क्या है इसके लक्षण
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए इबोला संकट से प्रभावित डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (डीआरसी) में पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी की घोषणा कर दी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक इस बीमारी से निपटने लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की सख्त जरूरत है। गौरतलब है कि इबोला के प्रकोप से अब तक इस क्षेत्र में करीब 1600 लोगों की जान जा चुकी है।
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इबोला के कारण लग चुकी है इमरजेंसी
इस हफ्ते इबोला का पहला केस गोमा के एक शहर में पाया गया है और यहां के निवासियों की संख्या लाखों में है। गोमा, रवांडा की सीमा से लगा इलाका है। डब्ल्यूएच की रिपोर्ट के मुताबिक इससे पहले चार बार इबोला के कारण इमरजेंसी लागू की जा चुकी है। इसमें पश्चिम अफ्रीका में लगी इमरजेंसी भी शामिल है जिसमें लगभग 11,000 लोगों की मौत इबोला के कारण हुई थी।
ये है इबोला का दूसरा बड़ा प्रकोप
रिपोर्ट की मानें तो ये इबोला का अब तक का दूसरा सबसे बड़ा प्रकोप है। साल 2018 से लेकर अब तक सबसे ज्यादा डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो के दो बड़े प्रांत इतुरी और नॉर्थ किवु के निवासी प्रभावित हुए हैं। इन इलाकों में इबोला से जुड़े करीब 2500 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से दो-तिहाई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी यानी करीब 1600 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
शुरू के 224 दिनों के आंकड़ों के मुताबिक, इबोला के करीब 1000 मामले सामने आए थे, मगर बाद के 71 दिनों में ही इनकी संख्या बढ़कर 2000 हो गई। इन क्षेत्रों में रोजाना इबोला के करीब औसतन 12 नए मामले सामने आ रहे हैं।
इबोला क्या है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार, इबोला एक प्रकार की वायरल बीमारी है। अचानक बुखार आ जाना, कमजोरी महसूस होना, मांसपेशियों में दर्द और गले में खराश होना इसके लक्षण हैं। इस तरह के लक्षण इबोला के शुरुआती स्टेज में नजर आते हैं। इस बीमारी के अगले चरण में पीड़ित को उल्टी, डायरिया और कुछ मामलों में अंदरूनी और बाहरी रक्तस्राव की समस्या होने लगती है। इंसानों में इस बीमारी का संक्रमण संक्रमित जानवरों, जैसे चिंपैंजी, चमगादड़, हिरण आदि के सीधे संपर्क में आने से होता है।
इबोला से कैसे बचाव करें
इबोला से संक्रमित व्यक्तियों के खून और लार के सम्पर्क में ना आएं।
संक्रमित जानवरों से भी दूरी बनाकर रखें।