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कोरोना वायरस: साइलेंट क‍िलर है हैप्पी हाइपोक्सिया, लक्षणों पर गौर नहीं किया तो जा सकती है जान

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कोरोना महामारी की दूसरी लहर बेहद ही खतरनाक है। इसमें कई नई चीजें भी निकल कर सामने आई हैं, जिसमें से एक है हैप्पी हाइपोक्सिया। इस बार युवाओं में कोरोना के घातक होने की सबसे बड़ी वजह हैप्पी हाइपोक्सिया को ही माना जा रहा है। यह कोरोना की जानलेवा स्थिति है, जिसका पता मरीज को समय रहते नहीं चल पाता है। यही वजह है कि हैप्पी हाइपोक्सिया को 'साइलेंट किलर' भी कहा जा रहा है। कई केस तो ऐसे हैं जहां मरीज में कोई लक्षण नहीं थे, फिर एकाएक ऑक्सीजन का लेवल घटता चला गया। उसे कोई भी संकेत नहीं मिला और सेचुरेटेड ऑक्सीजन का लेवल 50% तक पहुंच गया।

क्‍या है हैप्‍पी हाइपोक्सिया

क्‍या है हैप्‍पी हाइपोक्सिया

हैप्पी हाइपोक्सिया का मतलब होता है कि खून में ऑक्सीजन के स्तर का बहुत कम हो जाना और मरीज को इसका पता भी नहीं चल पाना। दरअसल, कोरोना मरीजों में शुरुआती स्तर पर कोई लक्षण नहीं दिखता या फिर हल्का लक्षण दिखता है, वे बिल्कुल ठीक और 'हैप्पी' नजर आते हैं, लेकिन अचानक से उनका ऑक्सीजन सेचुरेशन घटकर 50 फीसदी तक पहुंच जा रहा है, जो जानलेवा साबित हो रहा है।

वजह?

वजह?

विशेषज्ञों के मुताबिक, हैप्पी हाइपोक्सिया का प्रमुख कारण फेफड़ों में खून की नसों में थक्के जम जाने को माना जाता है। इसकी वजह से फेफड़ों को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती और खून में ऑक्सीजन सेचुरेशन कम होने लगता है। विशेषज्ञों का कहना है कि हाइपोक्सिया की वजह से दिल, दिमाग, किडनी जैसे शरीर के प्रमुख अंग काम करना बंद कर सकते हैं।

Corona Virus Patient में Happy Hypoxia Symptoms से जा सकती है जान | Boldsky
लक्षण

लक्षण

इसमें होठों का रंग बदलने लगता है यानी होंठ हल्के नीले होने लगते हैं। इसके अलावा त्वचा का रंग भी लाल या बैंगनी होने लगता है। अगर गर्मी न हो तो भी लगातार पसीना आता है। ये सभी खून में ऑक्सीजन सेचुरेशन कम होने के लक्षण हैं। इसलिए लक्षणों पर लगातार ध्यान देना पड़ता है और जरूरत पड़ने में तुरंत अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए।

युवाओं में क्यों ज्यादा हो रही है ये परेशानी?

युवाओं में क्यों ज्यादा हो रही है ये परेशानी?

विशेषज्ञ कहते हैं कि युवाओं की इम्यूनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है और अन्य लोगों के मुकाबले उनकी सहनशक्ति भी ज्यादा होती है, ऐसे में ऑक्सीजन सेचुरेशन अगर 80-85 फीसदी तक भी आ जाए तो उन्हें कुछ महसूस नहीं होता है, जबकि बुजुर्गों का ऑक्सीजन सेचुरेशन इतना हो जाए तो उन्हें काफी परेशानी होने लगती है। यही वजह है कि युवाओं का ऑक्सीजन सेचुरेशन जब काफी नीचे चला जाता है तब उन्हें इसका अहसास होता है, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी होती है।

English summary

Happy Hypoxia in Covid 19 Young Patients - Why there is a sudden drop in Oxygen level?

the Covid-19 disease has displayed many mysterious symptoms over time. One of the most baffling ones has been silent hypoxemia, also known as "happy hypoxia".
Story first published: Tuesday, May 11, 2021, 22:38 [IST]
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