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WHO की चिंता: सप्ताह में 55 घंटे से ज्यादा काम करने पर बढ़ता है स्ट्रेस, जा सकती है जान
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अपनी एक स्टडी में देर रात तक काम करने वाले लोगों की स्वास्थय के प्रति चिंता जाहिर करते कहा है कि इस आदत के चलते हर साल हज़ारों लोग मर रहे हैं। WHO ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि जो लोग प्रति दिन 9 घंटे से ज्यादा काम करते हैं, उनको सतर्क हो जाना चाहिए।
WHO ने इसके आगे कहा कि कोरोना वायरस महामारी के चलते आने वाले दिनों में देर रात तक काम करने वालों के मरने का आंकड़ा बढ़ भी सकता है। दरअसल, एक स्टडी के अनुसार, साल 2016 में यानि मात्र एक साल में ज्यादा देर रात तक काम करने वाले 7,45,000 लोगों की जान हार्ट अटैक की वजह से चली गई है।
हार्ट स्टोक का खतरा
स्टडी के अनुसार, सप्ताह में 55 घंटे यानि 9 घंटे से अधिक काम करने से स्ट्रोक का जोखिम 35% अधिक होता है, तथा 35-40 घंटे काम करने वालों की तुलना में हृदय रोग से मरने का जोखिम 17% अधिक होता है।
सप्ताह
में
55
घंटे
से
अधिक
काम
करने
वालों
को
खतरा
ये स्टडी साल 2000 से 2016 के बीच की गई है। इसलिए इसमें कोरोना से प्रभावित लोगों के आंकड़े नहीं है। 'लंबे समय तक काम करने के जीवन पर असर' को लेकर एनवायरमेंट इंटरनेशनल जर्नल में विश्व का पहली स्टडी प्रकाशित हुई है। WHO के पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य विभाग की निदेशक ने कहा कि हर हफ्ते 55 घंटे अथवा उससे ज्यादा काम करना एक गंभीर स्वास्थ्य खतरा है।
उन्होंने कहा, "ये जानकारी हम श्रमिकों की अधिक सुरक्षा देने के लिए कर रहे हैं. अध्ययन से पता चला है कि मरने वालों में 72% पुरुष थे। इसमें मध्यम आयु वर्ग या उससे अधिक उम्र के ज्यादा लोग थे। अध्ययन के मुताबिक, ऐसे लोगों की मौत कई बार 10 साल बाद भी हो जाती है।