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World Organ Donation Day 2021:जानें क्या होता है देहदान और अंगदान में अंतर, ऐसे करते है देहदान
आपकी मौत कि बाद भी आप किसी के काम आ सकें, इससे बेहतर और क्या हो सकता है। व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी देह को दान किया जा सकता है। मृत देह मेडिकल रिसर्च व एजुकेशन के काम आती है। देह दान करने से मेडिकल स्टूडेंट्स और रिसर्चर्स को इंसानी शरीर को और बेहतर समझने में मदद मिलती है। अगर कोई व्यक्ति चाहे कि उसकी मृत्यु के बाद उसकी देह को दान कर दिया जाए तो वह जीते जी भी मेडिकल कॉलेज, हॉस्पिटल या किसी एनजीओ के साथ इससे जुड़ी कार्रवाई कर सकता है, जहां बताया जाता है कि डोनर की मृत्यु के बाद देह दान के लिए क्या पॉलिसी या प्रोसीजर है। हालांकि देह दान के लिए मरने से पहले कंसेंट फॉर्म साइन करना जरूरी नहीं है, लेकिन ऐसा करने के लिए इसलिए कहा जाता है ताकि व्यक्ति के मरने के बाद उसके परिवार को उसकी इस इच्छा के बारे में पता रहे और वे उसकी इस इच्छा को पूरा करने के लिए जरूरी कदम उठा सकें।
यह बेहद कठिन निर्णय है, खासकर व्यक्ति के मर जाने के बाद उनके परिवार के लिए, लेकिन ऐसे बहुत से लोग हैं जिन्होंने अपने जीवन काल में ही अपनी देह दान का निर्णय किया। भारत में कई लोग अपने परिजनों की मौत के बाद भी उनकी देह को दान करने का निर्णय लेते हैं और इसके लिए वे दो विटनेस के सामने प्लेज फॉर्म भर कर उस पर हस्ताक्षर कर इस कार्य को पूरा करते हैं।
क्यों है देह दान जरूरी?
मृत देह का इस्तेमाल मेडिकल स्टूडेंट्स को एनेटोमी पढ़ाने के लिए होता है। इसमें स्टूडेंट्स बॉडी स्ट्रकचर और यह किस तरह काम करता है इसके बारे में पढ़ते हैं। फिजिशियंस, सर्जन्स, डेंटिस्ट्स और अन्य हैल्थकेयर प्रोफेशनल्स के कोर्स का यह अहम हिस्सा होता है। इसके अलावा मृत शरीर का इस्तेमाल रिसर्च फिजीशियंस जीवन बचाने वाले नए सर्जिकल प्रोसीजर्स को तैयार करने में भी करते हैं, उदाहरण के लिए इंटर्नल ऑर्गन्स की सर्जरी करना आदि। मेडिकल इंस्टीट्यूशंस को वॉलन्टरी डोनेशंस से मृत शरीर मिलते हैं, इसके अलावा पुलिस के पास जो भी ऐसे शव होते हैं जिन्हें कोई लेने नहीं आता, पुलिस वह शव मेडिकल इंस्टीट्यूट्स को दे देती है।
जो भी व्यक्ति देह दान कर रहा है या ऐसा करने का निर्णय ले रहा है उन्हें यह जानना चाहिए कि उनका यह फैसला मेडिकल स्टूडेंट्स को हमारे शरीर की जटिलता को समझने में मदद करेगा, जिससे भविष्य में वे मरीजों को सही इलाज देकर उनकी जान बचा सकेंगे।
बॉडी डोनेशन की क्या हैं शर्तें?
वैसे तो कोई भी अपनी बॉडी डोनेट कर सकता है।
मेडिकल इंस्टीट्यूशंस इस दान को आसानी से स्वीकार करते हैं, लेकिन फिर भी इसके लिए कुछ मेडिकल कंडीशंस को ध्यान में रखा जाता है। ऐसी कुछ परिस्थितियां हैं जिनमें देह दान स्वीकार नहीं किया जा सकता। हालांकि इसके बारे में विस्तार से जानकारी मेडिकल कॉलेज दे सकते हैं, लेकिन कई बार जब किसी व्यक्ति की मौत के बाद पोस्ट-मॉर्टम एग्जामिनेशन किया जाता है तो उस सूरत में देह दान स्वीकार नहीं किया जाता।
ऐसे करें देह दान
आप अपने जीते जी भी अपनी देह दान का निर्णय कर सकते हैं। इसके लिए आपको सबसे पहले किसी मेडिकल कॉलेज या बॉडी डोनेशन एनजीओ या फिर हेल्थ केयर इंस्टीट्यूशन से संपर्क कर वहां खुद को रजिस्टर करना होगा। यह बात ध्यान रखें कि आपकी मृत्यु के बाद आपके परिजन ही आपकी देह दान करेंगे, ऐसे में अपने इस निर्णय में उन्हें जरूर शामिल करें। उनका सपोर्ट जरूरी है।
देहदान व अंगदान में फर्क
अंगदान में शरीर के उस अंग को डोनेट कर सकते हैं जो दानदाता के जीवन को प्रभावित न करें तथा वे अंग किसी गंभीर बीमारी से प्रभावित न हों। ब्रेन डैड होने पर शरीर के सारे अंग दान किए जा सकते हैं। शरीर के मृत होने पर तीन घंटे में आंख के कॉर्निया का दान हो सकता है। शरीर के किडनी, लीवर का कुछ पार्ट और कॉर्निया की ज्यादा मांग होती है। मृत व्यक्ति के शरीर में सबसे कम समय तक आंखें और सबसे अधिक समय तक किडनी इस लायक रहते हैं कि उन्हें किसी और के शरीर में प्रत्यारोपित किया जा सकता है। वहीं देहदान में मृत्यु के 24 घंटे के बाद मेडिकल स्टूडेंट्स और रिसर्च के लिए बॉडी दान दी जा सकता है।