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पीरियड्स के दौरान ज्‍यादा ब्‍लीडिंग होने के कारण

By Super
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Period blood reveals about your fitness | पीरियड ब्लड बताता है सेहत से जुड़े कईं राज़ | Boldsky

कुछ महिलाओं को पीरियड्स के दौरान ज्‍यादा ब्‍लीडिंग होती है, इससे उन्‍हे काफी दिक्‍कत होती है, इस समस्‍या को मेडिकल लैंग्‍वज में मेनोर्रहाजिया कहा जाता है। कभी - कभी पीरियड्स के दौरान ज्‍यादा ब्‍लीडिंग होना सामान्‍य है लेकिन अगर ऐसा हर महीने होता है तो आपको उसे इग्‍नोर नहीं करना चाहिए। ज्‍यादा ब्‍लीडिंग होने का पता पूरे दिन में इस्‍तेमाल किए जाने वाले पैड से पता लगाया जा सकता है। मेनोर्रहाजिया से पीडि़त महिला को लगभग हर घंटे में पैड या टैम्‍पोन बदलने की आवश्‍यकता पड़ती है और पूरे सप्‍ताह में उसे बहुत ज्‍यादा ब्‍लीडिंग होती है।

यहां पीरियड्स के दौरान ज्‍यादा ब्‍लीडिंग होने के कुछ कारण बताएं जा रहे है :

1) हारमोन्‍स में असंतुलन होना

1) हारमोन्‍स में असंतुलन होना

पीरियड्स के दौरान शरीर के हारमोन्‍स में परिवर्तन होते है, यह काफी सामान्‍य है। ऐसे में किसी - किसी के शरीर में यह परिवर्तन तेजी से होते है और किसी के शरीर में बेहद सामान्‍य तरीके से। हारमोन्‍स में असामान्‍य तरीके से परिवर्तन होना भी ज्‍यादा ब्‍लीडिंग का एक कारण होता है। मेनोपॉज से एक वर्ष पहले हारमोन्‍स में सबसे ज्‍यादा असंतुलन होता है, ऐसे में ज्‍यादा ब्‍लीडिंग होना नॉमर्ल है लेकिन फिर भी अपनी गॉयनोकोलॉजिस्‍ट से सम्‍पर्क कर लें। कई बार ज्‍यादा मात्रा में गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करने से भी ऐसी समस्‍या आ जाती है।

2) गर्भाशय में फाइबर ट्यूमर होना

2) गर्भाशय में फाइबर ट्यूमर होना

ध्‍यान दें कि गर्भाशय यानि यूट्रेस में फाइबर ट्यूमर होने से भी पीरियड्स के दौरान ज्‍यादा खून आ सकता है। ऐसा अधिकाशत: 30 या 40 की उम्र के बाद होता है। हालांकि, अभी तक गर्भाशय में फाइबर ट्यूमर होने का कारण पता नहीं चल पाया है। कुछ ऑपरेशन और इलाज के द्वारा इस ट्यूमर को गर्भाशय से निकाल दिया जाता है जैसे - मॉयमेक्‍टॉमी, एंडोमेटरियल एबलेशन, यूट्रिन आर्टरी एमबेलीजेशन और यूट्रिन बैलून थेरेपी आदि। हाइस्‍टेरेक्‍टॉमी से भी गर्भाशय का ट्यूमर निकाला जाता है। अगर एक बार मेनोपॉज शुरू हो जाता है तो ट्यूमर स्‍वत: बिना इलाज के ही छोटा होता जाता है और बाद में पूरा गायब हो जाता है।

3) सरवाइकल पॉलीप्‍स

3) सरवाइकल पॉलीप्‍स

सरवाइकल पॉलीप्‍स छोटे होते है जो सरवाइकल म्‍यूकोसा या एंडोसेरविकल कनॉल और गर्भाशय के मुहं पर हो जाते है, इनके बनने से भी पीरियड्स के दौरान ब्‍लीडिंग ज्‍यादा होती है। इनके बनने का कारण अभी तक स्‍पष्‍ट नहीं है लेकिन मेडिकल वर्ल्‍ड में इनके बनने की वजह सफाई का न होना और संक्रमण माना जाता है। इनके बनने से शरीर में एस्‍ट्रोजन की मात्रा बॉडी में असामान्‍य तरीके से बढ़ जाती है और गर्भाशय ग्रीवा में रक्‍व वाहिकाओं में रूकावट पैदा होती है जिससे ब्‍लीडिंग ज्‍यादा होती है। सरवाइकल पॉलीप्‍स से पीडित होने वाली अधिकाशत: वह महिलाएं होती है जो 20 से कम उम्र में ही मां बन जाती है। इसका इलाज संभव है।

4) एंडोमेट्रियल पॉलीप्‍स

4) एंडोमेट्रियल पॉलीप्‍स

एंडोमेट्रियल पॉलीप्‍स, कैंसर का प्रकार नहीं है। य‍ह सिर्फ गर्भाशय की सतह पर उभरता या पनपता है। इसके बनने का कारण भी अभी तक पता नहीं लगाया जा सका है लेकिन इसका इलाज कई विधियों से चिकित्‍सा जगत में संभव है। इसके बनने से बॉडी में एस्‍ट्रोजन या अन्‍य प्रकार के ओवेरियन ट्यूमर बन जाते है।

5) ल्‍यूपस बीमारी

5) ल्‍यूपस बीमारी

ल्‍यूपस एक प्रकार की क्रॉनिक सूजन होती है जो शरीर के विभिन्‍न हिस्‍सों जैसे - त्‍वचा, जोड़ो, खून और किड़नी आदि में हो जाती है। ऐसा माना जाता है कि यह बीमारी आनुवाशिंक गड़बड़ी के कारण होती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि पर्यावरणीय कारक, संक्रमण, एंटीबायोटिक यूवी लाइट्स, तनाव होना, हारमोन्‍स में गड़बडी और दवाओं का ज्‍यादा सेवन इसके होने के प्रमुख कारण होते है।

6) पेल्विक इंफ्लेमेट्री डिसीज ( पीआईडी )

6) पेल्विक इंफ्लेमेट्री डिसीज ( पीआईडी )

यह एक प्रकार का संक्रमण होता है जो एक या एक से अधिक अंगों में हो सकता है जैसे - यूट्रस, फेलोपियन ट्यूब्‍स और सेरेविक्‍स। पीआईडी मुख्‍य रूप से सेक्‍स सम्‍बंधी संक्रमण के कारण होता है। पीआरपी ट्रीटमेंट को एंटीबॉयोटिक थेरेपी के रूप में सजेस्‍ट किया जाता है।

7) सरवाइकल कैंसर

7) सरवाइकल कैंसर

सरवाइकल कैंसर में गर्भाशय, असामान्‍य और नियंत्रण से बाहर हो जाता है। इसके होने से शरीर के कई हिस्‍से नष्‍ट हो जाते है। 90 प्रतिशत से ज्‍यादा सरवाइकल कैंसर, ह्यूमन पेपिलोमा वायरस के कारण होता है। इसके उपचार के दौरान मरीज की सर्जरी करके उसे कीमोथेरेपी और रेडियशन दिया जाता है, इस बीमारी का इलाज संभव है।

8) एंड्रोमेट्रियल कैंसर

8) एंड्रोमेट्रियल कैंसर

एंड्रोमेट्रियल कैंसर मुख्‍य रूप से 50 वर्ष से अधिक आयु वाली महिलाओं को होता है। इसके उपचार में सबसे पहले गर्भाशय को ऑपरेशन करके निकाल दिया जाता है। इस बीमारी की शिकायत होने पर तुरंत चिकित्‍सक ही सलाह लें और जल्‍द से जल्‍द उपचार करवाएं। इस प्रकार के कैंसर में कीमोथेरेपी और रेडियशन भी किया जाता है।

9) इंट्रायूट्रिन डिवाइस ( आईयूडी )

9) इंट्रायूट्रिन डिवाइस ( आईयूडी )

अगर किसी महिला को ज्‍यादा ब्‍लीडिंग होती है तो उसे इंट्रायूट्रिन डिवाइस होने का खतरा सबसे ज्‍यादा होता है। अगर ऐसा हो, तो अन्‍य मैचों से आईयूडी कॉट्रासेप्टिव तरीके को बदल देना चाहिए।

10) ब्‍लीडिंग डिसआर्डर

10) ब्‍लीडिंग डिसआर्डर

ब्‍लीडिंग डिस्‍आर्डर के अंर्तगत खून के थक्‍के जमने के कारण ज्‍यादा मात्रा में ब्‍लीडिंग होती है। राष्‍ट्रीय ह्दय फेफड़े और रक्‍त संस्‍थान के अनुसार, ब्‍लीडिंग डिस्‍आर्डर को वॉन विलेब्रांड बीमारी कहा जाता है। जो महिलाएं खून को पतला करने वाली दवा का सेवन करती है वह इस बीमारी से अकसर ग्रसित हो जाती है।

English summary

Reasons for Heavy Menstrual Bleeding

Some women may experience unusually heavy bleeding during menstruation. This is known as menorrhagia. Sometimes we often wonder if uterine bleeding is normal or not.
Story first published: Monday, July 29, 2013, 17:10 [IST]
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