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धूम्रपान नहीं, बल्कि प्रदूषण से हो रहा है भारतीय महिलाओं को कैंसर
(आईएएनएस)| भारतीय महिलाओं में तेजी से बढ़ रहा फेफड़ों का कैंसर इस रोग के विशेषज्ञों के बीच चिंता का विषय बना हुआ है। इसका प्रमुख कारण धूम्रपान नहीं, बल्कि पर्यावरणीय प्रदूषण है। भारत, वैश्विक पर्यावरण प्रदूषण सूचकांक (ईपीआई) में 32 स्थान नीचे खिसककर 155वें स्थान पर पहुंच गया है और राजधानी दिल्ली को दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर होने का संदेहास्पद टैग मिला है।
प्रदूषण स्वास्थ के लिए हानिकारक है ये पहले से ही पता है, लेकिन बढ़ते फेफड़ों के कैंसर के पीछे मुख्य कारण अब पर्यावरणीय प्रदूषण है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री के मुताबिक, 1998 में दिल्ली में फेफड़ों का कैंसर प्रति 100,000 पर नौ पुरुष और महिलाओं में नगण्य था। 2008 में पुरुषों का आंकड़ा प्रति 100,000 पर नौ पुरष ही रहा जबकि प्रति 100,000 महिलाओं में तीन महिलाओं को फेफड़ों का कैंसर था।
मैक्स अस्पताल में रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग के प्रमुख ए.के. आनंद ने बताया आईएएनएनस को बताया, "1998 में महिलाओं में कैंसर नगणय था और 2008 में पुरुषों और महिलओं को अनुपात 3:1 हो गया। अस्पताल में भी हमने फेफड़े के कैंसर से ग्रसित महिलाओं की संख्या में इजाफा देखा है। इनमें से ज्यादातर महिलाएं मेट्रो शहरों से हैं और वे धूम्रपान करने वाली भी नहीं हैं।" आनंद ने बताया कि 45 से 55 साल उम्र की महिलाओं में कैंसर ज्यादा बढ़ रहा है। स्तन कैंसर से जीतना है, तो करें व्यायाम
कैंसर रजिस्ट्री आंकड़े संकेत करते हैं कि इस दौरान पुरुषों में सिर और गर्दन के कैंसर में आनुपातिक वृद्धि हुई है। आनंद ने बताया, "शायद इसलिए गले और जीभ का कैंसर भी बढ़ रहा है।" कोलंबिया एशिया अस्पताल की ऑन्कोलॉजी सर्जन प्रीती जैन ने बताया, "सांस संबंधी बीमारियों के बढ़ने में प्रदूषण निश्चित तौर पर एक बड़ा कारक है।"
गौरलतब है कि अमेरिका की येल यूनिवर्सिटी द्वारा नौ पर्यावरणीय मानकों के आधार पर किया गया 178 देशों का तुलनात्मक अध्ययन दर्शाता है कि चीन की राजधानी बीजिंग को पछाड़ते हुए दिल्ली में पार्टिकुलर मैटर (पीएम) सबसे ज्यादा 2.5 पर है। वाहन घनत्व और औद्योगिक उत्सर्जन से बढ़ा पीएम सर्दी में घने कोहरे का कारण है।
चिकित्सक कैंसर की जागरूकता को महत्व देते हैं, ताकि इसका सफलता से इलाज किया जा सके।