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महिलाओं में अवसाद के कारण
डिप्रेशन किसी को भी हो सकता है। यह सभी आयु वर्ग और लिंग के लोगों को हो सकता है। आजकल लोग अपने बॉस और सीनियर्स को खुश करने के लिए पूरी जी जान लगा देते हैं और इस कारण भी उन्हें तनाव हो जाता है। अवसाद तब होता है, जब आप अपने लक्ष्यों को हासिल नहीं कर पाते। इसके साथ ही महिलाओं में अवसाद के लक्षण पुरुषों में पाये जाने वाले अवसाद के मुकाबले अलग होते हैं। महिलाओं में अवसाद के अलग लक्षण होने के कई कारण होते हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण कारण है कि हॉर्मोन का अधिक उत्पादन। इसके अलावा महिलाओं पर काफी सामाजिक दबाव होता है जो आखिर में उन्हें अवसाद दे सकता है। अगर आप तनाव के इस कारणों के बारे में पता लगा लें तो इसका इलाज तलाशना भी काफी आसान हो जाएगा।
महिलाओं
में
अवसाद
के
कारण
महिलाओं
के
जीन्स
और
मानसिकता
पुरुषों
के
मुकाबले
काफी
अलग
होती
है।
सभी
महिलायें
एक
ही
कारण
से
अवसाद
का
शिकार
नहीं
होतीं।
कई
कारण
होते
हैं
जो
किसी
महिला
को
अवसाद
का
शिकार
बनाते
हैं।
इनमें
से
कुछ
प्रमुख
कारण
हैं:
बांझपन
और
गर्भावस्था
-
जब
कोई
महिला
संतानोत्पत्ति
नहीं
कर
पाती,
तो
उसके
शरीर
में
मौजूद
हॉर्मोंस
में
कई
बदलाव
होते
हैं।
यहां
तक
कि
गर्भावस्था
के
दौरान
भी
महिलाओं
के
शरीर
में
हॉर्मोंस
से
जुड़े
कई
बदलाव
होते
हैं।
गर्भावस्था
के
शुरुआती
समय
में
महिलाओं
में
गर्भपात
का
खतरा
भी
काफी
अधिक
होता
है।
यह
भी
एक
कारण
होता
है
जिसके
कारण
महिलाओं
को
अवसाद
हो
सकता
है।
MORE: डिप्रेशन से निजात पाना है तो करें बाहर व्यायाम
स्वास्थ्य
समस्यायें
कई
महिलायें
विभिन्न
प्रकार
की
स्वास्थ्य
समस्याओं
से
जूझती
हैं।
इनमें
से
कुछ
स्वास्थ्य
समस्याओं
में
मनोवैज्ञानिक
समस्यायें,
डायटिंग
के
प्रभाव,
धूम्रपान,
अस्थिरता
और
धूम्रपान
छोड़ने
से
उत्पन्न
समस्यायें
हो
सकती
हैं।
इसके
अलावा
क्योंकि
महिलाओं
की
शारीरिक
सेहत
हमेशा
अच्छी
नहीं
कह
पाती,
इसलिए
इसका
असर
उनके
मानसिक
स्वास्थ्य
पर
भी
पड़ता
है।
इसके
कारण
उन्हें
और
अवसाद
होने
लगता
है।
मेनोपॉज
मेनोपॉज
के
दौरान
हर
महिला
को
गंभीर
मानसिक
दबाव
की
स्थिति
से
गुजरना
पड़ता
है।
यह
वह
वक्त
होता
है
जब
महिलाओं
का
मासिक
चक्र
पूरी
तरह
रुक
जाता
है।
इसके
बाद
वह
शिशु
को
जन्म
देने
की
क्षमता
खो
देती
हैं।
रिप्रोडक्शन
ऑगर्नन
में
भी
बदलाव
होते
हैं।
यानी
मेनोपोज
के
दौरान
महिलाओं
के
संपूर्ण
व्यक्तित्व
में
बदलाव
आता
है।
अगर
महिला
को
पहल
ेसे
अवसाद
की
शिकायत
है,
तो
उस
महिला
को
यह
समस्या
एक
बार
फिर
हो
सकती
है।
बॉडी
इमेज
जब
कोई
महिला
किशोरावस्था
में
कदम
रखती
है,
तो
उसमें
लिंग
भेद
का
अवसाद
उत्पन्न
होने
लगता
है।
इसके
साथ
ही
किशोरावस्था
में
सेक्स
भेद
भी
अवसाद
का
एक
प्रमुख
कारण
बनता
है।
किशोरावस्था
के
दौरान
महिलाओं
में
आने
वाले
सेक्सुअल
बदलाव
भी
अवसाद
का
एक
महत्वपूर्ण
कारक
हो
सकते
हैं।
MORE: डिप्रेशन से बचने के 20 उपाय
अधिकत
तनाव
कई
बार
लोग
अपनी
क्षमता
से
अधिक
काम
अपने
ऊपर
ले
लेते
हैं।
और
इससे
उन्हें
तनाव
होने
लगता
है।
पुरुषों
की
अपेक्षा
महिलाओं
को
घर
और
दफ्तर
दोनों
जगह
काम
करना
पड़ता
है।
और
इसके
कारण
उन्हें
काफी
तनाव
का
सामना
करना
पड़ता
है
और
यही
तनाव
आगे
चलकर
अवसाद
बन
जाता
है।
शोधकर्ताओं
के
मुताबिक
महिलाओं
में
पुरुषों
की
अपेक्षा
अधिक
स्ट्रेस
हॉर्मोनों
का
स्राव
होता
है।
जो महिलायें नकारात्मक सोचती हैं वे एक या अन्य किसी कारण से अवसाद का शिकार हो जाती हैं। सकारात्मक सोच उनके मस्तिष्क से बिलकुल बाहर हो जाती हैं।