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पीरियड में सैनेटरी पैड की जगह कपड़े के पैड यूज करना सही है या नहीं?
अगर आप आज भी सैनेटरी पैड से ज्यादा कपड़े के पैड के साथ ज्यादा कम्फर्टेबल फील करती है तो आइए जानिए कपड़े के पैड इस्तेमाल करते हुए क्या क्या एतियात बरतने की जरुरत है।
पीरियड में कम्फर्टेबल रहने के लिए महिलाएं और लड़किया सैनेटरी पैड्स का ही ज्यादात्तर इस्तेमाल करती है। विदेशों की तरह टैम्पोन और मेन्स्ट्रुअल कप का इस्तेमाल हमारे यहां प्रचलित नहीं हुआ है। लेकिन आज भी दूरदराज़ के इलाकों और गांवों में रहने वाली महिलाएं और पुरानी विचारधाराओं को मानने वाली महिलाएं और लड़कियां माहवारी में पुराने कपड़े और चादरों के टुकड़ों का इस्तेमाल करती है।
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हालांकि कपड़ो के पैड के फायदे भी है और कुछ नुकसान भी है। हालांकि लड़किया कम्फर्टेबल और पीरियड में होने वाले रेशेज से बचने के लिए कॉटन कपड़ों का पीरियड के दौरान इस्तेमाल करती है।
लेकिन इनकी वजह से इंफेक्शन होने का खतरा भी बना रहता है। अगर आप आज भी सैनेटरी पैड से ज्यादा कपड़े के पैड के साथ ज्यादा कम्फर्टेबल फील करती है तो आइए जानिए कपड़े के पैड इस्तेमाल करते हुए क्या क्या एतियात बरतने की जरुरत है।
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ईको फ्रैंडली
कपड़े से बने ये पैड घर की पुरानी साड़ियों, तौलियों या चादरों को काटकर बनाए जाते हैं। जो आरामदायक होने के साथ सस्ते भी पड़ते हैं। साथ ही, ये कपड़े के पैड पर्यावरण के लिहाज से बेहतर या इको-फ्रेंडली होते हैं। इनको यूज में लेने के बाद जलाकर खत्म भी किया जा सकता है। वहीं ज्यादात्तर लोग पैड को यूज में लेने के बाद ऐसे ही फेंक देते है जो कि पर्यावरण को दूषित करता है। लेकिन एक ही कपड़े को दो से तीन बार यूज में लेने से गुप्तांग में इंफेक्शन बढ़ सकता है।
बार बार बदलते रहे
कपड़े से बने पैड की बजाय सैनिटरी पैड के इस्तेमाल की वजह आराम और सुविधा है। इसमें कोई शक नहीं कि सैनिटरी पैड इस्तेमाल में काफी सुरक्षित होते हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि कपड़े के पैड अच्छे नहीं होते। पुराने कपड़ों से बने पैड के इस्तेमाल से यूं तो सेहत से जुड़ी कोई परेशानियां नहीं होती। हालांकि आपको इनकी सही तरीके से साफ-सफाई का ध्यान रखना होगा। इसी तरह, कपड़ा सैनिटरी पैड की तुलना में कम देर तक फ्लो को सोख सकता है या कम समय तक टिकता है। इसलिए आपको बार-बार और जल्दी-जल्दी पैड बदलना होगा।
रैशेज की चिंता नहीं
पीरियड में सिर्फ सूती या कॉटन कपड़ा इस्तेमाल करना अधिक सुविधाजनक होता है। इससे प्राइवेट एरिया में हवा भी आसानी से पहुंचती रहेगी और रैशेज़ का डर भी कम होगा। यही नहीं, कॉटन का कपड़ा पॉलिएस्टर जैसे बाकी प्रकार के कपड़ों से अधिक लिक्विड सोख सकता है। लेकिन, बहुत पुराने कपड़े के इस्तेमाल से बचें क्योंकि उससे आपको एलर्जी हो सकती है।
हो सकता है इंफेक्शन का खतरा
कपड़े के पैड बहुत जल्दी गीले होते हैं और इसीलिए रात में इनका इस्तेमाल थोड़ा झंझटभरा हो सकता है। इसी तरह, अगर गीले होने के बाद इन्हें बदला नहीं गया तो उनसे बदबू आने लगती है और गीलेपन की वजह से वैजाइना में इंफेक्शन का ख़तरा बढ़ जाता है। हालांकि, पीरियड्स के दौरान साफ-सफाई का ध्यान रखकर आप इस खतरे से बच सकते है। साथ ही, इस्तेमाल करने से पहले और बाद में कपड़े से बने पैड का साबुन/डिटर्जेंट से अच्छी तरह साफ करें और धूप में सूखने के बाद हीं इनका दोबारा इस्तेमाल करें। इस तरह बैक्टेरिया और इंफेक्शन से बचना आसान होगा।