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कैसे और क्या खाने से आपके पीरियड होते है इफेक्ट?
अब महिलाओं को अपनी सेहत को थोड़ा गंभीरता से लेना चाहिए। हमारी रोजाना की जिंदगी में न्यूट्रिशियन का बहुत महत्व होता है। अगर हम सही आहार लेंगें तो इससे हमारी सेहत दुरुस्त रहेगी। इससे माहवारी में होने वाले लक्षणों को भी कम किया जा सकता है। अब ऐसी कई चीज़ें हैं जो हमारे शरीर को प्रभावित करती हैं, जो हम खाते हैं ना सिर्फ वो बल्कि हमारा मासिक चक्र भी शरीर को प्रभावित करता है।
यहां तक कि हम क्या खाते हैं, कैसे व्यायाम करते हैं और हमारा मासिक चक्र कैसा है, ये सब बातें हमारे माहवारी के लक्षणों को प्रभावित करती हैं और उसमें बाधा उत्पन्न करती हैं। इसका मतलब है कि हमे ये जान लेना चाहिए कि तरह की चीजें हमारे मासिक चक्र को प्रभावित करती हैं और कैसे फूड हमारे शरीर पर नकारात्मक और सकारात्मक तरीके से असर डालते हैं।
सबसे पहले आपको अपने मासिक चक्र को समझना चाहिए। इसका मतलत है कि आपके चक्र के विभिन्न चरणों पर शरीर में होने वाले बदलावों और प्रभावों को जानें और उन पर रिसर्च करें। जैसे कि जब आपके पीरियड शुरु होने वाले हों तो आपके शरीर में प्रोजेस्टेरॉन लेवल बढ़ जाता है क्योंकि आपका शरीर यूट्रिन लाइनिंग को छोड़ने की तैयारी में होता है और इसके साथ-साथ अन्य कारकों की वजह से भी पीएमस लक्षण दिखाई देते हैं। अपने शरीर और मासिक चक्र को समझना काफी विस्तृत अनुभव होता है।
यहां तक कि कई महिलाओं ने तो ये भी कहा है कि माहवारी के दौरान कप का इस्तेमाल करके उन्हें अपने शरीर और मासिक स्राव के बारे में काफी कुछ जानने को मिला। माहवारी और आहार के बारे में जानने के लिए बहुत कुछ है।
इसके लिए हम क्या कर सकते हैं
नींद
माहवारी के दौरान हार्मोन का स्तर बड़ जाता है और आपकी यूट्रिन लाइनिंग नहीं रहती है, ऐसे में शरीर को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। पर्याप्त नींद लेने से आप अपने शरीर को काम करने के लिए एनर्जी दे सकती हैं। मासिक चक्र के दौरान 8 घंटे की नींद लेने से शरीर स्वस्थ रहता है। माहवारी के दौरान आधा घंटा ज्यादा सोएं, इससे आपको जरूर मदद मिलेगी।
कैल्शियम
महिलाओं के लिए कैल्शियम बहुत जरूरी होता है और ये रोज़ लेना चाहिए। अगर कोई महिला पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम नहीं लेती है तो इससे उसे माहवारी के दौरान बहुत दर्द होता है और ये हार्मोनल असंतुलन का कारण भी बन सकता है। कैल्शियम सप्लीमेंट के रूप में भी उपलब्ध है। कोई भी सप्लीमेंट लेने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें। कैल्शियम के कुछ प्राकृतिक स्रोत जैसे कि तिल के बीज, हरी पत्तेदार सब्जियां, क्यूनोआ और बींस आदि को अपने आहार में शामिल करें।
आयरन
महिलाओं में आयरन की कमी बहुत देखी जाती है और अगर आप पीली पड़ रही हैं या थकान या ठंडा महसूस करती हैं तो आपमें आयरन की कमी हो सकती है। मासिक स्राव के दौरान हम हर महीने आयरन खर्च कर देते हैा और इसलिए इसे दोबारा पाना जरूरी होता है। आयरन के कई प्राकृतिक स्रोत हैं जैसे कि चने, दालें, सीफूड, पका हुआ पालक, कद्दे के बीज और बीफ। इनसे शरीर को पर्याप्त मात्रा में आयरन मिलता है।
प्रोटीन
हर महिला को अपनी डाइट में प्रोटीन को जरूर शामिल करना चाहिए क्योंकि इससे शरीर को एनर्जी मिलती है। प्रोटीन के कई विभिन्न स्रोत हैं लेकिन आपको साबुत चीज़ें जैसे कि साबुत फल, सब्जी और अनाज खाने चाहिए। ये प्रोटीन का बेहतरीन स्रोत माने जाते हैं। चिकन, बीफ और मछली भी प्रोटीन का बेहतरीन स्रोत होते हैं। एनर्जी पाने के लिए अपने आहार में प्रोटीन को शामिल करें।
विटामिन ई
रक्तप्रवाह को बेहतर करने वाला एंटीऑक्सीडेंट विटामिन ई होता है जोकि माहवारी में फायदेमंद न्यूट्रिएंट माना जाता है। माहवारी के दौरान विटामिन ई की वजह से शुष्क त्वचा, होंठों और बालों के सूखने जैसे लक्षण सामने आते हैं। विटामिन ई की मदद से माहवारी के लक्षणों को खत्म किया जा सकता है और एवोकैडो, अंडे की जर्दी, पालक, बीज और ब्रोकली में विटामिन ई पाया जाता है।
हाइड्रेशन
नियमित माहवारी के दौरान महिलाओं के शरीर से 1-2 आउंस खून निकलता है। शरीर में तरल की मात्रा बनाए रखने के लिए पानी पीते रहें। दिन में कम से कम 8 गिलास पानी पीएं। पानी के अलावा उबली हुई सब्जियों का रस, सूप, स्मूदी और तेल को अपने आहार में शामिल करें। इसके अलावा शरीर को डिहाइड्रेट करने वाली चीज़ों जैसे कॉफी, शुगर और अल्कोहल आदि का सेवन करने से बचें।
मैग्नीशियम
माहवारी के लक्षणों से बचाने और मांसपेशियों को आराम देने में मैग्नीशियम अहम भूमिका निभाता है। बींस, टोफू और पीनट्स में मैग्नीशियम पाया जाता है।
नोट – जिन महिलाओं में मैग्नीशियम की कमी होती है उन्हें चॉकलेट आदि जैसी मीठी चीजें खाने का मन करता है क्योंकि मैग्नीशियम ब्लड शुगर लेवल को प्रभावित करता है। अगर मैग्नीशियम का स्तर कम हो तो मीठा खाने का मन करता है। ज्यादा मात्रा में मैग्नीशियम का सेवन करना भी नुकसानदायक रहता है।
विटामिन बी6
ये डिप्रेशन से राहत दिलाता है और लाल रक्त कोशिकाओं को बनाने में मदद करता है। आलू, केला और ओटमील में विटामिन बी6 प्रचुरता में पाया जाता है।
स्वस्थ माहवारी के लिए इन चीज़ों से दूर रहें
अगर आप अपने आहार में इन चीज़ों के सेवन को कम या सीमित कर लें तो इससे आपके मासिक चक्र के साथ-साथ संपूर्ण स्वास्थ्य को लाभ होगा।
मीठा
रिफाइंड शुगर के सेवन को कम करें क्योंकि इससे वजन भी बढ़ सकता है और शरीर में ब्लड शुगर लेवल भी असंतुलित हो सकता है। शुगरयुक्त फूड खाने से शुगर लेवल बढ़ जाता है और हाई शुगर की वजह से माहवारी के लक्षण गंभीर रूप ले लेते हैं। इसलिए ब्लड शुगर के स्तर को सामान्य रखना बहुत जरूरी है।
कैफीन
कैफीन के अधिक सेवन की वजह से बेचैनी, तनाव और अनिद्रा की शिकायत हो सकती है जो कि पीएमस लक्षणों का रूप ले सकता है। कुछ लोगों को पीरियड्स के दौरान थोड़ी मात्रा में कैफीन लेने से दर्द में राहत मिलती है।
सिगरेट
सिगरेट पीने की वजह से मासिक चक्र अनियमिक या बाधित हो सकता है।
एल्कोहल
इससे पीएमस के लक्षण और ज्यादा गंभीर रूप ले सकते हैं। अपने लिए सही आहार चुनें और माहवारी के दौरान अपने खाने का खास ख्याल रखें। उचित आहार से आप माहवारी से संबंधित हर प्रकार की समस्या से बच सकती हैं।