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आज है तिल संकष्टी चतुर्थी, ऐसे करें पूजा और मुक्ति पाए हर संकट से
माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को तिल चतुर्थी का व्रत किया जाता है। इस चतुर्थी को माघी तिल चतुर्थी, सकट चौथ और वक्रतुंडी चतुर्थी या तिल संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है।
इस बार यह व्रत 5 जनवरी, शुक्रवार को है। ऐसा माना जाता है कि माघ संकष्टी चतुर्थी को भगवान गणेश की अराधना करने से हर संकट को दूर किया जा सकता है और साथ ही संतान की प्राप्ति भी होती है। आइए जानते है कि इस दिन भगवान गणेश की कैसे पूर्जा अर्चना करनी चाहिए और इस दिन का क्या महत्व है।
इस दिन भगवान गणेश की उपासना से हर तरह के संकट का नाश होता है। हर तरह के कार्यों की बाधा दूर होती है. धन तथा कर्ज सम्बन्धी समस्याओं में सुधार होता है।
पुराणों में संकट चतुर्थी का महत्व
पुराणों में इस संकट चतुर्थी का विशेष महत्व बताया गया है। खास कर महिलाओं के लिए इस व्रत को उपयोगी माना गया है। मान्यता है कि इस चतुर्थी के दिन व्रत रखने और भगवान गणेश की पूजा करने से जहां सभी कष्ट दूर हो जाते हैं, वहीं इच्छाओं और कामनाओं की पूर्ति भी होती है। इस दिन तिल दान करने का महत्व होता है। इस दिन गणेशजी को तिल के लड्डुओं का भोग लगाया जाता है।
इस व्रत को करने का फायदा -
इस दिन श्रीगणेश का पूजन करने से मानसिक शान्ति मिलती है। भगवान श्री गणेश जी की कृपा से दाम्पत्य जीवन में सुख बढ़ता है। सुहागन महिलाओं को इस व्रत से अखंड सौभाग्य मिलता है। इसके साथ ही घर-परिवार में सुख और समृद्धि बढ़ती है। महिलाओं के इस प्रकार से व्रत करने से परिवार के लोगों की तरक्की होती है और कारोबार में भी बरकत होती है।
पौराणिक महत्व
कृष्ण की सलाह पर धर्मराज युधिष्ठिर ने इस व्रत को किया था। व्रत की शुरुआत सूर्योदय से पूर्व करें। पूजा में गुड़, तिल, गन्ने और मूली का उपयोग करना चाहिए।
इस दिन नहीं खानी चाहिए मूली
चतुर्थी के दिन मूली नहीं खानी चाहिए, धन हानि की आशंका होती है। देर शाम चंद्रोदय के समय व्रत करने वाले को तिल, गुड़ आदि का अघ्र्य चंद्रमा, गणेश जी और चतुर्थी माता को अवश्य देना चाहिए। अघ्र्य देकर ही व्रत खोला जाता है। इस दिन स्त्रियां निर्जल व्रत करती हैं। सूर्यास्त से पहले गणोश संकष्ट चतुर्थी व्रत कथा-पूजा होती है। इस दिन तिल का प्रसाद खाना चाहिए। दूर्वा, शमी, बेलपत्र और गुड़ में बने तिल के लड्डू चढ़ाने चाहिए।
सकट माता मंदिर
राजस्थान में अलवर से 60 किलोमीटर और जयपुर से 150 किलोमीटर दूर सकट गांव है, जहां सकट चौथ माता का मंदिर है। इस दिन इस गांव में इस मंदिर में संकट से बचने के लिए सकट माता के दर्शन के लिए आते है।
व्रत व पूजन विधि
तिल चतुर्थी की सुबह स्नान आदि से करने के बाद साफ वस्त्र पहनें। इसके बाद एक साफ आसन पर बैठकर भगवान श्रीगणेश की पूजा करें। पूजा के दौरान भगवान गणेश को धूप व दीप दिखाएं। फल, फूल, चावल, रौली, मौली चढ़ाने व पंचामृत से स्नान कराने के बाद भगवान गणेश को तिल से बनी वस्तुओं या तिल तथा गुड़ से बने लड्डुओं का भोग लगाएं।
ये दान करें
इस दिन दान का भी विशेष महत्व है। जरूरतमंद लोगों को गर्म कपड़े, कंबल, आदि दान करें तो बेहतर रहता है। इसके अलावा इस चतुर्थी पर तिल, गुड़ या अन्य तरह की मिठाई का भी दान किया जाता है। गणेश मंदिर के पुजारी को भोजन करवाना चाहिए।
यह है मूहूर्त
चतुर्थी तिथि आरम्भ- 4 जनवरी 21.30
चतुर्थी तिथि समाप्त- 5 जनवरी 19.0
इस मंत्र का करें जाप
गणपति अथर्वशीर्ष के पाठ के साथ गणेश मंत्र - 'ॐ गणेशाय नमः' का जाप 108 बार करना चाहिए।