Just In
- 1 hr ago रूबीना दिलैक ने शेयर किया स्तनपान से जुड़ा दर्दनाक एक्सपीरियंस, नई मांए ने करें ये गलती
- 2 hrs ago Gajalakshmi Yog April 2024: 12 वर्षों के बाद मेष राशि में बनेगा गजलक्ष्मी राजयोग, इन 3 राशियों पर बरसेगा पैसा
- 2 hrs ago Formal Blouse Design: IAS Interview में जमाना है इम्प्रेशन, तो कैंडिडेट पहने ऐसे सोबर ब्लाउज
- 4 hrs ago Watermelon in Uric Acid : तरबूज खाने से यूरिक एसिड बढ़ता है या घटता, जानें खाएं या न खाएं?
Don't Miss
- Travel 6 हिल स्टेशन जहां सीधे फ्लाईट से पहुंच सकते हैं, नहीं नापनी पड़ती घुमावदार पहाड़ी सड़कें
- News Lok Sabha Election: 'मिशन MP' पर PM MODI, जीतू पटवारी ने पूछे तीखे सवाल
- Automobiles 3 करोड़ की कार में वोट डालने पहुंचे साउथ सिनेमा के दिग्गज स्टार Dhanush, फैंस ने किया स्वागत
- Technology Redmi के इन 5 स्मार्टफोन्स पर मिल रहा बंपर छूट, अब तक के सबसे कम दाम में खरीदने का मौका, देखें लिस्ट
- Finance Axis Bank Credit Card: एक्सिस बैंक ने शॉपर्स स्टॉप क्रेडिट कार्ड किया लॉन्च, जानिए क्यों है यह खास
- Movies 38 साल की इस हसीना ने सालों तक छुपाई शादी, IVF हुआ फेल, 7 महीने में 2 बच्चियों को दिया जन्म
- Education ग्राफिक डिजाइन कोर्स
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2022, पहले दिन करें मां शैलपुत्री की आराधना
हिंदू पंचांग के अनुसार साल में चार बार नवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है। जिसमें मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। आषाढ़ मास में जो नवरात्रि आती है उसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। 30 जून 2022 को गुप्त नवरात्रि का पहला दिन है और इस दिन मां शैलपुत्री की पूजा का विधान है। यहां हम आपको मां शैलपुत्री के जन्म से जुड़ी दिलचस्प जानकारियां देने के साथ ही उनकी पूजा विधि के बारे में बताने जा रहे है।
मां शैलपुत्री हिमालय की पुत्री है
मां शैलपुत्री देवी के नौ अवतारों में से सबसे पहला रूप है। गुप्त नवरात्रि के पहले दिन यानि 30 जून को मां शैलपुत्री की पूजा करने से विशेष फल मिलेगा। शैल संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ होता है पर्वत और पुत्री यानि बेटी। इसका पूरा अर्थ हुआ हिमालय की पुत्री। देवी दुर्गा को इस नाम से इसलिए जाना जाता है। क्यूंकि उसने पर्वतराज के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया था।
देवी शैलपुत्री ब्रहमा, विष्णु और शिव की शक्तियों का प्रतीक है
मां शैलपुत्री बैल पर विराजित है और उनके दाहिने हाथ में शूल है और बाएं हाथ में बहुत सारे फूल है। उनकी नवरात्रि के पहले दिन पूजा होती है। पूर्व जन्म में माता शैलपुत्री दक्ष प्रजापति की पुत्री सती थी। जो कि बचपन से ही भगवान शिव को समर्पित थी। जिसके बाद,सती का भगवान शिव के साथ विवाह हुआ। मां शैलपुत्री के पास कई दिव्य शक्तियां है। माता शैलपुत्री आपको अनुभव करने में मदद कर सकती है।
जिंदगी में पूर्णता
मां शैलपुत्री के पास कई दिव्य शक्तियां है। नवरात्रि के पहले दिन ध्यान लगाते समय, श्रद्धालु को मूलाधार चक्र पर फोकस करना चाहिए। यही से नवरात्रि साधना की यात्रा शुरू होती है। ये देवी सभी भौतिक इच्छाओं को पूरा करती है और इससे आप अपनी जिंदगी में पूर्णता का अनुभव कर सकते है। श्रद्धालु को मूलाधार चक्र पर मन केन्द्रित रखने की जरूरत है। ये भक्त की आध्यात्मिक यात्रा के प्रारंभिक बिंदु को दर्शाता है।
मां शैलपुत्री का मंत्र और उनसे जुड़े अन्य तथ्य
ध्यानः वंदे वंचित लाभाय चंद्रदा कृता शेखरम वृषारूढम शूलाधार शैलपुत्री यशशविनिम।
नवरात्रि के पहले दिन के लिए मंत्रः ओम साम शैलपुत्रये नमः। इस मंत्र का 108 बार जाप करें।
नवरात्रि के पहले दिन का कलर - पीला
नवरात्रि के पहले दिन का प्रसाद - केला, शुद्ध घी और शक्कर