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आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2022, चौथे दिन करें मां कुष्मांडा की आराधना
नवरात्रि के नौ दिनों को बहुत ही पावन और शुभ माना जाता है। 3 जुलाई, 2022 रविवार को मंगलवार को नवरात्रि का चौथा दिन है। यह दिन मां दुर्गा के चतुर्थ स्वरूप देवी कूष्मांडा को समर्पित होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां कुष्मांडा की पूजा करने से आयु, यश, बल और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है। यहां हम आपको मां कुष्मांडा के स्वरूप, पूजा विधि, मंत्र और आरती के बारे में बताने जा रहे है।
मां कुष्मांडा ब्रह्माण्ड के आंतरिक हिस्से में निवास करती है
आषाढ गुप्त नवरात्रि 2022 का चौथा दिन 3 जुलाई को है। आद्यशक्ति का चौथा रूप मां कुष्मांडा के रूप में पूजा जाता है। कुष्मांडा के नाम का अर्थ होता है थोड़ा उष्ण ब्रह्मांडीय अंड। कु यानि छोटा और उष्म यानि नर्म, जबकि अंड का मतलब होता है ब्रह्माण्ड। मां कुष्मांडा ब्रह्माण्ड के आंतरिक हिस्से या सूर्य लोक में निवास करती है और ये सूर्य प्रभामंडल को प्रसारित करती है। ऐसा माना जाता है जब चारों ओर अंधेरा फैला था, तब देवी कुष्मांडा ने अपने संकल्प के साथ ब्रह्मांड को बनाया।
मां कुष्मांडा को अष्टभुजादारी भी कहा जाता है
ऐसी मान्यता ये है कि जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब कुष्माण्डा देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी। अपनी मंद-मंद मुस्कान भर से ब्रह्मांड की उत्पत्ति करने के कारण ही इन्हें कुष्माण्डा के नाम से जाना जाता है इसलिए ये सृष्टि की आदि-स्वरूपा, आदिशक्ति हैं। मां कुष्माण्डा की आठ भुजाएं हैं। इसलिए मां कुष्मांडा को अष्टभुजा देवी के नाम से भी जाना जाता हैं। इनके सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा है। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है। मां सिंह के वाहन पर सवार रहती हैं। देवी कुष्मांडा का निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है जहां निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति केवल इन्हीं में है।
देवी कुष्मांडा दीर्घायु, प्रसिद्धि और ताकत प्रदान करती है
नवरात्रि पर्व के चौथे दिन भक्त का मन अनाहता चक्र में प्रवेश करता है। जिसमें उसे फोकस रहना चाहिए। केवल मां कुष्मांडा की पूजा करने से भक्त को अपने सभी दुखों और तकलीफों से मुक्ति मिल जाती है। इसके अलावा उसे दीर्घायु, प्रसिद्धि, ताकत और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है।
मां कुष्मांडा की पूजा का शुभ मूहुर्त
अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 12:04 से दोपहर 12:57 तक।
मां कुष्मांडा का मंत्रः ॐ देवी कुष्मांडाये नमः , इस मंत्र का 108 बार जाप करें।
नवरात्रि के चौथे दिन का रंग: नारंगी/ओरेंज
चौथे दिन का प्रसादः मालपुआ और दूध पाक
मां कुष्मांडा आरती :
कूष्मांडा जय जग सुखदानी। मुझ पर दया करो महारानी॥
पिगंला ज्वालामुखी निराली। शाकंबरी मां भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे । भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा। स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदंबे। सुख पहुँचती हो मां अंबे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा। पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
मां के मन में ममता भारी। क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा। दूर करो मां संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो। मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए। भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥