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मुत्‍यु शैय्या से भीष्‍म पितामह ने दिए थे ये 20 बड़ी सीख जो बदल देगी जिंदगी

By Gauri Shankar
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भारत के सबसे महत्वपूर्ण महाकाव्य महाभारत में कुरु के राजा शांतनु के पुत्र भीष्म पितामह और देवी गंगा ने ज़िंदगी की अहम सीख दी हैं।

ये एक महान दिमाग की सीख हैं। जैसे कि कुरुक्षेत्र के युद्ध में भीष्म बाणों की सय्या पर लेते रहे, उन्होने देर से मरना निर्धारित किया क्यों कि उनके पिता ने उन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान दिया था।

इस दौरान उन्होने अपने पुत्र के दक्षिण से उत्तर दिशा में जाने का इंतज़ार किया क्यों कि ऐसा समय मृत्यु के लिए पवित्र माना जाता है, उन्होने युधिष्टर और आस-पास के अन्य लोगों को जीवन की कई सीख दी।

हम आपको बताते हैं भीष्म की जीवन की सीख।

उनकी सीख के अनुसार हर मनुष्य में ये 9 योग्यताएँ होनी चाहिए...

सादगी

सादगी

I. स्वच्छ शरीर और पवित्र मन

II. अपने से और दूसरे से सच्चाई, कभी झूँठ ना बोलना

III. शांति से रहना, क्रोध को हावी ना होने देना

IV. क्षमा करना

V. बच्चों और पत्नी को नज़रअंदाज ना करना

VI. कभी अभिमान ना करना

VII. दूसरों को देना

VIII. सेवकों और आश्रितों का सहयोग करना

क्षमा देना सीखना

क्षमा देना सीखना

क्रोध से दूर रहने का मतलब है आपको क्षमा करना आता है। मन की शांति के लिए ये बहुत ज़रूरी है।

पूरा काम

पूरा काम

कोई भी काम अधूरा ना छोड़ें क्यों कि अधूरा काम नकारात्मकता की निशानी है।

ऐसे लोगों से दूर रहें

ऐसे लोगों से दूर रहें

आक्रामक:

ऐसे लोग किसी भी चीज को नकारात्मकता में बदल देते हैं और माहौल को गरम कर देते हैं। ऐसे लोगों के आस-आस शांति नहीं मिल सकती हैं।

आलसी:

आलसी:

यह नकारात्मकता की निशानी है और ऐसे लोग विश्वास करने लायक नहीं होते हैं। ऐसे लोग ना केवल दूसरों को सहायता करने से मना कर देते हैं बल्कि ये खुद की मदद भी नहीं कर सकते हैं।

अविश्वासी:

अविश्वासी:

ऐसे लोग केवल खुद के बारे में ही सोचते हैं, वे समझते हैं कि इससे बड़ी कोई चीज नहीं है।

घृणित और अनैतिक:

घृणित और अनैतिक:

ऐसे लोग घृणा और ईर्ष्या से भरे होते हैं। ये इतने चालाक होते हैं कि ये दूसरों से चालाकी से काम निकालते हुये खुद पाना चाहते हैं। ऐसे लोग नकारात्मकता और घृणा फैलाते हैं।

ज़्यादा जुड़े हुये ना रहें

ज़्यादा जुड़े हुये ना रहें

बदलाव जीवन की सतत प्रक्रिया है। जीवन के सफर में, लोग आते हैं और जाते हैं। इसलिए, व्यक्ति को किसी से भी ज़्यादा जुड़ाव नहीं रखना चाहिए। प्यार करना अच्छी बात है लेकिन यह सच्चाई ज़रूर ध्यान रखें।

हमेशा ज़िंदगी को गले लगाएँ

हमेशा ज़िंदगी को गले लगाएँ

जीवन के कई चरण होते हैं और व्यक्ति को शांत रहना चाहिए और सकारात्मकता और शांति पाने के लिए इन्हें स्वीकार करना चाहिए। चाहे वह खुशी हो या गम, चाहे बीमारी हो या अच्छा स्वास्थ्य, ज़िंदगी हमें जो दे रही है उसे स्वीकार करें।

चार तरह के दोस्त

चार तरह के दोस्त

जीवन में हर तरह के अनुभव के लिए और इससे सीखने के लिए हर किसी के ये चार मित्र ज़रूर होने चाहिए - प्राकृतिक मित्र, एक सामान्य उद्देश्य वाले मित्र, परिवार के मित्र और नकली मित्र।

कठिन परिश्रम करें

कठिन परिश्रम करें

अपने और अपने परिवार की बेहतरी के लिए कठिन मेहनत करें। कठिन मेहनत करें और पैसे बचाएं ताकि आपका भविष्य अच्छा हो।

सभी की सुरक्षा करें

सभी की सुरक्षा करें

एक व्यक्ति को हमेशा अपने परिवार, देश, खजाने, हथियार, दोस्त और अपने शहर की रक्षा के लिए तत्पर रहना चाहिए।

दयालु बनें

दयालु बनें

धर्म का सबसे बड़ा रूप है कि व्यक्ति जीवन, मनुष्यों, भावनाओं, पीड़ितों और अन्य चराचरों के प्रति दयालु रहे। उसे हमेशा उनकी मदद करने की कोशिश करनी चाहिए और उन्हें हर परेशानी से बचाना चाहिए।

आशाएँ ना रखें

आशाएँ ना रखें

आप दूसरों से जितनी ज़्यादा आशाएँ रखेंगे उतना ही निराश होंगे। इसलिए, संतुष्ट और शांति से रहने के लिए किसी से भी आशाएँ नहीं रखनी चाहिए।

किसी को भी चोट ना पहुंचाएं

किसी को भी चोट ना पहुंचाएं

किसी को भी शारीरिक या मानसिक रूप से नुकसान ना पहुंचाएं। एक बार दिल टूट जाये तो ठीक नहीं किया जा सकता। इसलिए, ध्यान रहे आपकी किसी बात से किसी के भी दिल या दिमाग को चोट ना पहुंचे।

सहनशील बनें

सहनशील बनें

केवल सहनशीलता से ही इच्छाओं और लालच पर काबू पाया जा सकता है।

स्वास्थ्यप्रद आहार लें

स्वास्थ्यप्रद आहार लें

बीमारियों से दूर रहने के लिए स्वास्थ्यप्रद भोजन लें।

योगाभ्यास करें

योगाभ्यास करें

योग से व्यक्ति केवल फिट ही नहीं रहता बल्कि वह भूख पर भी नियंत्रण रख सकता है।

ज्ञान प्राप्त करते रहें

ज्ञान प्राप्त करते रहें

अपने आपका आत्म-निरक्षण करते हुये व्यक्ति को लगातार ज्ञान प्राप्त करते रहना चाहिए।

English summary

bhishma pitamah teachings from his death bed of arrows

During the time that he waited for the sun to move from the south to the north direction which was considered to be an auspicious time for death, he lay there imparting some valuable lessons of life to Yudhishthir and others surrounding him.
Story first published: Tuesday, November 7, 2017, 13:03 [IST]
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