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क्या आप जानते हैं कैसे हुआ है भगवान शिव का जन्म ?
भगवान शिव के बाल मन की एकाग्रता का प्रतीक हैं, त्रिशूल मस्तिष्क को नियंत्रण में करने और ध्यान मुद्रा शांति की, सर्प अपने अहं को त्यागने का प्रतीक हैं। संसार के महादेव के रूप में भगवान शिव पूजनीय हैं। हम सभी भगवान शिव की दैवीय शक्तियों और उनके बुराई के नाशक बनने के बारे में जानते हैं। भगवान शिव के बारे में और उनसे संबंधित कई कथाएं और प्रमाण प्रचलित हैं।
लेकिन क्या कोई जानता है कि भगवान शिव के पिता कौन हैं ?
सामान्य
मान्यता
के
अनुसार
भगवान
शिव
का
कोई
पिता
नहीं
है
लेकिन
फिर
उनकी
उत्पत्ति
कैसे
हुई
?
कुछ
लोग
ब्रह्मा
जी
को
भगवान
शिव
का
पिता
बताते
हैं।
लेकिन
फिर
उनके
दादा
कौन
हैं
?
इस
प्रश्न
के
जवाब
में
भगवान
विष्णु
को
उनका
दादा
बताया
जाता
है।
अगर
ऐसा
है
तो
फिर
उनके
परदादा
कौन
थे?
जब
शिव
से
उनके
परदादा
के
बारे
में
पूछा
गया
तो
उन्होंने
कहा
कि
वो
ही
स्वयं
के
परदादा
हैं।
इस
कथा
से
एक
और
दिलचस्प
कहानी
जुड़ी
हुई
है।
एक
बार
ब्रह्मा
जी
और
भगवान
विष्णु
में
खुद
को
ज्यादा
शक्तिशाली
बताने
की
बहस
हो
रही
थी।
तब
उन्हें
तेज
प्रकाश
का
एक
स्तंभ
दिखाई
दिया।
दोनों ने उसे संसार के आखिर छोर तक खींचना शुरु किया। दोनों को ही उस स्तंभ का आखिरी और शुरुआती छोर नहीं मिल रहा था। तब उस स्तंभ से भगवान शिव प्रकट हुए।
इससे साबित होता है कि भगवान शिव के जन्म और अस्तित्व का कोई आरंभ और अंत नहीं है। भगवान शिव हर तरफ उपस्थित हैं।
इन सभी पौराणिक कथाओं के बावजूद इसे मिथक बताया जाता है। लेकिन लोगों का विश्वास है कि भगवान शिव के कई नाम और रूप हैं और वो हर रूप में अपने भक्तों की पुकार सुनते हैं। इसी कारण भगवान शिव हर जगह हैं और उनका कोई विलक्षण अस्तित्व नहीं है।