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गायत्री जयंती: विद्यार्थियों के लिए लाभकारी गायत्री मंत्र के जप का भी है नियम
हिंदू धर्म में गायत्री मंत्र को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। हर साल गायत्री जयंती ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष के ग्यारहवें दिन मनायी जाती है। आमतौर पर इस मंत्र का जप उपनयन संस्कार के बाद किया जाता है। इस मंत्र को काफी शक्तिशाली और लाभकारी माना गया है। आम जन को इस मंत्र का जप करने की सलाह दी जाती है। इस लेख के माध्यम से जानते हैं गायत्री मंत्र की खासियत तथा इसे जप करने के दौरान बरतने वाली सावधानियों के बारे में।
जप करने से वातावरण हो जाता है सकारात्मक
वेदों की कुल संख्या चार है और इन चारों वेदों में गायत्री मंत्र का जिक्र किया गया है। इस मंत्र के ऋषि विश्वामित्र हैं। इस मंत्र की शक्ति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसका नियमित तीन बार जप करने मात्र से ही उस व्यक्ति के आसपास की नकारात्मक शक्तियां, भूत प्रेत आदि दूर हो जाती हैं।
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इस मंत्र से मिलते हैं कई लाभ
गायत्री मंत्र के जप करने से व्यक्ति को कई तरह के लाभ मिलते हैं। इस मंत्र की मदद से बौद्धिक क्षमता और स्मरण शक्ति बढ़ती है। मनुष्य का समाज में तेज बढ़ता है और संकट से बाहर निकलने का मार्ग मिलता है।
मंत्र के जप के दौरान इस बात का रखें ख्याल
गायत्री मंत्र का जप सूर्योदय से दो घंटे पहले से लेकर सूर्य के अस्त होने के एक घंटे बाद तक किया जा सकता है। मौन रहकर मानसिक जप कभी भी किया जा सकता है लेकिन रात्रि में इस मंत्र का जप नहीं करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि रात के समय में गायत्री मंत्र का जप फलदायी नहीं होता है।
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विद्यार्थियों के लिए है लाभदायक
विद्यार्थियों के लिए यह मंत्र बहुत ही फायदेमंद है। स्वामी विवेकानंद भी इस बात को मान चुके हैं। उन्होंने कहा था कि गायत्री सद्बुद्धि का मंत्र है, इसलिऐ उसे मंत्रो का मुकुटमणि कहा गया है।
नियमित 108 बार गायत्री मंत्र का जप करने से बुद्धि तो तेज होती ही है, साथ ही किसी भी विषय को लंबे समय तक याद रखने की क्षमता में भी इजाफा हो जाता है।