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आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2022, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

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गुप्त नवरात्रि साल में दो बार आती है, आषाढ़ मास और माघ मास में। चूंकि इस समय गुप्त तरीके से माता की उपासना की जाती है, इसलिए इसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। इस बार आषाढ़ में गुप्त नवरात्रि 30 जून से शुरू होकर 08 जुलाई तक चलने वाली है। आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि को अत्यंत शुभ फलदायी माना जाता है। इस दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूप और दस महाविद्या की उपासना की जाती है। शास्त्रों के अनुसार गुप्त नवरात्रि के दौरान दस महाविद्या की पूजा-अर्चना से जीवन के सभी कष्टों का अंत हो जाता है। तो आइए जानते है गुप्त नवरात्रि का शुभ मुहुर्त कब का है और मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए किस तरह पूजा करनी चाहिए।

गुप्त नवरात्रि महत्व

गुप्त नवरात्रि महत्व

चैत्र और शारदीय नवरात्रि में तो मां दुर्गा की पूजा-उपासना धूम-धाम से की जाती है, लेकिन गुप्त नवरात्रि में मां की पूजा गुप्त तरीके से करने का विधान है। गुप्त नवरात्रि में खास इच्छापूर्ति और सिद्धि प्राप्त करने के लिए पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं। इस नवरात्रि में सिद्धि प्राप्त करने और तंत्र-मंत्र आदि का विशेष महत्व है। यानि इस समय किए जाने वाले जप-तप और तंत्र-मंत्र विशेष फलदायी होते है।

गुप्त नवरात्रि 2022 शुभ मुहूर्त

गुप्त नवरात्रि 2022 शुभ मुहूर्त

आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्रि की शुरुआत 30 जून, गुरुवार से प्रारंभ हो चुकी है, जिसका समापन 08 जुलाई, शुक्रवार को होगा। प्रतिपदा तिथि 29 जून 2022, सुबह 8 बजकर 21 मिनट से 30 जून 2022 को सुबह 10 बजकर 49 मिनट तक रहेगी। जिसमें अभिजित मुहूर्त - 30 जून 2022, सुबह 11 बजकर 57 से 12 बजकर 53 मिनट तक रहेगा। नवरात्र के प्रथम दिन धुव्र योग, व्याघात योग बन रहे है। वहीं मेष, कर्क, तुला और मकर राशि वालों जातकों के लिए रूचक योग तथा वृषभ, कन्या, वृश्चिक और कुंभ राशि वालों के लिए शश योग, जबकि मिथुन, कन्या, धनु और मीन राशि वालों के लिए हंस एवं मालव्य योग रहेगा। इस योग में धार्मिक कार्य करना और नवीन संबंधों का आरंभ करना फायदेमंद होता है।

गुप्त नवरात्रि 2022 पूजा विधान

गुप्त नवरात्रि 2022 पूजा विधान

घट स्थापना एवं विधि-सुबह जल्दी स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनकर ही करनी चाहिए। सबसे पहले पूर्व दिशा में एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछा कर मां दुर्गा की प्रतिमा को गुलाब की पत्तियों के आसन्न पर स्थापित करें। फिर मां को लाल चुनरी पहनाएं। इसके पश्चात मिट्टी के बर्तन में जौ के बीज बोएं और उसमें नवमी तक जल अर्पित करते रहें। फिर शुभ मुहूर्त में कलश को गंगा जल से भरें, उसके मुख पर आम की पत्तियां लगाएं और उस पर नारियल रखें। कलश को लाल कपड़े से लपेटकर उसके ऊपर मौली बांधें। अब इसे मिट्टी के बर्तन के पास रख दें। फिर मां का आहवान करते हुए घी की ज्योत लगाएं, कपूर या अगरबत्ती से धूप करें और भोग लगाएं। नवरात्रि के इन नौ दिनों तक 'दुर्गा मंत्र' की माला का जाप करें और माता के सम्मुख हाथ जोड़, उनका अपने घर में स्वागत करें व उनसे सुख-समृद्धि की कामना करें।

ऐसे करें माता की आरती

प्रत्येक दिन पूजा की समाप्ति के बाद माता की आरती की जाती है। इसके लिए कपूर, घी की बाती से माता की आरती करें। साथ ही माता से सुख-समृद्धि की कामना करें। अष्टमी या नवमी को माता की पूजा के बाद कन्या पूजन करें। इस दिन माता को पूड़ी, चना और हलवे का भोग लगाएं। नवरात्रि के आखिरी दिन मां की पूजा के बाद घट विसर्जन करें।

आधी रात से सूर्योदय तक की पूजा देती है विशेष फल

गुप्त नवरात्र के नौ दिन मां के 9 स्वरूपों के साथ ही 10 महाविद्याओं की भी खास साधना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि नवरात्र में मां के नौ रूपों की भक्ति करने से हर मनोकामना पूरी होती है। कहते है कि इस समय की गई शक्ति की साधना कुंडली के समस्त दोषों को दूर कर देती है। और साधक को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। गुप्त नवरात्र की पूजा का सबसे उत्तम समय आधी रात से सूर्योदय तक का माना गया है। इस समय की गई पूजा सबसे प्रभावशाली होती है।

English summary

gupt navratra 2022 date time ghatasthapana muhurat puja vidhi in hindi

Navratri comes twice in a year, and this time Gupt Navratri of Ashadha month will start from 30th June and will continue till 9th July. According to the scriptures, worshiping the ten Mahavidyas during Gupt Navratri ends all the troubles of life. So let's know when is the auspicious time of Gupt Navratri and how to worship Maa Durga to please her.
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