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Kajari Teej 2021: अखंड सौभाग्य के लिए हर सुहागिन करती है ये व्रत, जान लें तिथि, शुभ मुहूर्त व पूजा विधि
सुहागिन महिलाओं के लिए कजरी तीज का बड़ा महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज का व्रत रखा जाता है। कजरी तीज को बूढ़ी तीज, कजली तीज, सतूड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है। विवाहित महिलाओं के लिए ये दिन खास है। इस दिन वो निर्जला व्रत करती हैं और अपने अखंड सौभाग्य, सुखद वैवाहिक जीवन और संतान प्राप्ति की कामना करती हैं। वहीं अविवाहित कन्याएं मनपसंद जीवनसाथी के लिए ये व्रत करती हैं। जानते हैं साल 2021 में कजरी तीज का व्रत किस दिन रखा जाएगा और इस व्रत का महत्व क्या है।
कजरी तीज किस दिन मनाया जायेगा?
इस साल कजरी तीज का व्रत 25 अगस्त को बुधवार के दिन रखा जाएगा।
तृतीया तिथि प्रारम्भ: अगस्त 24, 2021 को शाम 04:04 बजे से
तृतीया तिथि समाप्त: अगस्त 25, 2021 को शाम 04:18 बजे तक।
कजरी तीज का महत्व
सावन महीने के बाद भादो महीना आता है। श्रावण मास में त्योहारों का सिलसिला जो शुरू होता है वो भादो महीने में भी जारी रहता है। चिलचिलाती गर्मी के बाद लोग तीज-त्योहारों के साथ मानसून का स्वागत करते हैं। हरियाली तीज के बाद कजरी तीज की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। इस दिन महिलाएं देवी पार्वती का पूजन करती हैं। माता पार्वती की कड़ी तपस्या के बाद ही उन्हें भगवान भोलेनाथ पति स्वरूप में मिले थे और उनका विवाह सफल हुआ। इस व्रत को करने वाली औरतें भी अपने सुखद वैवाहिक जीवन की कामनापूर्ति के लिए कजरी तीज का व्रत करती हैं।
जानें कजरी तीज व्रत की पूजन विधि
कजरी तीज का व्रत करने वाली महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त हो जाएं। इस दिन साफ़ वस्त्र पहनें और घर के पूजा घर को शुद्ध कर लें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें। कजरी तीज के दिन नीमड़ी माता का पूजन किया जाता है। ये पार्वती मां का ही रूप मानी जाती हैं। इस दिन मां को भोग लगाने के लिए मालपुआ बनाएं। आप पूजा करने के लिए मिट्टी अथवा गाय के गोबर से तालाब बना लें। इसमें नीम की टहनी रखें और उसे ऊपर से लाल चुनरी पहनाकर नीमड़ी माता की स्थापना करें।
इस दिन निर्जल व्रत रखें और स्वयं भी सोलह श्रृंगार करें। नीमड़ी मां की पूजा में उन्हें श्रृंगार की वस्तुएं ही चढ़ाएं। आप उन्हें हल्दी, मेहंदी, सिंदूर, लाल चुनरी, चूड़ियां, सत्तू और मालपुआ अर्पित करें। इस चंद्रमा के दर्शन करें और उन्हें अर्घ्य देने के बाद ही अपने पति के हाथ से जल पीकर व्रत का पारण करें। इस व्रत को करने से सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है।