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Akshay Tritiya Facts: मगर बहुत कम लोग ही जानते हैं इस दिन से जुड़ी ये जरूरी बात

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सनातन धर्म में अक्षय तृतीया तिथि को बेहद शुभ माना गया है। हर साल वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाता है। इस दिन सूर्य और चंद्रमा अपने उच्च प्रभाव में होते हैं और उनका प्रभाव तेजपूर्ण रहता है, इस वजह से इस दिन की शुभता बढ़ जाती है।

इस दिन दान-पुण्य कर्म का फल कई गुना बढ़ कर मिलता है। इस तिथि को अक्षय तृतीया या आखा तीज भी कहते हैं। अक्षय तृतीया तिथि से जुड़ी कुछ जरूरी बातें जानते हैं जो इस दिन को ख़ास बनाते हैं।

मिलता है अक्षय फल

मिलता है अक्षय फल

इस दिन से जुड़ी ये मान्यता है कि इस दिन जो भी काम किया जाता है उसमें व्यक्ति को बरकत मिलती है। अच्छे कर्मों का अक्षय फल मिलता है। वहीं यदि इस दिन बुरे कर्म किये जाए तो उसका परिणाम भी पीछा नहीं छोड़ता है।

अक्षय तृतीय जैसी कोई तिथि नहीं

अक्षय तृतीय जैसी कोई तिथि नहीं

"न माधव समो मासो न कृतेन युगं समम्।

न च वेद समं शास्त्रं न तीर्थ गंगयां समम्।।"

वैशाख के समान कोई मास नहीं है, सत्ययुग के समान कोई युग नहीं हैं, वेद के समान कोई शास्त्र नहीं है और गंगाजी के समान कोई तीर्थ नहीं है। उसी तरह अक्षय तृतीया के समान कोई तिथि नहीं है।

सतयुग की शुरुआत

सतयुग की शुरुआत

पुराणों की मानें तो इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान, दान, जप, स्वाध्याय आदि करना शुभ तथा फलदायी माना जाता है। इस तिथि में किए गए शुभ कर्म का फल क्षय नहीं होता है इसको सतयुग के आरंभ की तिथि भी माना जाता है इस वजह से इस दिन को 'कृतयुगादि' तिथि भी कहा जाता है। सतयुग के अलावा द्वापर और त्रेतायुग के प्रारंभ की गणना इसी तिथि से होती है।

भाग्य और सफलता से जुड़ा है ये दिन

भाग्य और सफलता से जुड़ा है ये दिन

अक्षय तृतीया के दिन लोग विशेषतौर पर नया वाहन, गृह प्रवेश करना, आभूषण खरीदना इत्यादि जैसे कार्य करते हैं। ऐसी मान्यता है कि यह दिन सभी के जीवन में अच्छा भाग्य और सफलता लेकर आता है। यही एक बढ़ी वजह अहि कि इस दिन लोग जमीन जायदाद संबंधी कार्य, शेयर मार्केट में निवेश, रियल एस्टेट के सौदे या किसी नए बिजनेस की शुरुआत करते हैं। बिना पंचांग देखे इस दिन को श्रेष्ठ मुहुर्तों में शामिल किया जाता है।

भगवान विष्णु के छठे अवतार और मां गंगा का अवतरण

भगवान विष्णु के छठे अवतार और मां गंगा का अवतरण

धरती पर देवताओं के 24 रूपों में अवतार लेने के बारे में बताया गया है। इनमें छठा अवतार भगवान परशुराम का था। पुराणों के अनुसार उनका जन्म अक्षय तृतीया तिथि को हुआ था। इसी शुभ दिन पर भगवान विष्णु के चरणों से धरती पर गंगा अवतरित हुई।

रविवार का दिन बढ़ाता है शुभता

रविवार का दिन बढ़ाता है शुभता

यदि अक्षय तृतीया रविवार को हो तो यह दिन सर्वाधिक शुभ और पुण्यदायी होने के साथ-साथ अक्षय प्रभाव रखने वाली भी हो जाती है।

भगवान विष्णु की उपासना

भगवान विष्णु की उपासना

कलियुग के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु की आराधना करके दान अवश्य करना चाहिए। इसका लाभ आने वाले समय में जरुर मिलेगा।

वैशाख माह की महत्ता

वैशाख माह की महत्ता

वैशाख महीने में अक्षय तृतीया का पर्व आने की वजह से इस माह की महत्ता काफी मानी गई है। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाए जाने वाले इस पर्व का उल्लेख मत्स्य पुराण, नारदीय पुराण, विष्णु धर्म सूत्र तथा भविष्य पुराण आदि में मिलता है।

इन चीजों का करें दान

इन चीजों का करें दान

इस दिन पवित्र नदी में स्नान करके सामर्थ्य अनुसार जल, दही, सत्तू, फल, सुराही, अनाज, गन्ना, हाथ से बने पंखे, वस्त्र आदि का दान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। इस दिन जरुरतमंदों की मदद करना फलदायी होता है। दान करने से जाने-अनजाने हुए पापों का बोझ हल्का होता है

English summary

Lesser Known Facts about Akshaya Tritiya in Hindi

Here is the list of some lesser-known facts about Akshaya Tritiya in Hindi.
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