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अकाल मृत्यु से बचना है तो नरक चतुर्दशी पर करें यम देव की पूजा
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्थी पड़ती है। इसे छोटी दिवाली, रूप चौदस, नरक चौदस, रूप चतुर्दशी अथवा नरका पूजा के नामों से भी जाना जाता है। नरक चतुर्दशी दिवाली के ठीक एक दिन पहले और धनतेरस के एक दिन बाद आती है। इस बार नरक चतुर्दशी 23 अक्टूबर रविवार को है। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि नरक चतुर्दशी के दिन यमराज की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। कहते हैं इस दिन तर्पण और दीप दान करने से नरक की यातनाएं से भी मुक्ति मिलती है और मनुष्य को स्वर्ग लोक में जगह मिलती है।
आइए आपको नरक चतुर्दशी से जुड़ी कुछ खास बातें बताते हैं।
नरक चतुर्दशी तिथि और शुभ मुहूर्त
23 अक्टूबर को शाम 06 बजकर 03 मिनट से चतुर्दशी तिथि की शुरुआत हो रही है जो 24 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 27 मिनट पर समाप्त होगी।
नरक चतुर्दशी पूजा विधि
नरक चतुर्दशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। फिर साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें। यम देव के साथ साथ आप श्री कृष्ण, काली माता, भगवान शिव, हनुमान जी और विष्णु जी के वामन रूप की भी पूजा करें। इन सभी देवी देवताओं की मूर्ति या चित्र आप ईशान कोण में स्थापित करें। उसके बाद भगवान को तिलक लगाएं ,धूप जलाएं, दीपक जलाएं और पुष्प अर्पित करें। आप मंत्रों का जाप भी करें। आप दक्षिण दिशा की ओर अपना मुख करके यमदेव से प्रार्थना करें। इस दिन यम देव के लिए आप सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
नरक चतुर्दशी की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार नरकासुर नामक एक राक्षस के आतंक से सभी देवी देवता और ऋषि मुनि बेहद परेशान हो गए थे। नरकासुर ने कुल 16000 स्त्रियों को बंधक बनाकर रखा था। अपनी इस समस्या के समाधान के लिए सभी भगवान श्री कृष्ण के पास पहुंचे। तब भगवान ने अपनी पत्नी सत्यभामा की मदद से नरकासुर का वध किया था। चूंकि नरकासुर को किसी स्त्री के हाथ से मरने का श्राप मिला था इसलिए भगवान ने अपनी पत्नी की मदद ली थी। बाद में श्री कृष्ण ने सभी 16000 स्त्रियों को नरकासुर की कैद से आजाद कराया था। यह 16000 स्त्रियां भगवान की पटरानियों के नाम से जानी जाती है। जिस दिन नरकासुर का वध हुआ उस दिन कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि थी।
नरक चतुर्दशी का महत्व
कहते हैं नरक चतुर्दशी के दिन यम देव की पूजा करने से मनुष्य की अकाल मृत्यु नहीं होती है, साथ ही सभी पापों से भी मुक्ति मिलती है। इसके अलावा कहा जाता है कि नरक चतुर्दशी के दिन दीपक जलाने से मृत्यु के बाद स्वर्ग लोक में स्थान मिलता है।