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परिवर्तिनी एकादशी के दिन नींद में भगवान विष्णु लेते हैं करवट, जानें इस साल का शुभ मुहूर्त और महत्व
हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी का दिन परिवर्तिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी के दिन अगले चार महीने के लिए शयन मुद्रा में चले जाते हैं और देवउठनी एकादशी के दिन जागते हैं।
इस बीच माना जाता है कि परिवर्तिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु निद्रा अवस्था में ही करवट बदलते हैं। उनके स्थान में परिवर्तन होने की वजह से ही इस एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी का नाम दिया गया है। ऐसी मान्यता है कि परिवर्तिनी एकादशी का व्रत करने से वाजपेय यज्ञ के समान फल मिलता है। इस साल परिवर्तिनी एकादशी का व्रत 29 अगस्त शनिवार के दिन रखा जाएगा।
परिवर्तिनी एकादशी शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि आरंभ 28 अगस्त शुक्रवार की सुबह 08 बजकर 38 मिनट पर
एकादशी तिथि समाप्त 29 अगस्त शनिवार की सुबह 08 बजकर 17 मिनट पर
पारण का समय 30 अगस्त रविवार की सुबह 05 बजकर 58 मिनट से 08 बजकर 21 मिनट तक
परिवर्तिनी एकादशी पूजा विधि
इस दिन व्रती को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि करके साफ़ वस्त्र पहनने चाहिए। घर के पूजास्थल की साफ़ सफाई करें। अब गंगाजल डालकर उस स्थान को पवित्र कर लें। अब व्रती एक चौकी ले और उस पर पीले रंग का कपड़ा बिछा दें। इस पर भगवान लक्ष्मी नारायण की प्रतिमा विराजित करें। दीपक जला लें और प्रतिमा पर कुमकुम या चंदन का तिलक लगाएं। अब हाथ जोड़कर श्री हरि का ध्यान करें। भगवान विष्णु को तुलसी बेहद प्रिय है इसलिए प्रतिमा पर तुलसी के पत्ते और पीले फूल अर्पित करें। अब विष्णु चालीसा, विष्णु स्तोत्र और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। इस दिन भगवान विष्णु के मंत्रों या नाम का जाप करने से कृपा बनी रहती है। भगवान विष्णु जी की आरती करें। साथ ही पूजा में हुई किसी भी तरह की गलतियों के लिए उनसे क्षमा मांगें। आप प्रभु विष्णु को किसी पीले फल या मिठाई का भोग लगा सकते हैं।
परिवर्तिनी एकादशी का महत्व
हिंदू धर्म में परिवर्तिनी एकादशी के दिन को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। इस दिन भगवान विष्णु के स्मरण और पूजा से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु के पांचवे अवतार वामन रूप की पूजा होती है। पद्म पुराण में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण जी ने कहा है कि परिवर्तिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के वामन रूप की पूजा करनी चाहिए क्योंकि भगवान इन चार महीनों में वामन रूप में ही पाताल में निवास करते हैं। इसी दिन वामन जयंती भी मनाई जाती है।