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पूरे साल में शरद पूर्णिमा की रात होती है बेहद खास, आसमान से बरसता है अमृत
साल में आने वाली हर पूर्णिमा का महत्व है मगर शरद पूर्णिमा बाकि सब में बेहद ख़ास है। शास्त्रों के अनुसार यह दिन आमजन के लिए लाभकारी है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है।
इस तिथि के साथ ही शरद ऋतु की आमद हो जाती है इसलिए इसे शरद पूर्णिमा का नाम दिया गया है। इसके अलावा इसे कोजगारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है शरद पूर्णिमा की रात में चंद्रमा की किरणों से अमृत वर्षा होती है। जानते हैं इस साल शरद पूर्णिमा की तिथि और इसका महत्व क्या है।
शरद पूर्णिमा की तिथि
इस साल शरद पूर्णिमा 30 अक्टूबर, शुक्रवार को पड़ रही है।
पूर्णिमा आरम्भ: अक्टूबर 30, 2020 को 17:47:55 से
पूर्णिमा समाप्त: अक्टूबर 31, 2020 को 20:21:07 पर
शरद पूर्णिमा का महत्व
शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा, कोजागिरी पूर्णिमा या कौमुदी व्रत भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा अपनी सभी 16 कलाओं से परिपूर्ण होते हैं और पृथ्वी पर अमृत की वर्षा करते हैं। इस रात चंद्रमा की किरणें पवित्र अमृत के समान हो जाती हैं। चांद की चमकती किरणें जब पेड़ पौधे और धरती के एक एक कण पर पड़ती है तब उनमें भी शुभता का संचार हो जाता है।
शरद पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी पूजा
शरद पूर्णिमा की तिथि के साथ लक्ष्मी पूजन से जुड़ी मान्यता भी है। ऐसा कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात में मात लक्ष्मी स्वर्गलोक से पृथ्वी पर आती हैं। वो घर घर जाकर सबको वरदान देती हैं मगर जो लोग दरवाजा बंद करके सोते हैं उनके द्वार से वह लौट जाती हैं। इस दिन लक्ष्मी जी की पूजा करने वाले व्यक्ति को कर्ज से मुक्ति मिलती है।
शरद पूर्णिमा से खीर का संबंध
शरद पूर्णिमा की शाम को खीर बनाने की परंपरा है। खीर तैयार करके खुले आसमान के नीचे रख दिया जाता है और लोगों की आस्था हे कि रात में चंद्रमा से बरसने वाला अमृत खीर को भी पावन कर देता है। इसे सुबह प्रसाद के रूप में खाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस खीर के सेवन से व्यक्ति रोग मुक्त होता है और उसकी आयु लंबी होती है। यह प्रसाद सेहत के साथ मानसिक रूप से भी मजबूती देता है।