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जिंदगीभर घमंड नहीं करेंगे जब पढ़ेंगें, किस तरह कुबेर के घमंड को चूर किया था गणेश ने

यह एक पौराणिक कथा है। कुबेर तीनों लोकों में सबसे धनी थे। एक दिन उन्होंने सोचा कि हमारे पास इतनी संपत्ति है, लेकिन कम ही लोगों को इसकी जानकारी है।

By Super Admin
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यह एक पौराणिक कथा है। कुबेर तीनों लोकों में सबसे धनी थे। एक दिन उन्होंने सोचा कि हमारे पास इतनी संपत्ति है, लेकिन कम ही लोगों को इसकी जानकारी है।

इसलिए उन्होंने अपनी संपत्ति का प्रदर्शन करने के लिए एक भव्य भोज का आयोजन करने की बात सोची। उस में तीनों लोकों के सभी देवताओं को आमंत्रित किया गया।

भगवान शिव उनके इष्ट देवता थे, इसलिए उनका आशीर्वाद लेने वह कैलाश पहुंचे और कहा, प्रभु, आज मैं तीनों लोकों में सबसे धनवान हूं, यह सब आप की कृपा का फल है।

अपने निवास पर एक भोज का आयोजन करने जा रहा हूँ, कृपया आप परिवार सहित भोज में पधारने की कृपा करे।

जब शिव जान गए कुबेर के मन का अहंकार

जब शिव जान गए कुबेर के मन का अहंकार

भगवान शिव कुबेर के मन का अहंकार जान गए, बोले, वत्स! मैं बूढ़ा हो चला हूँ, कहीं बाहर नहीं जाता। कुबेर प्राथना करने लगे, भगवन! आपके बगैर तो मेरा सारा आयोजन बेकार चला जाएगा। तब शिव जी ने कहा, एक उपाय है। मैं अपने छोटे बेटे गणपति को तुम्हारे भोज में जाने को कह दूंगा। कुबेर संतुष्ट होकर लौट आए।

 तीनों लोकों के देवता पहुंचे कुबेर के घर

तीनों लोकों के देवता पहुंचे कुबेर के घर

नियत समय पर कुबेर ने भव्य भोज का आयोजन किया। तीनों लोकों के देवता पहुंच चुके थे। अंत में गणपति आए और आते ही कहा, मुझको बहुत तेज भूख लगी है। भोजन कहां है। कुबेर उन्हें ले गए भोजन से सजे कमरे में। सोने की थाली में भोजन परोसा गया। क्षण भर में ही परोसा गया सारा भोजन खत्म हो गया।

तभी गणेश खा गए पूरा खाना

तभी गणेश खा गए पूरा खाना

दोबारा खाना परोसा गया, उसे भी खा गए। बार-बार खाना परोसा जाता और क्षण भर में गणेश जी उसे चट कर जाते। थोड़ी ही देर में हजारों लोगों के लिए बना भोजन खत्म हो गया, लेकिन गणपति का पेट नहीं भरा। वे रसोईघर में पहुंचे और वहां रखा सारा कच्चा सामान भी खा गए, तब भी भूख नहीं मिटी।

फिर गणपति ने कुबेर का बनाया मज़ाक

फिर गणपति ने कुबेर का बनाया मज़ाक

जब सब कुछ खत्म हो गया तो गणपति ने कुबेर से कहा, जब तुम्हारे पास मुझे खिलाने के लिए कुछ था ही नहीं तो तुमने मुझे न्योता क्यों दिया था। तभी कुबेर शंकरजी के पास आए और हाथ जोड़कर माफी मांगते हुए बोले कि मैं अपने कर्म से शर्मिंदा हूं और मैं समझ गया हूं कि मेरा अभिमान आपके आगे कुछ नहीं।

तब शंकर ने कुबेर को दिये मुठ्ठीभर चावल

तब शंकर ने कुबेर को दिये मुठ्ठीभर चावल

तब भगवान शंकर ने उन्हें मुट्ठी भर चावल दिए और कहा यह गणेश को खिला दो उसकी भूख समाप्त हो जायेगी। तब कहीं जाकर गणेश लौटे, लेकिन धन के देवता को सबक सीखाने में कामयाब रहे। इस प्रकार गणेश ने कुबेर को यह याद दिलाया कि कैसा भी धन भूख को संतुष्ट नहीं कर सकता अगर वह अहंकार में आकर खिलाया गया हो।

कुबेर का घमंड हुआ चूर

कुबेर का घमंड हुआ चूर

अगर यही कुबेर ने प्यार और विनम्र से सबको भोजन कराया होता तो उसको सबका आशीर्वाद मिलता। इस कहानी से हमे यह शिक्षा मिलती है कि इंसान की हमेशा ही विनम्र और सादगीपूर्ण स्वभाव रखना चाहिए। फिर चाहे हम कितना ही धन दौलत क्यों न कमा लें।

English summary

Tale of Lord Ganesha and Kubera will teach you an important lesson

This is the story of Lord Kubera’s humbling by Lord Ganesh, whose legendary intellect and wit was no match for Kubera.
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