Just In
- 1 hr ago Blackheads Removal Tips: नहीं निकल रहे हैं ठुड्डी पर धंसे हुए ब्लैकहेड्स? 5 मिनट में ये नुस्खें करेंगे काम
- 2 hrs ago आम पन्ना से 10 गुना ज्यादा ठंडक देता है इमली का अमलाना, लू से बचने का है देसी फार्मूला
- 3 hrs ago रूबीना दिलैक ने शेयर किया स्तनपान से जुड़ा दर्दनाक एक्सपीरियंस, नई मांए ने करें ये गलती
- 4 hrs ago Gajalakshmi Yog April 2024: 12 वर्षों के बाद मेष राशि में बनेगा गजलक्ष्मी राजयोग, इन 3 राशियों पर बरसेगा पैसा
Don't Miss
- News हरियाणा में कांग्रेस किस-किस पर लगा सकती है दांव? सामने आए संभावित उम्मीदवारों के नाम
- Movies VIDEO: कैटरीना कैफ ने मिसेज खान बनने का मौका दिया, सलमान खान ने भरी महफिल में उड़ाई खिल्ली
- Technology Vivo के इस 5G फोन की कल होने जा रही एंट्री, लॉन्च से पहले कीमत से लेकर फीचर्स तक की डिटेल लीक
- Travel हनुमान जयंती : वो जगहें जहां मिलते हैं हनुमान जी के पैरों के निशान
- Finance Employee Count: देश की टॉप IT कंपनियों में कम हो गए 63,759 कर्मचारी, जानें किस कंपनी में कितने लोग हुए कम
- Automobiles 3 करोड़ की कार में वोट डालने पहुंचे साउथ सिनेमा के दिग्गज स्टार Dhanush, फैंस ने किया स्वागत
- Education ग्राफिक डिजाइन कोर्स
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
जानिये क्यूं मनाई जाती है गणेश चतुर्थी
भारत में मनाएं जाने वाले प्रमुख त्योहार में से एक त्योहार, गणेश चतुर्थी है। इस दिन भगवान गणेश का जन्म मनाया जाता है। भगवान गणेश को हिंदू धर्म में ज्ञान, बुद्धि और अच्छे भाग्य का प्रतीक माना जाता है।
इस पर्व को विनायक चतुर्थी के नाम से भी जानते हैं। इस दिन, महाराष्ट्र राज्य के हर घर में उत्सव का माहौल होता है।
READ: घर में कहां करें भगवान गणेश की स्थापना
क्या है इसका इतिहास
गणेश चतुर्थी को सबसे पहले छत्रपति शिवाजी महाराज ने मराठा क्षेत्र में मनाया था। दंत कथाओं में यह बतलाया जाता है कि इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव के पुत्र के रूप में गणेश जी का आर्भिभाव हुआ था।
READ: भगवान गणेश की कृपा चाहिये तो चढ़ाइये उनके पसंदीदा फूल
भगवान
गणेश
के
जन्म
को
लेकर
कई
प्रकार
की
कथाएं
कही
जाती
हैं।
सबसे
प्रचलित
कथा
यह
है
कि
एक
बार
भगवान
शिव
कहीं
बाहर
गए
हुए
थे,
उनकी
अनुपस्थिति
में
देवी
पार्वती
ने
अपने
शरीर
पर
उबटन
लगाया।
उबटन
को
छुड़ाकर
उन्होने
एक
मूर्ति
बना
दी,
उससे
बाल
गणेश
का
सृजन
हुआ।
इसके
बाद,
देवी
पार्वती
नहाने
के
लिए
चली
गई
और
उन्होने
बाल
गणेश
को
अपने
दरवाजे
पर
पहरा
देने
के
लिए
कहा।
बाल गणेश, दरवाजे पर पहरा देने लगे कि तभी भगवान शंकर आ गए। उन्होने अंदर जाने का प्रयास किया तो गणेश ने उन्हे रोक दिया। भगवान शंकर को गुस्सा आ गया, उन्होने गणेश का सिर, धड़ से अलग कर दिया। तब तक माता पार्वती निकल आई।
READ:गणेश पूजा की विधि और रस्में
उन्हें देखकर क्रोध आ गया। उन्होने काली का रूप धर लिया। भगवान शंकर ने पूरी बात सुनने के बाद क्षमा मांगी और गणेश को जीवित करने का हल ढूंढा।
उन्होने अपने गणों से कहा किसी ऐसे बच्चे का सिर ले आना, जिसकी मां उसकी तरफ पीठ करके सो गई हों। गण, एक हथिनी के बच्चे का सिर ले आएं, जो दूसरी ओर मुंह करके सोई थी। भगवान शंकर ने उस सिर को गणेश के धड़ से जोड़ दिया।
इस प्रकार, बाल गणेश पुन: जीवित हो गए और माता पार्वती प्रसन्न हो गई। तब से इस दिन को गणेश चतुर्थी के नाम से जानते हैं। पूरे महाराष्ट्र में इस पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है।