Just In
- 1 hr ago Curd Benefits For Skin: रोजाना चेहरे पर दही मलने से पिग्मेंटेशन और मुंहासे की हो जाएगी छुट्टी, खिल उठेगा चेहरा
- 3 hrs ago IPL 2024: कौन हैं क्रिकेटर केशव महाराज की स्टाइलिश वाइफ लेरिशा, इंडिया से हैं स्पेशल कनेक्शन
- 5 hrs ago 'हीट वेव' से बचाने के लिए चुनाव आयोग ने जारी की एडवाइजरी, सेफ रहने के लिए हाइड्रेड रहें और ये काम न करें
- 7 hrs ago तपती गर्मी में भी नहीं सूखेगा तुलसी का पौधा, बस अपनाएं ये छोटे-छोटे टिप्स
Don't Miss
- News 'DHONI ने साक्षी भाभी के अलावा सिर्फ मुझे ही...', रविंद्र जडेजा ने किया बड़ा खुलासा
- Movies 34 सालों से करिश्मा कपूर के साथ लगातार हो रहा है ऐसा... अब हसीना ने तोड़ ही दी चुप्पी
- Technology Amazon से Samsung, Oneplus समेत इन फोल्डेबल फोन्स को सस्ते में खरीदें, जल्दी करें, यहां देखें लिस्ट
- Travel खुल गया है लद्दाख पहुंचने का नया रास्ता, मनाली से लेह को जोड़ने वाला यह है सबसे छोटा रूट
- Finance 4 ETF Mutual Fund ने 3 साल में इन्वेस्टरों को दिया जबरदस्त रिटर्न
- Education एनआईओएस कक्षा 10वीं, 12वीं हॉल टिकट 2024 हुए जारी, जानें कैसे करें डाउनलोड
- Automobiles Tesla को टक्कर देने के लिए Xiaomi ने लॉन्च की पहली इलेक्ट्रिक कार, सिंगल चार्ज में मिलेगी 810KM की रेंज
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
वरलक्ष्मी व्रत: सुहाग की सलामती और समृद्धि पाने के लिए रखें मां लक्ष्मी के इस रुप का व्रत
माता लक्ष्मी की उपासना करके मनुष्य सुख, समृद्धि और खुशियां प्राप्त कर सकता है। वरलक्ष्मी व्रत और पूजन धन की देवी माँ लक्ष्मी को समर्पित है। पवित्र हिंदू ग्रंथों में इस व्रत और पूजा को बहुत ही महत्वपूर्ण बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो भी व्यक्ति पूरे विधि विधान से माँ लक्ष्मी की पूजा करता है, माता की कृपा उस पर ज़रूर बरसती है और उसके जीवन में कभी धन धान्य की कमी नहीं होती।
कहते हैं मनुष्य की एक छोटी सी गलती भी माता को अप्रसन्न कर सकती है जिससे माता सदैव के लिए वह स्थान छोड़कर जा सकती है और उस मनुष्य के जीवन में दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है। माता को सिर्फ सच्ची भक्ति चाहिए। एक कथा के अनुसार एक बार माता विष्णु जी से रूठकर चली गयी थीं जिससे पूरा देवलोक श्रीहीन हो गया था और चारों तरफ हाहाकार मच गया था।
वरलक्ष्मी का व्रत कब होता है?
वरलक्ष्मी व्रत जिसे वरमहालक्ष्मी व्रत के नाम से भी जाना जाता है, श्रावण मास के आखिरी शुक्रवार को पड़ता है जो रक्षाबंधन के कुछ दिनों पूर्व आता है। यह व्रत श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की दसवीं तिथि को पड़ती है। आपको बता दें इस बार वरलक्ष्मी का व्रत 24 अगस्त, 2018, शुक्रवार को है।
वैसे तो हर शुक्रवार माता लक्ष्मी को समर्पित होता है लेकिन श्रावण माह का शुक्रवार बहुत ही शुभ माना जाता है। इस व्रत को वरलक्ष्मी जयंती भी कहते हैं। वरलक्ष्मी व्रत और पूजा की महत्ता ख़ास तौर पर दक्षिण भारत में ज़्यादा है लेकिन अब इस दिन उत्तर भारत के लोग भी पूरी श्रद्धा और भक्ति से माता की पूजा और व्रत करते हैं।
वरलक्ष्मी व्रत और पूजन के लाभ
वरलक्ष्मी का अर्थ होता है वर यानी वरदान और लक्ष्मी यानी धन इसलिए जो भी मनुष्य इस दिन व्रत और पूजा करता है माता उसे वरदान स्वरुप सुखी जीवन का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। इसके अलावा उपासक के जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं जैसे आर्थिक परेशानी, क़र्ज़ आदि से मुक्ति मिलती है। साथ ही परिवार में खुशियां और शांति बनी रहती है।
इस व्रत के कुल आठ लाभ हैं:
श्री:
धन,
भू:
जायदाद,
सरस्वती:
ज्ञान,
प्रीति:
प्रेम,
शांति,
संतुष्टि:
पूर्ति,
पुष्टि:
सेहत
विवाहित महिलाएं ही कर सकती हैं वरलक्ष्मी व्रत और पूजन
कहा जाता है कि वरलक्ष्मी व्रत और पूजन केवल विवाहित स्त्रियां ही कर सकती हैं। कुँवारी कन्याओं को इस पूजा को करने की मनाही होती है। यहां तक कि विवाहित पुरुष भी परिवार में सुख, शांति और समृद्धि के लिए इस दिन पूजा और व्रत कर सकते हैं। यदि पति और पत्नी दोनों मिलकर माँ लक्ष्मी की पूजा करें और साथ ही व्रत रखें तो इसे अत्यंत शुभ माना जाता है।
वरलक्ष्मी व्रत और पूजा विधि
माना जाता है कि माता लक्ष्मी की उत्पत्ति समुद्र मंथन से यानी शीर सागर से हुई है इसलिए माता सफ़ेद वस्त्र भी धारण करती हैं। कहते हैं इस दिन वरमहालक्ष्मी की आराधना का अर्थ उनके आठों रूपों की आराधना करना होता है। इस दिन की पूजा दिवाली की पूजा के समान ही होती है।
1.
ब्रह्ममुहूर्त
में
स्नान
करने
के
पश्चात
उपासक
पूजा
के
स्थान
पर
गंगा
जल
छिड़क
ले।
2.
लकड़ी
की
चौकी
पर
माता
लक्ष्मी
और
श्री
गणेश
की
मूर्ति
को
स्थापित
करें।
3.
मूर्तियों
को
नए
वस्त्र
और
ज़ेवर
पहनाएं।
4.
अब
फल
और
फूल
चढ़ाएं।
5.
कलश
की
स्थापना
करें।
इसके
लिए
कलश
में
पानी
भर
कर
उस
पर
एक
नारियल
रखें।
6.
माता
के
आगे
दीया
जलाएं
और
वरलक्ष्मी
की
कथा
पढ़ें।
7.
अब
महिलाओं
में
प्रसाद
वितरित
करें।
व्रत
रखने
वाले
भक्त
शाम
की
पूजा
के
बाद
केवल
फलों
का
सेवन
करें।