Just In
- 54 min ago
सपने में पानी का दिखाई देना देता है धन का संकेत, जानें कब मिलते हैं अशुभ परिणाम
- 2 hrs ago
पेट्स मेडिटेशन से स्ट्रेस से मिलती है मुक्ति और क्रिएटिविटी में होता है सुधार, विशेषज्ञ से जानें लाभ और तकनीक
- 4 hrs ago
अशुभ माने जाते हैं ये पौधे, घर में लगाएंगे तो छीन जाएगी खुशहाली और शुरू हो जाएगा बुरा वक़्त
- 6 hrs ago
गर्मियों में तुरई का जूस पीएं, डायबिटीज में मरीजों के लिए है फायदेमंद
Don't Miss
- News
Gucci की इस 1 लाख की छतरी ने चीन में मचाया हंगामा, लेकिन बारिश से नहीं बचा पाता है ये छाता
- Automobiles
तैयार हो जाइए, 20 जून को पेश होने वाली है 2022 Mahindra Scorpio, जानें क्या होने वाला है नया
- Finance
उल्टी चाल : सोना महंगा हुआ तो चांदी हुई सस्ती, जानिए रेट
- Movies
कांस फिल्म फेस्टिवल में उर्वशी रौतेला ने पहना 3 करोड़ का गाउन, देखते ही उड़ेगे होश!
- Technology
आज शाम 7:30 बजे लॉन्च होगा OnePlus Nord 2T 5G ,जाने क्या है खास
- Travel
मानसून के सीजन में इन खूबसूरत जगहों पर लें बारिश का मजा
- Education
Govt Jobs 2022: टॉप 5 सरकारी नौकरी के लिए 10वीं पास आवेदन करें
- Sports
जोकोविच ने कोरोना को लिया हल्के में, अब सामने आया राफेल नडाल का बयान
Vat Savitri Vrat 2022: पति की लंबी उम्र के लिए सोलह श्रृंगार करके रखा जाता है वट सावित्री व्रत
हिन्दू धर्म में पत्नियों द्वारा पति की दीर्घायु और स्वास्थ्य के लिए कई व्रत रखे जाते हैं, उनमें से ही एक महत्वपूर्ण व्रत है वट सावित्री का व्रत। वट सावित्री का व्रत ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि के दिन रखा जाता है। यह व्रत हर सुहागन के लिए विशेष महत्व का होता है। इस व्रत में वे भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और बरगद वृक्ष की विधि विधान से पूजा कर अपने पति की लंबी आयु और स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करती हैं। तो जानते हैं हिन्दू विवाहितों के लिए इस अतिविशेष वट सावित्री व्रत के बारे में -

तिथि एवं मुहूर्त
इस वर्ष वट सावित्री का व्रत 30 मई, सोमवार को रखा जायेगा। अमावस्या तिथि की शुरुआत 29 मई की दोपहर 02:54 बजे से होगी और समापन 30 मई की शाम 04:59 बजे होगा।
इस वर्ष वट सावित्री पूजा के दिन सोमवती अमावस्या का भी संयोग बन रहा है। यह वर्ष की अंतिम सोमवती अमावस्या होगी।

वट सावित्री के लिए पूजन सामग्री
सत्यवान-सावित्री की मूर्ति, धूप, मिट्टी का दीपक, घी, फूल, फल, 24 पूरियां, 24 बरगद फल (आटे या गुड़ के) बांस का पंखा, लाल धागा, कपड़ा, सिंदूर, जल से भरा हुआ पात्र और रोली।

पूजन विधि
सुबह उठकर स्नानादि से निवृत होकर घर के मंदिर में पूजा करें और निर्जला व्रत का संकल्प लें। 24 बरगद फल और 24 पूरियां अपने आँचल में रखकर बरगद वृक्ष की पूजा के लिए जायें। 12 पुरियां और 12 फलों को वट वृक्ष पर चढ़ा दें। इसके बाद वट वृक्ष पर एक लोट जल चढ़ाएं और वट वृक्ष को हल्दी, रोली और अक्षत लगाएं। अब फल और मिठाई अर्पित करें और धूप जलाकर पूजा करें। वट वृक्ष के नीचे सत्यवान सावित्री की मूर्ति को स्थापित करे और उसकी विधि विधान पूजा करें। अब वट वृक्ष में कच्चे सूत को लपटते हुए 12, 21, 51, 108 जितनी बार संभव हो उतनी परिक्रमा करें एवं हर परिक्रमा पर एक भीगा हुआ चना चढ़ाते जाएं और परिक्रमा पूरी होने के बाद सत्यवान व सावित्री की कथा सुनें। प्रसाद में चढ़े फल और पूरियां खाकर व्रत का पारण करें।

वट सावित्री व्रत का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वट वृक्ष के नीचे बैठकर ही सावित्री ने अपने पति सत्यवान को दोबारा जीवित किया था। इसी दिन सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस ले आई थीं। इस व्रत में महिलाएं सावित्री की कथा से प्रेरित होकर ही अपने पति की दीर्घायु की कामना तीनों देवताओं से करती हैं, ताकि उनके पति को सुख-समृद्धि, अच्छा स्वास्थ्य और दीर्घायु प्राप्त हो सके।
नोट: यह सूचना इंटरनेट पर उपलब्ध मान्यताओं और सूचनाओं पर आधारित है। बोल्डस्काई लेख से संबंधित किसी भी इनपुट या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी और धारणा को अमल में लाने या लागू करने से पहले कृपया संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।