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गोवर्धन पूजा क्यूं मनाई जाती है, जानें कारण
गोवर्धन पूजा या अन्नकूट पूर्व दीवाली के अगले दिन मनाया जाता है। इस दिन भगवान इंद्र की पूजा की जाती थी लेकिन श्री कृष्ण ने उनकी पूजा बंद करा कर गोवर्धन पूजा आरंभ की। अच्छी फसल के लिए वृंदावन (पृथ्वी पर भगवान कृष्ण का निवासस्थान) के निवासी इंद्र देवता की पूजा किया करते थे तथा उनके सम्मान के रूप में इस दिन एक उत्सव आयोजित किया जाता था।
क्या
आप
जानते
हैं
कि
भगवान
कृष्ण
की
16,000
पत्नियां
क्यों
थी?
भगवान
इंद्र
सभी
देवों
में
उच्च
हैं
तथा
उन्हें
स्वर्ग
का
राजा
भी
कहा
जाता
है।
जब
भगवान
कृष्ण
को
यह
पता
चला
कि
अपने
इस
पद
के
कारण
भगवान
इंद्र
अहंकारी
होते
जा
रहे
हैं,
तब
उन्होंने
वृंदावन
के
निवासियों
को
समझाया
कि
गोवर्धन
की
उपजाऊ
मिट्टी
के
कारण
यहां
घास
उगती
है।
क्यूं पड़ गया श्री कृष्ण के शरीर का रंग नीला ?
इस
हरी
घास
को
गाय
व
बैलें
चरती
हैं
एवं
हमें
दूध
देती
हैं
तथा
खेतों
की
जुताई
में
हमारी
मदद
करती
हैं।
इस
वजह
से
आपको
इंद्र
देवता
की
नहीं
बल्कि
गोवर्धन
पर्वत
को
पूजना
चाहिए।
यह
जानकर
इंद्र
देवता
क्रोधित
हो
उठे
और
उन्होंने
मूसलाधार
जल
बरसाया।
इंद्र के प्रकोप से वृंदावन के वासियों को बचाने के लिए श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपने बाएं हाथ की कनिष्ठ उंगली पर उठाया। यह मूसलाधार वर्षा सात दिनों तक जारी रही।
भगवान कृष्ण की महिमा के सामने भगवान इंद्र हार गए। माफी मांगने के लिए भगवान इंद्र स्वर्ग से नीचे उतरे और तब उन्हें यह एहसास हुआ की वे इस जगत के राजा नहीं बल्कि त्रिदेवों के सेवक हैं। इस तरह भगवान कृष्ण ने यह सिद्ध किया कि वे देवों के देव हैं और जिस इच्छा या कार्य को पूर्ण करने के लिए मनुष्य ब्रह्माण्ड के देवताओं की पूजा करता है वे कार्य इन सृष्टि के पालनहार की पूजा से भी पूर्ण किए जा सकते हैं।
कई हजार साल बाद, इसी दिन श्रील माधवेंद्र पुरी ने गोवर्धन पर्वत की चोटी पर एक मंदिर बनाया। इस त्योहार को मनाने के लिए, भक्तजन विभिन्न खाद्य पदार्थों से गोवर्धन पर्वत की एक प्रतिकृति बनाते हैं, भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं, इस पर्वत को उनके अवतार के रूप में पूजते हैं तथा गायों व बैलों की भी पूजा की जाती हैं।
त्योहार के अंत में, भक्तों को प्रसाद बांटा जाता है। भारत एवं दुनिया के सभी बडे-छोटे वैष्णव मंदिरों में इस त्योहार को मनाया जाता है तथा समारोह के अंत में भक्तों को प्रसाद बांटा जाता है।