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जानिए, क्यों गणेश चतुर्थी से पहले मनाया जाता है गौरी पर्व?
भारत को त्योहारों का देश कहा जाता हैं यहां हर धर्म के लोग साल भर अलग-अलग त्योहार मनाते हैं। इनमें से गौरी फेस्टिवल भी एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो भारत के विभिन्न राज्यों में धूमधाम से मानाया जाता है। ये त्योहार गणेश चतुर्थी के बाद मनाया जाता है। कर्नाटक में इसे गौरी गणेशा या गौरी हब्बा के नाम से जानते हैं। मुख्यत: शादीशुदा औरतों के द्वारा मनाया जाने वाला ये त्योहार हिंदू कैलेंडर के अनुसार भ्राद्रपद शुद्ध तृतीया पर हर साल मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी के अगले दिन से ही इसकी तैयारियों शुरु कर दी जाती हैं। इसको गौरी त्योहार भी कहा जाता है।
इसको गौरी त्योहार इसलिए कहा जाता क्योंकि ऐसी मान्यता है कि माता गौरी ने औरतों के मान सम्मान को बढावा देने और उनके पति को लंबी आयु और अच्छे पति मिलने का आशीर्वाद दिया था।
गौरी त्योहार और वाराहलक्ष्मी व्रत में ज्यादा अंतर नहीं है बस इसमें माता लक्ष्मी की जगह माता गौरी की पूजा की जाती है।
गौरी
और
गणेश
गणेश
जी
के
जन्म
की
कई
कहानियां
आपने
सुनी
होंगी
पर
क्या
आप
जानते
है
कि
मां
पार्वती
ने
अपने
शरीर
पर
लगे
थोड़े
से
हल्दी
के
पाउडर
से
गणेश
का
निर्माण
किया
था
और
उसपर
जान
डाली
थी।
भगवान
गणेश
को
सुख,
समृद्धि
का
देवता
माना
जाता
है
और
आपने
इसी
देवता
को
खुश
करने
के
लिए
भारत
के
लोग
गणेश
चतुर्थी
मनाते
है
ये
त्योहार
लगातार
10
दिन
मनाया
जाता
है।
इस पर्व में गौरी की दो मूर्तियों को घर लाया जाता है जिसकी पूजा लगातार तीन दिन चलती है। ऐसा माना जाता है कि इसकी पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि और धन की कमी नहीं होती है। गणेश की बहनों को लेकर भी कई मान्यताएं है गौरी की मूर्तियों को भगवान गणेश की बहन समझा जाता है जबकि पश्चिम बंगाल में लक्ष्मी और सरस्वती को गणेश की बहने समझा जाता है। कहावते तो ये भी है कि लक्ष्मी और सरस्वती भगवान गणेश की दोनो पत्नियां रिद्धी और सिद्धी है।
गौरी
और
गणेश
की
कथा
पुराणों
के
अनुसार
कैलाश
को
भगवान
शिव
का
निवास
कहा
गया
है
मान्यता
है
कि
पार्वती
ने
जब
मिट्टी
से
गणेश
जी
को
बनाया
उस
समय
भगवान
शंकर
वहां
पर
मौजूद
नहीं
थे।
पार्वती
स्नान
करने
कि
लिए
अंदर
गई
और
गणेश
को
ये
आदेश
दिया
कि
कोई
अंदर
ना
आने
पाए,
उसी
समय
अपने
पुत्र
गणेश
से
अनजान
भगवान
शिव
वहां
आ
गए
और
गणेश
के
द्वारा
रास्ता
रोके
जानें
से
क्रोधित
भगवान
शिव
ने
उनकी
गर्दन
काट
दी।
इस
खबर
को
सुन
कर
माता
पार्वती
ने
भगवान
शिव
से
उनके
पुत्र
को
वापस
करने
की
मांग
की
तब
शिव
ने
अपने
साथियों
को
आदेश
दिया
कि
जो
पहला
जानवर
मिले
असका
सिर
लेकर
आओ,
पहले
जानवर
के
तलाश
में
निकले
साथियों
को
सफेद
हाथी
का
बच्चा
मिला
जिसको
लेकर
वो
शिव
के
पास
आए
और
शिव
ने
हाथी
का
सर
लगाकर
गणेश
को
पुन:
जीवित
कर
दिया
यहीं
कारण
है
कि
गणेश
जी
का
सर
हाथी
का
है।
विवाहित
महिलाएं
ऐसे
करती
है
पूजा
आदिशक्ति
का
अवतार
मानी
जाने
वाली
गौरी
माता
की
पूजा
के
लिए
महिलाएं
उनकी
मूर्ति
बनाती
है
उसको
अनाज
की
टंकी
पर
स्थापित
करती
हैं
फिर
आम
और
केले
के
पत्ते
से
छत
बनाकर
असकी
पूजा
की
जाती
है
ऐसा
माना
जाता
है
कि
पूजा
के
बाद
गणेश
जी
वहां
जरूर
आते
हैं।