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जानिए भगवान शिव के बारह ज्‍योतिर्लिंगों के बारे में

यहां हम आपको भगवान शिव के बारह ज्‍योतिर्लिंग के बारे में बता रहे हैं और साथ में पहले ज्‍योतिर्लिंग की कहानी भी सुना रहे हैं। पढिए भगवान शिव के बारह ज्‍योतिर्लिंग के बारे में विस्‍तारपूर्वक जानकारी।

By Aditi Pathak
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भारत में भगवान शिव को प्रमुख हिंदू ईश्‍वर माना जाता है और इनकी पूजा कई तरीकों से की जाती है। भगवान शिव, त्रिमूर्ति का एक हिस्‍सा हैं और इन्‍हें विनाश का स्‍वामी माना जाता है। भगवान शिव की पूजा, लिंग के रूप में की जाती है और भगवान शिव के कुल 12 ज्‍योतिर्लिंग है।

भगवान शिव के 12 ज्‍योतिर्लिंग का अपना अलग महत्‍व है।

सभी शिवभक्‍त अपने जीवन में इन 12 ज्‍योतिर्लिंगों का कभी न कभी दर्शन करना अवश्‍य चाहते हैं। लेकिन हर किसी के लिए इनका दर्शन, अपने जीवनकाल में कर पाना संभव नहीं होता है। तब भी कई लोग कोशिश करके एक या दो ज्‍योतिर्लिंगों में दर्शन कर ही आते हैं।

इन ज्‍योतिर्लिंगों को द्वादशा ज्‍योतिर्लिंग के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव, इन स्‍थानों पर अवतरित हुए थे और शिवलिंग के रूप में विद्मान हो गए थे। जो भी व्‍यक्ति इन 12 ज्‍योतिर्लिंगों की यात्रा कर लेता है उसे जीवन-मृत्‍यु के चक्र से मुक्ति मिल जाती है।

हिंदू धर्म के अनुसार, मोक्ष की प्राप्ति के लिए इन स्‍थानों की यात्रा सबसे सरल उपाय है। दूसरा विश्‍वास यह भी है कि ये सभी ज्‍योतिर्लिंग, शिव के लिंग के रूप में हैं। इसमें ज्‍योति विद्मान रहती है। इस ज्‍योति को हर किसी के द्वारा नहीं देखा जा सकता है। जो व्‍यक्ति उच्‍च दार्शनिक और आध्‍यात्मिक स्‍तर को छू लेता है उसे ये ज्‍योजि दिखाई देने लग जाती है।

इन 12 ज्‍योतिर्लिंग का विवरण, इस श्‍लोक में इस प्रकार दिया गया है:

सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।

उज्जयिन्यां महाकालमोङ्कारममलेश्वरम्॥

परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करम्।

सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥

वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।

हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥

एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः।

सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति॥

एतेशां दर्शनादेव पातकं नैव तिष्ठति।

कर्मक्षयो भवेत्तस्य यस्य तुष्टो महेश्वराः॥:

ऐसा कहा जाता है कि जो भी व्‍यक्ति, इन 12 ज्‍योतिर्लिंगों की पूजा करता है उसके सभी पाप माफ़ हो जाते हैं और उसे जीवन-मृत्‍यु के चक्र से मुक्ति मिल जाती है। आइए इन 12 ज्‍योतिर्लिंगों में से पहले ज्‍योतिर्लिंग के बारे में विस्‍तारपूर्वक पढिए:

सोमेश्‍वर ज्‍योतिर्लिंग स्‍थान:

सोमेश्‍वर ज्‍योतिर्लिंग स्‍थान:

यह ज्‍योतिर्लिंग, गुजरात के सौराष्‍ट्र में प्रभास पाटन में सोमनाथ मंदिर में है। इसके अलावा, गुजरात में एक और ज्‍योतिर्लिंग, द्वारका भी है जिसे नागेश्‍वर ज्‍योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है।

निर्माण:

निर्माण:

इस प्रथम ज्‍योतिर्लिंग का निर्माण 7वीं शताब्‍दी में किया गया था। इस मंदिर को तोड़ दिया गया था और इसके बाद इसे कई बार बनवाया गया था। वर्तमान समय में जो मंदिर है, उसे आजादी के बाद बनवाया गया था।

किस प्रकार नाम पड़ा:

किस प्रकार नाम पड़ा:

सोमनाथ का वर्णन, स्‍कंद पुराण के प्रभास कंद नामक अध्‍याय में देखने को मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि प्रभास में शिवलिंग को कालभैरव शिवलिंग कहा जाता था। इसकी पूजा, चंद्र, भगवान चंद्र के द्वारा की जाती थी,इन्‍हें सोमनाथ के नाम से भी जाना जाता है जिसका अर्थ चंद्र का गुरू होता है। महाभारत में भी इसका वर्णन आपको मिलेगा।

इसे ज्‍योतिर्लिंग के रूप में क्‍यूँ संदर्भित किया गया:

इसे ज्‍योतिर्लिंग के रूप में क्‍यूँ संदर्भित किया गया:

स्‍पर्श लिंग को लौ के रूप में यहां उल्‍लेखित किया गया है। ऋग्‍वेद में इसे सुबह में, यजुर्वेद में इसे दोपहर में और सामवेद में शाम और अर्थवर्वेद में इसे रात्रि में देखा जाता है।

लिंग का वर्णन:

लिंग का वर्णन:

यहां के लिंग का आकार मात्र एक अंडे जितना है जिसे सूर्य के समान चमक वाला माना जाता है। यह लिंग, जमीन के नीचे और इसे देखा नहीं जा सकता है।

इस ज्‍योतिर्लिंग के पीछे किंवदंती:

इस ज्‍योतिर्लिंग के पीछे किंवदंती:

कहानी इस प्रकार है कि दक्ष प्रजापति की 27 सितारे, बेटियां थी। दक्ष ने उनका विवाह, भगवान चंद्र देव से किया। लेकिन चंद्र देव, रोहिणी के बहुत करीब थे और वो बाकी की पत्नियों को नकार देते थे। इससे दक्ष प्रजापति क्रोधित हो गए और उन्‍होंने उन्‍हें शाप दे दिया कि वो अनस्तित्व हो जाएंगे। इसीलिए इसे चंद्रमा के घटाव में देखा जा सकता है। इसके बाद, शाप से आहत होकर चंद्र देव, सोमेश्‍वर में भगवान शिव की पूजा करने आएं। भगवान शिव प्रकट हुए और उनसे वरदान मांगने को कहा। भगवान शिव ने शाप को समाप्‍त नहीं किया लेकिन उन्‍हें आधा समय चमक वाला और आधा समय अंधेरे वाला बना दिया। तब से पूर्णिमा और अमावस्‍या होने लगा।

ज्‍योतिर्लिंग का आध्‍यात्मिक महत्‍व:

ज्‍योतिर्लिंग का आध्‍यात्मिक महत्‍व:

भगवान ब्रह्मा, प्रमुख त्रिमूर्तियों में से एक हैं। कहा जाता है कि इसी सथान पर सबसे पहला मंदिर बनाया गया था।

मनाएं जाने वाले प्रमुख त्‍यौहार:

मनाएं जाने वाले प्रमुख त्‍यौहार:

यहां महाशिवरात्रि का पर्व बेहद धूमधाम से मनाया जाता है। इसके अलावा, यहां सोमनाथ महादेव मेला भी लगता है। इसे भगवान शिव के पुत्र कार्तिक के जन्‍म अवसर पर लगाया जाता है।

English summary

Details About The Jyothirlingas; And The First Jyotirlinga – Someshwar

Take a look at the important temples of jyotirlingas of lord shiva. Also read to know the story of the first jyotirlingas of lord shiva.
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