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ट्रेनिंग के दौरान मुंह और पेशाब से आने लगा था खून लेकिन फिर भी ना मानी हार
यकीनन, महान भारतीय पुरूष मिल्खा सिंह जी को श्रेय जाता है कि उन्होंने भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दौड़ के क्षेत्र में पहचान दिलवाई। पंजाबी परिवार में जन्मे मिल्खा सिंह ने बचपन से ही दौड़ना सीख लिया था और दिल्ली आकर भारतीय सेना में शामिल हो गए।
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इसके बाद, उन्होंने सेना की ओर से दौड़ना शुरू किया और देश को इस क्षेत्र में एक पहचान दिलवाई। कुछ साल पहले ही बॉलीवुड में मिल्खा सिंह पर एक फिल्म बनाई गई थी।
मिल्खा सिंह को पाकिस्तानी जनरल के द्वारा फ्लाइंग सिक्ख की उपाधि प्रदान की गई थी। मिल्खा सिंह ने अपने जीवन में 80 दौड़ों में कुल 77 को जीता। आइए मिल्खा सिंह के बारे में 20 आश्चर्यजनक बातें जानते हैं:
1. भारत पाक विभाजन में खोया माता-पिता को
भारत-पाक विभाजन के दौरान सामुदायिक दंगों में मिल्खा सिंह ने अपने माता-पिता को खो दिया था, उस समय वह मात्र 12 वर्ष के थे। इसके बाद, उन्होंने दौड़ना शुरू किया और विभाजन के बाद भारत के ही वासिंदे हो गए।
2. बिना टिकट के सफर करने पर गए तिहाड़
जीवन में एक बार, उन्हें बिना टिकट रेल में यात्रा करते हुए पकड़ लिया गया था और इसके लिए उन्हें तिहाड़ जेल भेज दिया गया था। बाद में उनकी बहन ने अपने गहने बेचकर उन्हें वहां से छुड़वाया।
3. भारतीय सेना से हुए 3 बार रिजेक्ट
मिल्खा सिंह, भारतीय सेना में शामिल होने की इच्छा रखते थे, लेकिन उन्हें तीन बार रिजेक्ट कर दिया गया। चौथे प्रयास में वह सफल हुए और आर्मी में उनका चयन हो गया, इस बार उन्होंने अपने आप को इंजीनियरिंग विभाग में पंजीकृत करवाया था।
4. एथलिट के रूप में मिली पहचान
1951 में, उन्होंने ईएमई केन्द्र में सिंकदराबाद में ज्वाइन किया। इसी केन्द्र में उन्हें एथलिट के रूप में पहचान मिली।
5. नहीं करते थे आराम
जब सारे सैनिक, बाकी काम किया करते थे, तब वह आराम न करके अपने आपको मीटर गेज़ ट्रेन के साथ दौड़कर प्रशिक्षित करते थे और धावक के रूप में तैयार कर रहे थे।
6. ट्रेनिंग के दौरान मरते-मरते बचे थे
अपने अभ्यास के दौरान, मिल्खा सिंह को मुँह और पेशाब से खून तक आने लगा था। कई बार वह बेहोश हो गए। यहां तक कि, एक समय ऐसा भी आया, जब वह मृत्युशैय्या पर पहुँच गए।
7. क्यूं मिला उन्हें गोल्ड मेडल
1958 एशियाई खेलों के दौरान, उन्होंने, क्रमश: 21.6 सेकेंड और 47 सेकेंड के समय में ही 200 मीटर और 400 मीटर की रेस पूरी कर ली थी। इसके लिए उन्हें गोल्ड मेडल मिला था।
8. कॉमनवेल्थ खेलों में पहला स्वर्ण पदक जीता
1958 कार्डिफ राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान, उन्हें 400 मीटर की रेस, 46.16 सेकेंड में पूरी कर लेने के कारण स्वर्ण पदक से पुरस्कृत किया गया था। यह पहला अवसर था, जब स्वतंत्र भारत के लिए कॉमनवेल्थ खेलों में पहला स्वर्ण पदक जीता गया।
9. इनको एथलिट नहीं संत मानते थे रोम के लोग
1960 के रोम ओलम्पिक के दौरान वह काफी लोकप्रिय हो गए थे। उनकी प्रसिद्ध का मुख्य कारण, उनकी बड़ी दाड़ी और बाल थे। मिल्खा सिंह से पहले किसी ने भी रोम में ऐसे अनोखे एथलिट को नहीं देखा था, जिसकी दाड़ी और बाल इतने लम्बे हों। यहां तक कि लोग उनके जूड़े को देखकर सोचते थे कि वह संत हैं और कोई संत इतनी तेज कैसे दौड़ सकता है।
10. जब हराया पाकिस्तान के रेसर को
1962 में, मिल्खा सिंह ने अब्दुक खालिक को हरा दिया, जो कि पाकिस्तान का सबसे तेज दौड़ने वाला खिलाड़ी था। और इसके बाद ही, उन्हें वहां के पाकिस्तानी जनरल ने '' द फ्लाइंग सिक्ख'' की उपाधि दे दी, जिनका नाम अयुब खान था।
11. 7 साल के बच्चे को लिया गोद भी लिया
1999 में, मिल्खा सिंह ने एक सात साल का बच्चा गोद ले लिया और बड़ा होकर सेना में शामिल हुआ। इसका नाम हवलदार विक्रम सिंह था, जो कारगिल युद्ध के दौरान टाइगर हिल की लड़ाई में शहीद हो गया।
12. कैसे बनी भाग मिल्खा भाग
उन्होंने अपनी जीवनी, डायरेक्टर और निर्देशक, मेहरा को बेच दी, जिसके लिए सिर्फ एक रूपए मूल्य लिया। इसी जीवन पर भाग मिल्खा भाग नामक फिल्म तैयार की गई थी।
13. मरने से पहले केवल एक ही अंतिम इच्छा है
उनकी अंतिम इच्छा यह है कि वह इस संसार से अलविदा होने से पहले, एक बार किसी लड़के या लड़की को ओलम्पिक में स्वर्ण पदक जीतते हुए देख लें।