Just In
- 27 min ago Guru Shukra Yuti 2024: 12 साल बाद गुरु शुक्र का होगा मिलन, इन 3 राशियों पर मेहरबान होंगी देवी लक्ष्मी
- 1 hr ago Aaj Ka Rashifal 18th April: इन 5 राशि वालों को मिलेगा आज भाग्य का साथ, सुख समृद्धि में होगी वृद्धि
- 7 hrs ago मनोज तिवारी Vs कन्हैया कुमार: कौन हैं कितना अमीर? दोनों की संपति डिटेल जानिए
- 9 hrs ago Summer skin care: गर्मी में आप भी बार-बार धोते हैं चेहरा? जानें दिन में कितनी बार करें Face Wash
Don't Miss
- News यूक्रेन के चर्नेहाइव शहर में रूस की तीन मिसाइल क्रैश, 17 की मौत
- Education KVS Admission 2024: केवी संगठन ने अनंतिम प्रवेश सूची जारी की; यहां देखें डायरेक्ट लिंक
- Movies बुशरा अंसारी ने 66 साल की उम्र में किया दूसरा निकाह, जानिए कौन हैं एक्ट्रेस के शौहर
- Finance Car Loan: पहले समझें 20-4-12 का नियम फिर खरीदें अपनी पसंद कार, कभी नहीं होगी फंड की दिक्कत
- Technology Samsung ने मार्केट में लॉन्च किए नए स्मार्ट टीवी, मिलेंगे AI इंटिग्रेटेड फीचर्स
- Automobiles 3 घंटे में पूरा होगा 900 KM का सफर, अहमदाबाद से दिल्ली तक चलेगी दूसरी बुलेट ट्रेन, जानें Railways की प्लान
- Travel सऊदी अरब ने बदला उमराह Visa Rule, अब 90 दिनों तक वीजा रहेगा वैध, Details
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
इस मुस्लिम शख्स ने इंसानियत की खातिर तोड़ दिया रोज़ा
भारत एक धर्म निरपेक्ष देश है लेकिन फिर भी कई बार यहां धर्म को लेकर सवाल उठते रहते हैं। आज हम आपके पाए एक ऐसी खबर लेकर आए हैं जिसके बाद आपको भारत में धर्म नहीं बल्कि इंसानियत दिखेगी।
इस लेख में आज हम आपको बताएंगें कि कैसे एक आरिफ खान नामक शख्स ने ये साबित कर दिया कि धर्म से बड़ी इंसानियत होती है और भारत इस मामले में सबसे आगे है। तो चलिए जानते हैं उस शख्स की कहानी जिसने किसी की जान बचाने के लिए अपना रोज़ा तोड़ दिया।
कौन
था
मरीज़
अजय बिजलावन को बहुत ही गंभीर अवस्था में सिटी हॉस्पीटल में भर्ती करवाया गया था। उसमें प्लेटलेट्स की संख्या बहुत कम हो गई है और इस वजह से उसके लिवर में संक्रमण फैल रहा था। उसके प्लेटलेट्स बड़ी तेजी से गिर रहे थे और उसे जल्द से जल्द खून की जरूरत थी। उसके परिवार के लोग सोशल मीडिया पर लोगों से रक्तदान के लिए अपील करने में लगे थे।
व्हॉट्सऐप
पर
मिला
संदेश
आरिफ खान को व्हॉट्सऐप पर खबर मिली कि अजय बिजलावन को रक्त की जरूरत है। मैसेज में अजय के परिवार ने ब्लड ग्रुप की सारी जानकारी भी दी थी और उसमें अजय के पिता का फोन नंबर भी था जिस पर आरिफ ने कॉल किया।
सच था मामला
आरिफ खुद देहरादून के सहस्त्रधारा रोड़ के नेशनल एसोसिएशन फॉर पेरेंट्स एंड स्टूडेंट्स राइट्स के अध्यक्ष हैं। इस मैसेज के पीछे के सच को जानने के तुरंत बाद ही उन्होंने हॉस्पीटल जाकर रक्तदान किया।
एक थी मुश्किल
रक्तदान से पहले डॉक्टर्स ने आरिफ को कुछ खाने के लिए कहा लेकिन आरिफ उस समय रमदान के रोज़े पर था। बिना कुछ खाए वो रक्तदान नहीं कर सकता था और उसे अपना रोज़ा खोलने से पहले कुछ खाना जरूरी था।
आरिफ
ने
किया
खुलासा
आरिफ ने अपने इस काम के बारे में कहा कि अगर किसी की जान बचाने के लिए रोज़ा तोड़ना भी पड़े तो मैं रोज़े से पहले इंसानियत को देखता हूं। इंसान की जिंदगी उसके और उसके परिवार के लिए बहुत कीमती है। आगे वो कहते हैं कि रमजान हमें जरूरतमंदों की मदद करना ही सिखाता है। मैं मानता हूं कि रोज़ा रखना किसी की मदद करने से ज्यादा जरूरी नहीं है और इससे अल्लाह भी खुश नहीं होगा। ये मेरी खुशकिस्मती है कि मैं किसी के काम आ सका।
इंसानियत बच गई
आरिफ के इस नेक काम से पता चल गयाकि इंसानियत अभी भी हमारे दिलों में कहीं ना कहीं जिंदा है।