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जानिये जन्म के समय बच्चा कैसा महसूस करता है

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प्रसव के दौरान एक महिला कैसा महसूस करती है? गर्भावस्था और प्रसव पीड़ा के बारे में सिर्फ एक औरत ही अपने शब्दों से अपना अनुभव बता सकती है लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि जन्म के समय बच्चा कैसा महसूस करता होगा?

Baby Feel During Its Birth

आइए जानते हैं कि जब एक नन्ही सी जान इस दुनिया में पहली बार कदम रखती है तो उसे कैसा महसूस होता है।

क्या जन्म के समय बच्चे को किसी प्रकार का दर्द होता है?
जन्म के तुरंत बाद बच्चा सांस कैसे लेता है?
बाहरी तामपान में समायोजित होना
क्या जन्म के फौरन बाद बच्चा सुन या देख सकता है?
सी-सेक्शन के द्वारा जन्म लेने वाले बच्चे कैसा महसूस करते है?
क्या जन्म के समय बच्चे को किसी प्रकार का दर्द होता है?

कुछ चिकित्सकों का मानना है कि जन्म के समय बच्चों को हल्का सा दर्द होता है, हालांकि इस बात की जानकारी अभी तक नहीं है कि दर्द की मात्रा कितनी होती है। उदाहरण के तौर पर यदि जन्म के तुरंत बाद सर्जिकल प्रक्रिया होती है तो बच्चे को थोड़ा दर्द हो सकता है ठीक इसी तरह बर्थ कैनाल से गुजरते समय बच्चे को कुछ दर्द हो सकता है।

हालांकि जिस दर्द से माँ गुज़रती है वह बच्चे को होने वाले दर्द से एकदम अलग होता है। शायद बच्चे को होने वाला दर्द बहुत ही हल्का होता है। यह संपीड़न की भावना के समान होगा।

जन्म के तुरंत बाद बच्चा सांस कैसे लेता है?

प्रसव वह प्रक्रिया है जिससे माँ और होने वाला बच्चा दोनों ही गुज़रते हैं। प्रसव के दौरान तो मैकेनिकल और साइकोलॉजिकल परिवर्तन होता है। बोस्टन के एक क्लीनिकल इंस्ट्रक्टर के अनुसार भ्रूण को ऑक्सीजन हवा से नहीं मिलता इसलिए इसे यह अपनी माँ से प्राप्त करना पड़ता है। जब बच्चा अपनी माँ के गर्भ में पल रहा होता है तब उसे ऑक्सीजन प्लेसेंटा के ज़रिये प्राप्त होता है। हालांकि डिलीवरी के बाद प्लेसेंटा ऑक्सीजन ट्रांसफर करना बंद कर देता है। बच्चे के जन्म के बाद यह काम उसके लंग्स करने लगते हैं। जब बच्चा गर्भ में होता है तो उसके लंग्स में फ्लूइड होता है जो इन्हें परिपक्व रखता है। डिलिवरी के बाद यह फ्लूइड सूख जाता है और लंग्स बढ़ने लगते हैं फलतः इनमें हवा भरने लगती है। जन्म के बाद बच्चे के लंग्स ज़्यादा ब्लड पंप करने लगते हैं। गर्भ में दबाव होने के कारण रक्त अंगों को नज़रंदाज़ कर देता है जब जन्म होता है तब लंग्स में दबाव कम हो जाता है और रक्त सामान्य रूप से बहने लगता है।

बाहरी तामपान में समायोजित होना

गर्भ में बच्चा 98.6 डिग्री फ़ारेनहाइट के तापमान तक अनुकूलित होता है फिर आप कैसे सोच सकते है कि जन्म के बाद बच्चा 70 डिग्री के तापमान वाले कमरे में एडजस्ट कर पाएगा।

खैर इसके लिए जो ज़िम्मेदार अंग है वह है थाइरोइड। जब बच्चे का जन्म होता है तो उसके थाइरोइड का स्तर काफी ज़्यादा होता है। यह थाइरोइड में बढ़ोतरी ज़्यादा ठण्ड के संपर्क में आने के कारण और एड्रेनालाईन के स्तर में वृद्धि की वजह से भी होता है। जब थाइरोइड का स्तर बढ़ता है तब एक विशिष्ट प्रकार के फैट से हीट उत्पन्न होता है जिसे ब्राउन फैट कहते हैं। यही वह कारक है जो नवजात शिशु को गर्भ के बाहर अपने शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में मदद करता है।

क्या जन्म के फौरन बाद बच्चा सुन या देख सकता है?

जैसे इस सवाल का अभी तक कोई जवाब नहीं है कि क्या जन्म के समय बच्चे को दर्द महसूस होता है ठीक उसी प्रकार इस बात का भी अभी तक कोई जवाब नहीं है कि बच्चा जन्म के फौरन बाद देख या सुन सकता है या नहीं।

कुछ शोध के अनुसार बच्चा अपनी माँ के गर्भ में से ही कुछ कुछ आवाज़ें सुन सकता है। ऐसा माना जाता है कि बच्चा गर्भ में से ही अपनी माँ की आवाज़ को पहचान सकता है इसी वजह से माँ और बच्चे का रिश्ता और भी मज़बूत और सम्पूर्ण होता है।

हालांकि, बच्चे के देखने की शक्ति के बारे में पता लगाना थोड़ा मुश्किल है। कहा जाता है कि जन्म के बाद शुरुआत में कुछ दिनों तक बच्चे को सब कुछ धुंधला नज़र आता है और वह सही से फोकस नहीं कर पाता। बच्चा अपनी माँ के चेहरे को कम से कम 8 से 15 इंच की दूरी से पहचान सकता है (टेक्निकली यह दूरी माँ के स्तन तक की होती है जहाँ से वह अपने बच्चे को दूध पिलाती है)। यह एक अन्य वजह है जो माँ और बच्चे के रिश्ते को और भी ख़ास बनाती है।

सी-सेक्शन के द्वारा जन्म लेने वाले बच्चे कैसा महसूस करते हैं?

सी सेक्शन डिलिवरी और सामान्य डिलीवरी में न सिर्फ माँ को अलग अनुभव होता है बल्कि बच्चा भी कुछ अलग महसूस करता है।

ज़ाहिर सी बात यह है कि नॉर्मल डिलीवरी में बच्चे का सिर थोड़ा दबा हुआ होता है जबकि सी-सेक्शन से पैदा हुए बच्चे का सिर गोल और कम दबा हुआ होता है। नार्मल डिलीवरी में बच्चे प्रसव के दौरान बर्थ कैनाल से बाहर आने के लिए अपनी तरफ से बेहतर कोशिश करता है। गर्भाशय के फैलाव को शुरू करने के लिए बच्चे का सिर बर्थ कैनाल में दबता है। ऐसे में अपने लिए सही रास्ता ढूंढते समय बच्चा उलटता पुलटता है। एक बार सिर बाहर आ जाता है बाकी सारी चीज़ें बड़े ही आराम से हो जाती हैं। नॉर्मल डिलिवरी में कई बार बच्चे का सिर टेढ़ा मेढ़ा होता है। आमतौर पर यह जन्म की प्रक्रिया के कारण होता है हालांकि कुछ समय बाद सिर का आकार सही हो जाता है।

सी सेक्शन द्वारा जन्म लिए बच्चे की सांसे नॉर्मल डिलीवरी वाले बच्चे की तुलना में ज़्यादा तेज़ होती हैं। इसका कारण प्रसव के दौरान माँ के गर्भ में होने वाला संकुचन होता है। साथ ही प्रसव के दौरान बर्थ कैनाल से गुज़रते समय बच्चे की छाती सम्पीड़ित होती है। दोनों ही बच्चे के लंग्स में से फ्लूइड को निकालने में मदद करते हैं।

सी सेक्शन के माध्यम से जन्म लेने वाले बच्चे को क्षणिक तचीपनिया होता है (सूखे लंग्स)। जब तक पूरा फ्लूइड अब्सॉर्ब नहीं हो जाता बच्चा तेज़ तेज़ सांसे लेता है। यह समस्या 24 से 48 घन्टों के बाद समाप्त हो जाती है।

बच्चे का जन्म माता पिता, बच्चे और पूरे परिवार के लिए एक सुखद अनुभव होता है। एक शोध के अनुसार शांत माहौल में बच्चे का जन्म बच्चे को शांत बनाता है। साथ ही जन्म के बाद माँ और बच्चे का लगाव बढ़ता है और उनका रिश्ता और भी मज़बूत हो जाता है।

English summary

feeling and experiences of a baby during its birth

Have you ever wondered what a baby would be experiencing during the process of birthing? Read on to get an idea about how a baby experiences birth.
Story first published: Tuesday, August 21, 2018, 11:23 [IST]
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