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जानें क्या हैं आईवीएफ़ (IVF) ट्रीटमेंट के खतरे
अच्छी बात ये है कि आईवीएफ़ ट्रीटमेंट मुख्यतः सफल रहता है। लेकिन अन्य मेडिकल इलाजों की तरह ही इसके भी कुछ रिस्क या खतरे हैं। सम्पूर्ण रूप से यदि बात करें तो यह इलाज पूरी तरह सफल रहता है।
कई बार गर्भधारण की कोशिश के बाद जब आप आईवीएफ़ ट्रीटमेंट लेने का निर्णय लेती हैं तो आप उत्साहित होती हो! लेकिन साथ ही इस बात की चिंता भी रहती है कि क्या यह सफल रहेगा? क्या आप बच्चे को अपनी गोद में खिलाने का सुख प्राप्त कर पाएँगी।
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अच्छी बात ये है कि आईवीएफ़ ट्रीटमेंट मुख्यतः सफल रहता है। लेकिन अन्य मेडिकल इलाजों की तरह ही इसके भी कुछ रिस्क या खतरे हैं।
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सम्पूर्ण रूप से यदि बात करें तो यह इलाज पूरी तरह सफल रहता है। एक अच्छा आईवीएफ़ विशेषज्ञ मरीज के पास बैठकर आईवीएफ़ के रिस्क और साइड इफ़ेक्ट्स बताता है।
1. ओवरियन हाइपरसिमुलेशन सिंड्रोम:
10% महिलाओं में ये समस्या पैदा होती है। यह तब होता है जब अंडाशय में फर्टिलिटी ट्रीटमेंट ज़्यादा दिया जाता है। सामान्यतः लक्षण हल्के ही होते हैं और महिला का इलाज आसानी से हो जाता है। फिर भी, कुछ महिलाओं में कुछ गंभीर लक्षण दिखाई देते हैं जिससे उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है। लगभग 1% महिलाओं में रुधिर का धक्का बनना या किडनी का खराब होने जैसी स्थितियाँ ओवरियन हाइपरसिमुलेशन सिंड्रोम में पैदा होती हैं। अंडे की पुनर्प्राप्ति के समय इस तरह की जटिलता पैदा होती है।
2. एंठन और असहजता
अंडे की पुनर्प्राप्ति के समय और बाद में, महिलाओं में एंठन और असहजता की समस्या होती है। फिर भी, ये लक्षण एक या दो दिनों में ठीक हो जाते हैं। कुछ खास स्थितियों में, डॉक्टर को आंत, मूत्राशय या रुधिर कोशिका में छेद करना पड़ता है। भ्रूण स्थानांतरण के समय भी एंठन होती है। कुछ महिलाओं में इस ट्रांसफर के बाद ब्लीडिंग या स्पोटिंग भी होती है।
3. पेल्विक इन्फेक्शन
यह इन्फेक्शन बहुत दुर्लभ है, लेकिन जब ऐसा होता है तो आपको दवाएं नस में दी जाती हैं। अंडाशय, गर्भाशय और फैलोपियन को ऑपरेशन से निकाल दिया जाता है।
4. मल्टीपल प्रेग्नेंसी
चूंकि आईवीएफ़ ट्रीटमेंट में कई भ्रूण ट्रांसफर किए जाते हैं, इसलिए मल्टीपल प्रिग्नेंसी का खतरा बढ़ जाता है, ये जुड़वा, ट्रिपल या इससे अधिक भी हो सकते हैं। यह माँ और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक है। इससे बच्चे में कम वजन और मानसिक लकवा भी हो सकता है।
5. जन्म दोष
हालांकि यह मुश्किल है लेकिन, कुछ अध्ययनों से पता चला है कि आईवीएफ़ और आईसीएसआई जैसे ट्रीटमेंट में खास तौर पर लड़के में सेक्सुयल दोष होता है, फिर भी, यह 1 प्रतिशत से भी कम होता है।
6. समयपूर्व प्रसव
आईवीएफ़ ट्रीटमेंट में समयपूर्ण लेबर या डिलिवरी होती है, चाहे कितने भी बच्चे हों।
7. गर्भपात
गर्भपात का खतरा आईवीएफ़ ट्रीटमेंट में उतना ही है जितना कि सामान्य प्रसव में। युवा महिलाएं जो 20 की उम्र में हैं उनमें इसका खतरा 15 प्रतिशत रहता है। यदि महिला की उम्र 40 साल से ज़्यादा होती है तो गर्भपात का खतरा 50 प्रतिशत बढ़ जाता है।
8. आस्थानिक (एक्टोपिक) प्रिग्नेंसी
एक्टोपिक प्रिग्नेंसी का खतरा 2 से 4 प्रतिशत रहता है। यदि ऐसा होता है तो खतरा ज़्यादा रहता है और प्रिग्नेंसी कठिन होती है। एक्टोपिक प्रिग्नेंसी में माँ को ज़्यादा खतरा रहता है, इससे आंतरिक अंग खराब हो सकते हैं और जान भी जा सकती है।
फर्टिलिटी क्लीनिक ध्यान से चुनें
आईवीएफ़ ट्रीटमेंट एक सुरक्षित तरीका है और इससे इच्छित परिणाम भी मिलते हैं। लेकिन सफलतापूर्वक गर्भधारण करने से पूर्व आपको कुछ चक्कर लगाने होंगे। ध्यान रहे कि आप काफी रिसर्च करने के बाद ही फर्टिलिटी क्लीनिक चुनें। डॉक्टर के ज्ञान को परखने के लिए प्रश्न ज़रूर पूछें। यदि संदेह हों तो दूसरा क्लीनिक ढूंढें। आपका क्लीनिक, प्रैक्टिस, और डॉक्टर से संतुष्ट होना ज़रूरी है।