Just In
- 2 hrs ago Blackheads Removal Tips: नहीं निकल रहे हैं ठुड्डी पर धंसे हुए ब्लैकहेड्स? 5 मिनट में ये नुस्खें करेंगे काम
- 3 hrs ago आम पन्ना से 10 गुना ज्यादा ठंडक देता है इमली का अमलाना, लू से बचने का है देसी फार्मूला
- 5 hrs ago रूबीना दिलैक ने शेयर किया स्तनपान से जुड़ा दर्दनाक एक्सपीरियंस, नई मांए ने करें ये गलती
- 5 hrs ago Gajalakshmi Yog April 2024: 12 वर्षों के बाद मेष राशि में बनेगा गजलक्ष्मी राजयोग, इन 3 राशियों पर बरसेगा पैसा
Don't Miss
- News अमरोहा में जमकर गरजे सीएम योगी, बोले- इंडिया गठबंधन को एक-एक वोट के लिए तरसाना है
- Education UP Board 10th Result 2024: यूपी बोर्ड 10वीं रिजल्ट 2024 कल होंगे जारी, चेक करें टाइम और डाउनलोड लिंक
- Movies OOPS: बेटे अरहान से गंदी बातें करने के बाद अब इस हाल में दिखी मलाइका, बार-बार ठीक करती रही लटकती फिसलती ड्रेस
- Technology Vivo के इस 5G फोन की कल होने जा रही एंट्री, लॉन्च से पहले कीमत से लेकर फीचर्स तक की डिटेल लीक
- Travel हनुमान जयंती : वो जगहें जहां मिलते हैं हनुमान जी के पैरों के निशान
- Finance Employee Count: देश की टॉप IT कंपनियों में कम हो गए 63,759 कर्मचारी, जानें किस कंपनी में कितने लोग हुए कम
- Automobiles 3 करोड़ की कार में वोट डालने पहुंचे साउथ सिनेमा के दिग्गज स्टार Dhanush, फैंस ने किया स्वागत
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
बेटा या बेटी, बेबी जेंडर सलेक्शन टेक्निक से खुद निर्धारित करें बच्चें का लिंग
मेडिकल साइंस यह पहले ही साबित कर चुका है कि बच्चे का जेंडर पिता पर निर्भर करता है, ना कि मां पर। हमारे समाज में बेटी के जन्म के लिए मां को कोसा जाना आम बात है, लेकिन शिक्षित वर्ग यह भली भांति जानता है कि बेटा होगा या बेटी यह इस बात पर निर्भर करता है कि पुरुष के कौन से क्रॉम्सोम्स ने महिला के एग्स को फर्टिलाइज्ड किया है। मेडिकल साइंस के अनुसार एजेक्युलेशन के समय पुरुष काफी सारे इंडीविजुअल स्पर्म रिलीज करते हैं। इनमें कुछ मेल होते हैं और कुछ फीमेल। यह स्पर्म जब एग्स तक पहुंचते हैं तो कुछ परिस्थितियों में यह एग को फर्टीलाइज करते हैं। एग न्यूट्रल होते हैं यानी कि न तो मेल और न ही फीमेल। एग्स के पास केवल एक्स एक्स क्रॉम्सॉम्स होते हैं, जबकि स्पर्म में एक्स और वाय दोनों क्रॉम्सॉम्स होते हैं। जब एक्स वाय क्रॉम्सॉम्स मिलते हैं तो बेटा पैदा होता है और जब एक्स एक्स क्रॉम्सॉम्स मिलते हैं तो बेटी का जन्म होता है।
आपको बता दें कि इस बात की पुष्टि तो नहीं हुई है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि बॉडी कैमिस्ट्री में कुछ बदलाव से बच्चे का लिंग निर्धारित किया जा सकता है। यहां हम आपको कुछ ऐसे ही तरीकों के बारे में बताने जा रहे हैं, हालांकि हम इस बात की न तो गारंटी ले रहे हैं और न ही इसे सत्यापित कर रहे हैं।
पहला तरीका : बॉडी कैमिस्ट्री में बदलाव
महिला के मासिक बॉडी साइकिल के दौरान पीएच लेवल्स बार बार बदलते हैं। इससे भी बेबी का जेंडर प्रभावित होता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि फॉलिक्युलर फ्लुइड में एल्कलीन से वाय स्पर्म जिससे बेटा पैदा होता है और फॉलिक्युलर फ्लुइड में एसिडिक से एक्स स्पर्म मिलते हैं।
बेटी के लिए खाएं ये फूड
अगर आप बेटी चाहते हैं तो अपनी डायट में मैगनीशियम, कैल्शियम और एसिडिक फूड जैसे कि कॉर्न, मीट, बीन्स, फिश, प्लम्स, कॉफी, एग्स, लिवर और दही आदि को शामिल करें। इसके साथ ही एल्कलाइन फूड्स जैसे कि केला, संतरा, आलू और तरबूज आदि से दूरी बनाएं। इसके अलावा कैल्शियम, फॉलिक एसिड, मैग्नीशियम और विटामिन सी के सप्लीमेंट्स लें, यह आपकी सर्विकल म्यूकस को एसिडिक बनाएंगे और वाय स्पर्म को खत्म करेंगें।
बेटे के लिए इन फूड का करें सेवन
वहीं अगर आप बेटा चाहते हैं तो तमाम डेयरी प्रोडक्ट्स का सेवन बंद कर दें, मैग्नीशियम और कैल्शियम सप्लीमेंट्स लेना भी कम कर दें। इसकी जगह सब्जियां, ताजे फल, पोटेशियम रिच फूड जैसे कि केला, एल्कलाइनिसिंग फूड जैसे कि अंजीर, चैरी, ताजे नींबू, दालें, एवोकैडो, रॉयल जैली, पाइन नट्स, बादाम, गाजर, अल्फाअल्फा ग्रास, बार्ले ग्रास, स्प्राउट्स आदि का सेवन बढ़ा दें। पिता को जेंटिल्स एरिया में एक्सेस हीटिंग से बचना चाहिए क्योंकि यह गर्माहट फीमेल स्पर्म से ज्यादा जल्दी मेल स्पर्म को नष्ट करती है। इसके लिए टाइट फिटिंग अंडरवियर, सॉना, हॉट टब्स आदि से परहेज करें।
दूसरा तरीका : इंटरकोर्स के समय में बदलाव
डॉ. शेटल्स की मशहूर थ्योरी के अनुसार वाय क्रॉम्सॉम्स ज्यादा जल्दी ट्रैवल करते हैं और इनका लाइफस्पान भी छोटा होता है। अगर आप बेटा चाहते हैं तो थ्योरी के अनुसार ओव्युलेशन से दो या तीन दिन पहले सेक्स करने का फायदा नहीं है, क्योंकि बॉय स्पर्म इतने समय में मर जाते हैं और केवल गर्ल स्पर्म रह जाते हैं, जिससे बेटी कंसीव होने के चांस बढ़ जाते हैं। शेटल्स थ्योरी कहती है कि ओव्युलेशन के समय सेक्स करने से बेटा कंसीव होने के चांस बढ़ जाते हैं।
तीसरा तरीका : सेक्शुअल पोजीशंस
इंटरकोर्स के दौरान पेनेट्रेशन कितना गहरा है और स्पर्म वजाइना के किस भाग में डिपोजिट हुए हैं इससे भी बहुत फर्क पड़ता है। इसके पीछे दो कारण हैं - एग से दूरी और पीएच लेवल। अगर बेटी चाहते हैं तो ज्यादा डीप पेनेट्रेशन की जरूरत नहीं है। वजाइना के एंट्रेंस पर भी अगर स्पर्म डिपोजिट होते हैं तो बेटी कंसीव हो सकती है क्योंकि इस जगह वजाइना ज्यादा एसिडिक होता है। यह एसिडिटी कमजोर बॉय स्पर्म को रोक देते हैं और टफ गर्ल स्पर्म सरवाइव कर जाते हैं।
वहीं अगर आपको बेटे की चाहते है तो स्पर्म को सर्विक्स ओपनिंग के करीब डिपोजिट करें, इससे बॉय स्पर्म एग तक तेजी से पहुंच सकता है। इसके लिए आपको डीप पेनेट्रेशन करना होगा जिसके लिए डॉगी स्टाइल पोजीशन बेस्ट होती है। आपको एक बार फिर बता दें कि इन सभी तरीकों के 100 प्रतिशत परिणाम का कोई सबूत नहीं है। आप अपनी किस्मत आजमा सकते हैं।