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आप अपने बच्‍चें को हॉरर मूवी द‍ेखने देती हैं, ये हो सकता है उन पर असर

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फिल्में हर किसी के मनोरंजन का साधन है, फिर चाहे बात बड़ों की हो या फिर बच्चों की। हालांकि, किसी को कॉमेडी मूवीज अच्छी लगती हैं तो किसी को हॉरर। ऐसा बच्चों के साथ भी होता है। कुछ बच्चों को अच्छी डरावनी फिल्में रोमांचित करती हैं, तो कुछ ऐसी फिल्मों के नाम से ही घबराने लगते हैं। ऐसे में अक्सर पैरेंट्स के मन में यह कशमकश रहती है कि उन्हें बच्चों के साथ बैठकर हॉरर मूवीज देखनी चाहिए या नहीं। उनके मन में एक डर यह भी होता है कि कहीं हॉरर मूवीज उनके मन में हमेशा के लिए कोई डर पैदा ना कर दे। जिससे छुटकारा पाना काफी मुश्किल हो जाए। तो चलिए आज इस लेख में हम विस्तारपूर्वक जानते हैं कि हॉरर मूवीज का बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ता है और उनके लिए इस तरह की डरावनी फिल्में देखना कितना सही है-

पहले अपने बच्चे को पहचानें

पहले अपने बच्चे को पहचानें

चूंकि हर बच्चा अलग होता है, इसलिए किसी भी चीज को लेकर उसकी प्रतिक्रिया दूसरे बच्चे से अलग हो सकती है। इसलिए, हर बच्चे के लिए हॉरर मूवीज देखना गलत है या सही है, ऐसा नहीं कहा जा सकता। यह मुख्य रूप से बच्चे के स्वभाव पर निर्भर करता है और आप अपने बच्चे को किसी और से बेहतर जानते हैं, इसलिए आपके लिए यह तय कर पाना अधिक आसान होगा। यदि वे ऐसे बच्चे हैं जो आसानी से चीजों से डर जाते हैं या फिर डरावनी चीजों पर बात करने से भी उन्हें रात में ठीक तरह से नींद नहीं आती है, तो शायद उनके साथ बैठकर हॉरर मूवीज देखना तब तक एक अच्छा विचार नहीं है जब तक कि वे थोड़े बड़े न हों। वहीं, कुछ बच्चों को इससे कोई समस्या नहीं होती है।

करें तैयार

करें तैयार

अगर आपका बच्चा पहली बार हॉरर मूवीज देख रहा है या फिर वह हॉरर मूवीज का आनंद लेना चाहता है, लेकिन उसे कुछ हद तक डर लगता है तो ऐसे में आप इस ट्रिक को अपना सकते हैं। बेहतर होगा कि उसके साथ हॉरर मूवीज को देखने से पहले आप इंटरनेट पर हॉरर मूवीज को लेकर थोड़ी रिसर्च कर लें। साथ ही, आपने जिस मूवी को बच्चे के साथ देखने का मन बनाया है, उसकी स्टोरी व कुछ अन्य डीटेल्स पहले ही ले लें। आप इस जानकारी को बच्चे के साथ शेयर करें। पहले से क्या होने वाला है, यह जानना निश्चित रूप से इसे बच्चे के लिए कम डरावना बना देगा।

उम्र का भी रखें ख्याल

उम्र का भी रखें ख्याल

जब आप यह तय कर रहे हैं कि बच्चे को हॉरर मूवीज देखनी चाहिए या नहीं, तो ऐसे में उसकी उम्र का ख्याल रखना भी बेहद आवश्यक हो जाता है। मसलन, पांच साल से कम उम्र के बच्चे के लिए फैंटेसी और वास्तविकता में अंतर करना काफी मुश्किल होता है। इसलिए पांच साल से कम उम्र के बच्चे का हॉरर मूवीज देखना उचित नहीं माना जाता। वहीं पांच से सात साल के बच्चे वास्तविकता और फैंटेसी में अंतर करना शुरू कर देते हैं, लेकिन फिर भी यह सलाह दी जाती है कि हॉरर मूवीज बहुत अधिक वॉयलेंट नहीं होनी चाहिए। साथ ही, आप बच्चे के साथ ऐसी हॉरर मूवीज देखना सुनिश्चित करें, जो एक अच्छे मैसेज के साथ खत्म होती हों। ताकि हॉरर और वॉयलेंस के बीच भी बच्चा कुछ अच्छा सीख पाए।

अंततः यह कहा जा सकता है कि डरावनी फिल्में देखने से डरना या बच्चों को उनसे बिल्कुल दूर करना सही नहीं है। हमारे बच्चे अक्सर हमारे कंफर्ट जोन से बाहर निकलकर कुछ नया एक्सपीरियंस करना चाहते हैं। ऐसे में उन्हें जबरदस्ती रोकना सही नहीं है। लेकिन आपको उन पर व उनके व्यवहार पर पैनी नजर रखनी चाहिए। साथ ही, उन्हें यह भी समझाने का प्रयास करें कि वास्तविकता और फैंटेसी में अंतर होता है, ताकि वह स्क्रीन पर दर्शाए गए किसी भी दृश्य का खुद पर नकारात्मक प्रभाव ना होने दें।

English summary

Should You Let Your Kids Watch Scary Movies? in Hindi

here we are talking about the impact of horror movies on kids. Know should you allow your child to watch horror movies or not.
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