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नई रिसर्च में आया सामने, माओं की लंबाई से जुड़ा होता है गर्भावधि का समय
यदि
आपकी
लम्बाई
कम
है
तो
आपको
लगता
होगा
कि
आपका
शिशु
भी
कम
लम्बाई
का
ही
होगा,
है?
लेकिन
वास्तव
में
ऐसा
कुछ
नहीं
है।
एक
नए
शोध
के
अनुसार
जिन
महिलाओं
की
लम्बाई
कम
होती
है
उनके
बच्चों
का
वजन
और
लम्बाई
कम
होती
है
बल्कि
उनकी
लम्बाई
उनके
गर्भावस्था
को
भी
इफेक्ट
करती
है।
जिस
वजह
से
प्री
मैच्योर
डिलीवरी
का
खतरा
उन
पर
मंडराता
रहता
है,
आइए
जानते
है
इन
शोध
के
बारे
में
।
जीन
पर
नहीं
है
सब
कुछ
मार्च
ऑफ
डाइम्स
प्रीमैच्योरिटी
रिसर्च
सेंटर
ओहिया
कोलैबोरेटिव
के
शोधकर्ताओं
ने
3000
महिलाओं
पर
रिसर्च
करने
के
बाद
महिलाओं
की
लंबाई
और
उनके
बच्चों
के
बीच
संबंध
के
बारे
में
बताया
है।
सिनसिनैटी
चिल्ड्रन
हॉस्पीटल
मेडिकल
के
पैरीनेटल
मेडिकल
सेंटर
इंस्टीटयूट
के
डॉ.
लुईस
मुगलिआ
ने
बताया
कि
इस
आनुवांशिक
अध्ययन
में
पूर्वकाल
के
जन्म
के
जोखिम
के
बारे
में
पता
लगाने
के
लिए
माओं
की
लंबाई,
वजन
और
उम्र
की
जानकारी
एकत्रित
की
गई
थी।
डॉक्टर
ने
कहा
कि
अध्ययन
के
दौरान
हमें
पता
चला
कि
महिलाओं
की
लंबाई
का
असर
बच्चे
के
समय
से
पहले
जन्म
लेने
पर
पड़ता
है।
इसके बीच के संबंध को जानने के बाद शोधकर्ता भी हैरान थे। इसमें मां की लंबाई और शिशु के वजन और लंबाई के बीच आनुवांशिक संबंध पाया गया। गर्भावस्था की लंबाई केवल माता के आनुवांशिकी पर निर्भर नहीं करती है। इसका मतलब है कि छोटी महिलाओं में छोटी गर्भावधि के लिए कुछ और कारक भी जिम्मेदार हैं।
मां की लंबाई के अलावा गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के पोषण और अन्य सेहत संबंधी आदतों पर भी गर्भावधि निर्भर करती है। ऐसा इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि मां की लंबाई गर्भाशय के आकार या पैल्विक आकार को प्रभावित करती है या लंबाई का संबंध माँ के चयापचय से होता है।
दूसरे शब्दों में कहें तो बाहरी कारक मां की लंबाई पर असर डालते हैं जिसका प्रभाव गर्भ में शिशु के रहने की अवधि पर भी पड़ता है। मां के जींस से ज्यादा गर्भावधि की लंबाई नियंत्रित करती है और इसका मतलब है कि छोटी महिलाओं में गर्भावधि भी कम होती है।
कम लंबाई वाली महिलाएं क्या करें
जीन को लेकर तो आप कोई बदलाव नहीं कर सकते लेकिन पूरी गर्भावस्था के लिए आप कुछ और कर सकते हैं। मुगलिया का कहना है कि समय से पहले शिशु के जन्म को प्रभावित करने वाले कारकों में से लंबाई भी एक है। इसके अन्य कारकों में प्रेग्नेंसी की शुरुआत में सही वजन, गर्भावस्था के दौरान सही मात्रा में वजन का बढ़ना, धूम्रपान ना करना और गर्भावस्था के बीच सही अंतराल का होना शामिल है।
सिंपसन ने बताया कि मेरे पास आने वाली गर्भवती महिलाएं जिनकी लंबाई 4 फुट 10 ईंच होती है उनमें पेल्विस के छोटे होने के कारण सिज़ेरियन सेक्शन होने का खतरा रहता है। अगर पिता की लंबाई ज्यादा है तो हो सकता है कि शिशु की लंबाई मां से थोड़ी ज्यादा हो।
लंबाई कम होने पर गर्भावस्था के दौरान उचित देखभाल से प्रीटर्म बर्थ के खतरे को कम किया जा सकता है। इस शोध के परिणाम चिकित्सकों के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इससे उन्हें प्रीटर्म बर्थ के कारण के बारे में पता चलता है और साथ ही इसके निवारण के बारे में भी वो पता लगा सकते हैं।
जिन देशों में लोगों की आय कम है वहां पर महिलाओं में पोषण की कमी पाई जाती है। इसमें सुधार कर बच्चों के समय से पहले जन्म लेने की समस्या को कम किया जा सकता है। कई महिलाएं तनाव, प्रदूषण और खराब पोषण के बावजूद पूरी समयावधि में शिशु को जन्म देती हैं। सिंप्सन कहते हैं कि इसमें लंबाई का ज्यादा लेना-देना नहीं है।