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आप प्रेगनेंट है! तो इन संकेतों से जानिए नॉर्मल डिलीवरी के लक्षण
हर गर्भवती महिला का प्रसव बहुत अलग होता है, किसी का नॉर्मल तो किसी का सीजेरियन होता हैं? हालांकि ज्यादात्तर महिलाएं नॉर्मल डिलीवरी चाहती है, क्योंकि सीजेरियन डिलीवरी के बाद महिलाओं को बहुत तकलीफ या चुनौतियों का सामना करना होता हैं। हर महिला का प्रसव स्थिति और गर्भवती महिला के स्वास्थय पर निर्भर करता हैं।
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इसलिए यह बता पाना काफी मुश्किल है कि आपके प्रसव की शुरुआत कब होगी। हालांकि, प्रसव से पहले की अवस्था, प्रसव की शुरुआत और सक्रिय प्रसव की अवस्था के दौरान कुछ विशेष बदलाव होते हैं। इनसे आपको यह जानने में मदद मिल सकती है कि आपका प्रसव और शिशु का जन्म नजदीक ही है।
नॉर्मल डिलीवरी में गर्भवती महिला दवाओं या तकनीकों के इस्तेमाल के बिना प्रसव करती है। सामान्य प्रसव एक प्राकृतिक प्रक्रिया होता है जिसके माध्यम से हर एक गर्भवती महिला 9 महीने अपने बच्चे को गर्भाशय में रखने के बाद अपने आप जन्म देती हैं। लगभग 80-85% महिलाओं को सामान्य प्रसव की संभावना होती है।
नॉर्मल और सीजेरियन डिलीवरी के बाद कब से शुरु करना चाहिए सेक्स?
वैसे ज्यादातर महिलाएं सामान्य प्रसव ही चाहती है तो आइए जानते है कि डिलीवरी के आसपास आपको कैसे मालूम चलेगा कि आपकी नॉर्मल डिलीवरी है या सिजेरियन।
प्राकृतिक और सामान्य प्रसव ही सही क्यों होता है?
सामान्य प्रसव में लम्बे समय तक दर्द नहीं होता है जबकि सिजेरियन में लगभग 6-7 महीने तक आराम करना पड़ता है। सामान्य प्रसव एक प्राकृतिक तरीका है, सामान्य प्रसव में एक महिला अपने गर्भावस्था को और भी करीब से के एहसास करते हैं।
सामान्य प्रसव के बाद एक महीने में माँ स्वस्थ तरीके से घर का छोटा मोटा कार्य कर सकती है, जबकि सिजेरियन डिलीवरी में मां को कई महीनों तक इंतजार करना होता हैं। सामान्य प्रसव में किसी भी प्रकार का सर्जरी नहीं होता है जबकि सिजेरियन में बहुत बड़ा सर्जरी लगता है।
प्रसव का समय, बच्चे का नीचे आना
अगर यह आपका पहला गर्भधारण है तो आपको लाइटनिंग नामक प्रक्रिया के बारे में लेबर के कुछ हफ़्तों पहले पता चलेगा, जिसका मतलब यह होता है कि बच्चा आपकी कोख के निचले हिस्से में पहुँच गया है। आपको अब अपनी छाती की हड्डियों के नीचे काफी कम दबाव महसूस होगा और इससे आपको सांस लेने में भी आसानी होगी।
मरोड़े आना
बार बार और तीव्र रूप से होने वाली ब्रेक्सटन हिक्स वाली मरोड़ें इस बात का संकेत है कि आपके शरीर में लेबर की प्रक्रिया शुरू होने वाली है। इस समय आपकी गर्भाशय ग्रीवा (cervix) पतली और चौड़ी होती रहती है। इसके बाद असल लेबर की शुरुआत होती है। कई महिलाएं इस दौरान मासिक धर्म या पीरियड जैसी मरोड़ों का अनुभव करती हैं।
गर्भाशय ग्रीवा में बदलाव
बच्चे के पैदा होने के कई दिनों और हफ़्तों पहले गर्भाशय ग्रीवा को जोड़ने वाले तंतुओं में परिवर्तन होने की वजह से यह नर्म और अंत में पतली तथा चौड़ी हो जाती है, जिसे डाईलेट होना कहा जाता है। अगर आपने पहले कभी बच्चे को जन्म दिया है, तो लेबर शुरू होने से पहले आपकी गर्भाशय ग्रीवा करीब 1 से 2 सेंटीमीटर तक डाईलेट होगी। परन्तु इस बात का ध्यान रखें कि पहले बच्चे के साथ 40 हफ्ते की गर्भावस्था में होने और 1 सेंटीमीटर डाईलेट होने से भी यह बात निश्चित नहीं होती कि लेबर होने वाला है। जब आप बच्चे के पैदा होने की तिथि के नज़दीक पहुँच जाती हैं, तो इस समय आपका डॉक्टर आपके गुप्तांग की जांच करके इस बात का पता लगाने का प्रयास करता है कि आपकी गर्भाशय ग्रीवा में बदलाव आना शुरू हुआ है या नहीं।
पानी का छूटना
जब आपके बच्चे को चारों ओर से घेरा हुआ द्रव्य युक्त अम्नियोटिक सैक (amniotic sac) foot जाता है, तो आपके गुप्तांगों से एक द्रव्य निकलने लगता है। चाहे यह काफी ज़्यादा मात्रा में या धीरे धीरे ही क्यों ना निकले, यह इस बात का संकेत है कि डॉक्टर या धाय को बुलाने का समय आ गया है।
ज़्यादातर महिलाओं में पानी छूटने से पहले सामान्य मरोड़ें उठने लगती हैं, परन्तु कुछ स्थितियों में पानी पहले छूटता है। अगर ऐसा होता है तो जल्दी ही लेबर की प्रक्रिया भी शुरू हो जाती है।
ब्लडी शो या म्यूकस प्लग का निकलना
गर्भावस्था के आखिरी दौर में हो सकता है कि पतला स्राव हो, जिसमें खून भी हो सकता है। दरअसल इस दौरान गर्भाशय से डिचार्ज आता है। क्योंकि इस दौरान गर्भाशय खुलता है। इसका मतलब ये हो सकता है कि प्रसव पीड़ा एक घंटे में शुरू हो सकती है या फिर एक सप्ताह भी लग सकता है।
दस्त या डारिया होना
डारिया के लक्षण हो सकता है प्रसव पीड़ा के शुरुआती दौर में आपको डायरिया की शिकायत हो जाए। इस दौरान आपकी बॉडी कई तरह के हार्मोन रिलीज करती है। इस वजह से बार-बार टॉयलट भी जाना पड़ सकता है।
सवाईकल पेन
पीठ में दर्द बहुत सारी औरतों को ये समस्या होती है। ऐसा भी हो सकता है कि आपको लंबे समय तक बैंक पेन हो लेकिन जब दर्द ज्यादा हो तो समझ लें कि ये प्रसव पीड़ा का संकेत भी हो सकता है।