Just In
- 43 min ago LokSabha Chunav 2024 : सही करो मतदान तो, हो उत्तम सरकार... इन संदेशों से लोगों को वोटिंग के लिए करें प्रेरित
- 1 hr ago नारियल पानी Vs नींबू पानी, गर्मियों में हाइड्रेड रहने के लिए क्या पीना है ज्यादा फायदेमंद?
- 3 hrs ago Mukesh Ambani Quotes On Success: हर युवा को प्रेरित करते हैं मुकेश अंबानी के ये विचार
- 4 hrs ago Happy Birthday Mukesh Ambani: बुलंदियों पर पहुंचकर भी जड़ों को न भूलने वाले मुकेश अंबानी को दें जन्मदिन की बधाई
Don't Miss
- Movies 'किसी के बाप की इंडस्ट्री..' विद्या बालन ने नेपोटिज्म पर कह डाली ऐसी बात, कइयों को लगेगी मिर्ची!
- Finance Bangalore के लोगों को मिल सकती है चिलचिलाती गर्मी से राहत, आज हो सकती है तेज बारिश
- News UP Lok Sabha Election 2024: मुजफ्फरनगर के इस गांव के लोगों ने किया मतदान का बहिष्कार, कर रहे यह मांग
- Automobiles ये हैं देश की टॉप-3 कॉम्पैक्ट SUV! डिजाइन से लेकर फीचर तक में बवाल, Hyundai Creta का है बोलबाला!
- Technology अब यूजर्स Google Drive के वेब वर्जन में कर सकेंगे Dark Mode का यूज, आंखों पर नहीं पड़ेगा जोर
- Education Jharkhand Board 10th Result 2024: कल आयेगा झारखंड बोर्ड 10वीं का परिणाम, कैसे चेक करें JAC Matric Result
- Travel बोरिंग जिंदगी से चाहिए ब्रेक तो घूम आएं ये 6 बटरफ्लाई पार्क, जहां फूलों में रंग भरती हैं तितलियां
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
मां के पेट में यूरिन कर सकता है बेबी?
गर्भावस्था एक स्त्री के जीवन का सबसे खूबसूरत चरण होता है। अपने अंदर पल रहे एक नए जीवन को लेकर मन में उत्साह तो रहता ही है लेकिन बच्चे की सुरक्षा को लेकर कई तरह की चिंताएं भी रहती हैं।
यदि आपके डॉक्टर ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि आप माँ बनने वाली हैं तो ज़ाहिर सी बात है आप खुद को सातवें आसमान पर महसूस कर रही होंगी। आप पहले अल्ट्रासाउंड का बेसब्री से इंतज़ार कर रही होंगी। आमतौर पर डॉक्टर अल्ट्रासाउंड के लिए 18 से 20 हफ्ते तक इंतज़ार करते हैं। एक बार आपके गर्भ में पल रहे भ्रूण का अच्छे से पता लग जाए तो आपकी प्रेगनेंसी की पुष्टि सुरक्षित तौर पर हो जाएगी।
आपके गर्भावस्था के दौरान आपके डॉक्टर समय समय पर अल्ट्रासाउंड करके होने वाले बच्चे के स्वास्थ्य की जानकारी लेते रहेंगे। अपने शिशु को धीरे धीरे गर्भ में पलता देख आप भी उत्साहित रहेंगी। भ्रूण सबसे ज़्यादा करीब और सुरक्षित अपने माँ के गर्भ में होता है क्योंकि बच्चे के प्राकृतिक और सामान्य रूप से विकास के लिए गर्भ ही सही पोषण और वातावरण देता है।
लेकिन क्या आप यह सोचती हैं कि आपका बच्चा उस छोटी सी जगह में सुरक्षित और स्वस्थ है। क्या वह एमनीओटिक फ्लूइड से घिरे रहने के बाद भी सांस ले पा रहा है। इसके अलावा उसे ऑक्सीजन और खाना कैसे मिलता है। सबसे ज़रूरी बात वह एक्स्क्रीट कैसे करता है या फिर वह एक्स्क्रीट करता भी है या फिर नहीं? ऐसे कई सारे सावल माँ बनने वाली स्त्री के मन में अकसर आते हैं। अगर आप अपने सवालों के जवाब चाहती हैं तो सबसे पहले आपको गर्भावस्था की तिमाहियों के बारे में जानना होगा।
गर्भावस्था तिमाही
मानव जाति की गर्भावस्था तीन भागों में विभाजित होती है। पहली तिमाही में शुरुआत के तीन महीने होते हैं दूसरे में चौथा, पांचवा और छठा महीना होता है और सबसे आखिरी और तीसरे महीने में सातवां, आठवां और नौवा महीना होता है।
सभी महिलाओं को इन नौ महीनों में कई सारे मानसिक शारीरिक परिवर्तनों का सामना करना पड़ता है। यदि आपको पहले से इन सब के बारे में पता होगा तो आप आसानी से और बेहतर तरीके से गर्भावस्था के दौरान होने वाली समस्याओं से निपट सकती हैं।
इन सभी तिमाहियों में होने वाले बच्चे का विकास सबसे महत्वपूर्ण बात होती है जिसकी जानकारी आपके डॉक्टर आपको समय समय पर देते रहेंगे।
गर्भ में पल रहे भ्रूण के अंगों का विकास
क्या आप अपने डॉक्टर से बार बार यही सवाल करती हैं कि आपके बच्चे के शरीर के अंगों का विकास ठीक से हो रहा है या नहीं यानी क्या उसका दिल, किडनी, लिवर आदि ठीक से बना है या नहीं। अगर हाँ तो हमारे इस लेख में आपके कई सारे सवालों के जवाब मौजूद है।
यहां आपके गर्भावस्था की तिमाहियों के अलावा आपके अंदर होने वाले परिवर्तन और आपके बच्चे के सही विकास से जुड़ी सभी जानकारियां प्राप्त होगी।
पहली तिमाही
इस दौरान आपके शरीर में कई सारे परिवर्तन आएंगे ख़ास तौर पर हार्मोनल परिवर्तन पहली तिमाही में ज़्यादा होते हैं। हालांकि शुरुआत में आपको इस बात की जानकारी ठीक से नहीं होगी कि आप प्रेग्नेंट हैं, लेकिन फिर भी आपको अपने अंदर कई सारे बदलाव महसूस होंगे क्योंकि आपका शरीर आपके होने वाले बच्चे के लिए तैयारी कर रहा है।
इस समय आपको उल्टी, जी मिचलाना, थकान, सिर दर्द आदि जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। आपके दिल को गर्भ में पल रहे भ्रूण को ज़्यादा खून उपलब्ध कराने के लिए और भी मज़बूती से काम करना पड़ता है। ठीक इसी प्रकार एक्स्ट्रा ऑक्सीजन के लिए आपके लंग्स को भी ज़्यादा काम करना पड़ता है।
गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में आपके डॉक्टर आपको फोलिक एसिड का सेवन करने की सलाह देंगे ताकि पहली तिमाही के दौरान आपके बच्चे के ज़्यादातर ऑर्गन सिस्टम का विकास हो जाता है। यह वह समय है जब आपको अपने खाने पीने ध्यान रखना चाहिए और सारी बुरी आदतों से दूर रहना चाहिए ताकि बच्चे का विकास ठीक से हो और वह एकदम स्वस्थ रहे।
दूसरी तिमाही
यह तिमाही महिलाओं के लिए थोड़ी राहत भरी होती है क्योंकि इस समय शरीर अलग अलग परिवर्तनों को झेलने में सक्षम हो जाता है। इतना ही नहीं गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास के साथ साथ आपके पेट का आकार भी बढ़ जाता है जिसके कारण आप टाइट कपड़े नहीं पहन पाती। आपका वज़न तेज़ी से बढ़ने लगता है और आपको अधिक भूख भी लगने लगती है।
इस दौरान आपको हार्ट बर्न और पैरों में दर्द की समस्या भी हो सकती है। कुछ भोजन आपको इस समय स्वादिष्ट लगने लगेंगे। वहीं दूसरी ओर कई महिलाएं इस दौरान भयंकर कब्ज़ और बार बार पेशाब की समस्या से पीड़ित रहती हैं। आपके बढ़ते कोलोन और किडनी पर असर पड़ता है।
दूसरी तिमाही में होने वाले अल्ट्रासाउंड से इस बात की पुष्टि अच्छे से हो जाएगी कि आपके बच्चे के शरीर के अंग जैसे दिल, किडनी, लंग्स, ब्रेन आदि ठीक से बने हैं या नहीं। इसके अलावा अपने बच्चे के बैकबोन को देखकर आपको इस बात की जानकारी भी आसानी से हो जाएगी कि उसके नर्वस सिस्टम का विकास भी हो रहा है। इतना ही नहीं, बच्चे की उंगलिया और पंजे भी आप देख सकते हैं।
आँखें, पलकें, भौंहें यह सब भी दूसरी तिमाही में ही बनते हैं। आपके बच्चे का रिप्रोडक्टिव ऑर्गन्स अब पूरी तरह से तैयार हो चुका होता है। इस तिमाही के अंत तक बच्चा किसी भी तरह तेज़ आवाज़ को सुनकर अपनी प्रतिक्रिया देने लगता है। पूरी तरह से विकसित हो चुके नर्वस सिस्टम के कारण अब आपका बच्चा जम्हाई ले सकता है, खिंचाव कर सकता है और लाते भी मार सकता है।
तीसरी तिमाही
लंग्स आखिरी ऑर्गन होते हैं जो तीसरी तिमाही में विकसित होते हैं। लेकिन बच्चा उसका प्रयोग तब तक नहीं कर सकता जब तक वह इस दुनिया में न आ जाए। इस दौरान बच्चा तेज़ी से आपके गर्भ में घूमने लगता है। उनकी उंगलियों में नाखून भी पूरी तरह से आ जाते हैं। उनकी आँखें पूरी तरह से काम करने लगती हैं जिसके कारण वह तेज़ रौशनी में भी प्रतिक्रिया दे सकता है।
कुछ अल्ट्रासाउंड स्कैन्स में आप बच्चे को अपना अंगूठा चूसते या फिर जुड़वा बच्चों को एक दूसरे का हाथ पकड़े हुए भी देख सकते हैं। हालांकि बच्चे के सभी अंग दूसरी तिमाही में ही बन जाते हैं लेकिन तीसरी तिमाही में आमतौर पर बच्चे का वज़न बढ़ता है और उसका विकास होता है।
किस तिमाही में बच्चा पेशाब करता है?
बच्चे के विकास और सभी तिमाहियों की जानकारी अब आपको अच्छे से हो गयी है। अब माँ बनने वाली महिलाओं के दिमाग में अकसर यह सवाल उठता है कि किस तिमाही में बच्चा गर्भ में पेशाब करता है या फिर वह पेशाब करता भी है या नहीं।
जैसा की हमने आपको बताया कि किडनी का विकास दूसरी तिमाही में हो जाता है। यह बच्चे के रक्त प्रवाह को यूरिन उत्पन्न करने के लिए तैयार करता है। इस यूरिन का त्याग बच्चा गर्भ में करता है। असल में इसी यूरिन से ज़्यादातर एमनीओटिक फ्लूइड बनता है। गर्भावस्था के दौरान बच्चा लगातार एमनीओटिक फ्लूइ निगलता है और फिर वापस इसका त्याग भी कर देता है। यह बच्चे की सेहत की जानकारी के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण बात होती है।
गर्भ में एमनीओटिक फ्लूइड की मात्रा इस बात की ओर सीधे संकेत करती है कि आपके बच्चे का पाचन तंत्र और किडनी सामान्य तरीके से काम कर रहा है या नहीं। बच्चा गर्भ में मल त्याग नहीं करता है क्योंकि पाचन तंत्र उस तरह से कार्यात्मक नहीं है। बच्चे ऊर्जा और पोषण अपनी माँ से गर्भनाल के द्वारा प्राप्त करते हैं। वहीं ऑक्सीजन सीधे प्लेसेंटा से बच्चे के बी लोड वेसल में जाता है।
गर्भावस्था में आपको ज़्यादा चिंता करने से बचना चाहिए। यदि आप अपने खाने पीने का ध्यान रख रही हैं और अपने डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही काम कर रही हैं तो आपको अपने होने वाले बच्चे की सेहत के बारे में ज़्यादा सोचने की ज़रुरत नहीं है। गर्भावस्था प्रकृति का एक चमतकार है इसलिए बाकी सारी चीज़ों का ख्याल इसे ही रखने दीजिये।