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इस एक टेस्ट से आप होने वाले शिशु को बचा सकते हैं जेनेटिक बिमारियों से
जब एक बच्चा जन्म लेता है तो उसमें दो तरह के जींस पाए जाते हैं एक माँ से और एक पिता से। दोनों जींस मिलकर बच्चे के नैन नक्श और उसकी पर्सनालिटी तय करते हैं। बच्चे को एक और चीज़ विरासत में माता पिता से मिलती है और वो है जेनेटिक डिसऑर्डर। यह जेनेटिक डिसऑर्डर जींस में परिवर्तन की वजह से होता है। इस तरह के बदलाव सेल्स के बढ़ने या फिर कुछ केमिकल्स के संपर्क में आने से होते हैं। कुछ जेनेटिक डिसऑर्डर परिवार में कई पीढ़ियों से चले आ रहे होते हैं। अगर आपके परिवार में भी ऐसा है तो फिर आपके होने वाले बच्चे को भी यह हो सकता है लेकिन इस बात की संभावना और भी बढ़ जाती है जब इस तरह की कोई परेशानी आपके पार्टनर के परिवार में भी हो।
इस बात का पता लगाना के लिए कि आपके होने वाले बच्चे को माता या पिता से कोई जेनेटिक डिसऑर्डर होगा, आप जेनेटिक टेस्टिंग करा सकते हैं। आइए जेनेटिक टेस्टिंग के बारे में विस्तार से जानते हैं।
क्या है जेनेटिक टेस्टिंग?
अपने होने वाले बच्चे को जेनेटिक डिसऑर्डर से बचाने के लिए आप यह जांच करवा सकते हैं। इससे यह फ़ौरन पता लग जाता है कि माता या पिता में ऐसा कौन सा जीन मौजूद है जो बच्चे को भी जेनेटिक बीमारी दे सकता है। इस टेस्ट में रक्त के नमूने का विश्लेषण किया जाता है।
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जेनेटिक टेस्टिंग किस बात का खुलासा करता है?
कुछ जेनेटिक डिसऑर्डर जैसे थैलेसीमिया और सिकल जानलेवा होते हैं। अगर आपके परिवार में पहले से ही इस तरह के जेनेटिक डिसऑर्डर हैं तो मुमकिन है आपके होने वाले बच्चे को भी यह विरासत में मिल सकता है। यदि आप में उत्परिवर्तित जीन है और आपके पार्टनर का जेनेटिक डिसऑर्डर का कोई इतिहास नहीं है तो आप दोनों में से किसी का भी प्रमुख जीन बच्चे में भी चला जाएगा। जेनेटिक टेस्टिंग से आपकी जीन में कुछ खास किस्म की असामान्यताओं एवं विकारों से ग्रस्त होने का पता चल जाता है।
किसे होती है जेनेटिक टेस्टिंग की ज़रुरत?
हर किसी को जेनेटिक टेस्टिंग की ज़रूरत नहीं होती है। अगर आपके परिवार में जेनेटिक डिसऑर्डर का इतिहास है तभी आप यह जांच करवाएं।
कैसे काम करता है जेनेटिक टेस्टिंग?
इस जांच में रक्त या बाल के नमूने को लेबोरेटरी में भेजा जाता है जहां विशेषज्ञ इनकी जांच करते हैं अगर इस परिक्षण में प्राप्त परिणाम अगर पॉजिटिव है तो समझ लीजिये कि नमूने में जेनेटिक म्युटेशन है। इसके बाद कुछ और भी जांच करवाए जा सकते हैं ताकि म्युटेशन और उसके प्रभाव को सही तरीके से समझा जा सके।
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कब कराएं आप जेनेटिक टेस्टिंग?
अगर इनमें से कोई भी जेनेटिक डिसऑर्डर आपके या आपके पार्टनर के परिवार पीढ़ियों से चला आ रहा हो तो ऐसे में आप जेनेटिक टेस्टिंग करवा सकते हैं।
ब्रेस्ट एंड ओवेरियन कैंसर
सीलिएक रोग
मैक्यूलर डिजनेरेशन
बाइपोलर डिसऑर्डर
मोटापा
पार्किंसंस डिसीज़
सिस्टिक फाइब्रोसिस
तै-सैश डिज़ीज़
जेनेटिक टेस्टिंग के फायदे और नुकसान
जहां एक और जेनेटिक टेस्टिंग के फायदे हैं वहीं इससे कुछ नुकसान भी होता है। इस परिक्षण से हम अनुवांशिक बीमारी का पता लगा सकते हैं और जांच के परिणाम से शुरूआती उपचार विकल्पों को चुन सकते हैं। लेकिन इस जांच से कई लोगों को पछतावा भी हो सकता है जब उन्हें यह पता चलता है कि उनके बच्चे को कोई जेनेटिक डिसऑर्डर है। इसके अलावा इस जांच से परिवार के कई भेद भी खुल जाते हैं जिससे घर में तनाव का माहौल पैदा हो जाता है।
बेहतर यही होगा कि इस जांच को करवाने से पहले आप खुद को मानसिक और शारीरिक दोनों ही रूपों से तैयार कर लें। यदि परिणाम पॉजिटिव आता है तो इसका कतई यह मतलब नहीं कि सब कुछ खत्म हो गया। इस विषय में आप अपने डॉक्टर से उचित सलाह लीजिये।
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