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रोगों से मुक्ति पाने के लिए करें ये ज्योतिषीय उपाय
अगर आप लम्बे समय से किसी रोग से ग्रसित हैं और लाख कोशिशों के बावजूद भी आपकी सेहत में कोई सुधार नहीं आ रहा है या आपके परिवार का कोई सदस्य किसी रोग से पीड़ित है तो हम आपको कुछ ऐसे उपाय बताएंगे जिससे आप निरोगी काया पा सकते हैं। जी हाँ ज्योतिषशास्त्र में आपकी इस समस्या का भी समाधान है। बस कुछ सरल उपाय करने से आपको अपनी शारीरिक और मानसिक दोनों ही बीमारियों से छुटकारा मिल सकता है।
ज्योतिष विज्ञान के अनुसार हर बीमारी का सम्बन्ध किसी न किसी ग्रह से होता है जो जातक की कुंडली में या तो कमज़ोर होता है या फिर किसी दूसरे ग्रह से प्रभावित होता है। सबसे पहले जानते हैं कौन सा ग्रह किस रोग का कारण बन सकता है।
सूर्य: अगर आपकी कुंडली में सूर्य की स्थिति अशुभ है तो आपको यह रोग हो सकते हैं पित्त, उदर सम्बन्धी रोग, न्यूरोलॉजी से सम्बन्धी रोग, नेत्र रोग, ह्रदय रोग, कुष्ठ रोग, सिर के रोग, ज्वर, मूर्च्छा, रक्तस्त्राव, मिर्गी इत्यादि।
चन्द्रमा: चंद्रमा की ख़राब स्थिति से यह रोग होते हैं अस्थमा, डायरिया, रक्तविकार, जल की अधिकता या कमी से संबंधित रोग, उल्टी, किडनी संबंधित रोग, मधुमेह, अपेन्डिक्स, कफ रोग, पेशाब से सम्बंधित रोग, मुख सम्बन्धी रोग, मानसिक रोग, ह्रदय एवं फेफड़े से सम्बन्धी रोग इत्यादि।
मंगल: अगर आपकी कुंडली में मंगल दोष है तो आपको ये रोग हो सकते हैं खुजली, रक्त सम्बन्धी रोग, गर्दन एवं कण्ठ से सम्बन्धित रोग, रक्तचाप, मूत्र सम्बन्धी रोग, ट्यूमर, कैंसर, पाइल्स, अल्सर, दस्त, कटना, फोड़े-फुन्सी, ज्वर।
बुध: कमज़ोर बुध वाले व्यक्ति को छाती से सम्बन्धित रोग, नसों से सम्बन्धित रोग, नाक से सम्बन्धित रोग, ज्वर, खुजली, टायफाइड, मानसिक रोग, लकवा, मिर्गी, अल्सर, मुख के रोग, चर्मरोग, हिस्टीरिया, चक्कर आना, निमोनिया, विषम ज्वर, पीलिया, वाणी दोष, कण्ठ रोग, स्नायु रोग इत्यादि हो सकते हैं।
गुरु: अगर आपकी कुंडली में गुरु की स्थिति अशुभ है तो आपको इन बीमारियों से जूझना पड़ सकता है लीवर से सम्बंधित रोग, किडनी से सम्बन्धित रोग, कर्ण सम्बन्धी रोग, मधुमेह, पीलिया, याददाश्त में कमी, दंत रोग, मस्तिष्क विकार।
शुक्र: कमज़ोर शुक्र वालों को दृष्टि सम्बन्धित रोग, मूत्र सम्बन्धित एवं गुप्त रोग, मिर्गी, अपच, गले के रोग, नपुंसकता, पीलिया जैसे रोग हो सकते हैं।
शनि: शनि की अशुभ स्थिति के कारण शारीरिक कमजोरी, पेट दर्द, घुटनों या पैरों में दर्द, दांतों अथवा त्वचा सम्बन्धित रोग, मांसपेशियों से सम्बन्धित रोग, लकवा, बहरापन, खांसी, दमा आदि जैसी बीमारियां होती है।
राहु: राहु की ख़राब दशा मस्तिष्क सम्बन्धी विकार, निर्बलता, चेचक, पेट में कीड़े, पागलपन, तेज दर्द, कुष्ठ रोग, कैंसर जैसी बीमारी को जन्म देती है।
केतु: ख़राब केतु के कारण रक्तदोष, चर्म रोग, श्रमशक्ति की कमी, सुस्ती, शरीर में चोट, घाव, एलर्जी आदि जैसी बीमारियां होती है।
इन ज्योतिषीय उपायों से रखें खुद को और अपने परिवार को बीमारियों से दूर
1. पीपल के पेड़ पर रविवार को छोड़कर हर दिन जल चढ़ाएं। साथ ही इस वृक्ष की परिक्रमा करें। पुरुष सात बार परिक्रमा करें किन्तु महिलाएं परिक्रमा न करें।
2. हर पूर्णिमा पर भोलेनाथ को जल चढ़ाएं।
3. अमावस्या को प्रात: मेहंदी का दीपक पानी मिला कर बनाएं। चौमुंहा दीपक बनाकर उसमें 7 उड़द के दाने, कुछ सिन्दूर, 2 बूंद दही डाल कर 1 नींबू की दो फांकें शिवजी या भैरों जी के चित्र का पूजन कर, जला दें।
4. महामृत्युजंय मंत्र की एक माला या बटुक भैरव स्रोत का पाठ करने रोग-शोक दूर होते हैं।
5. पीड़ित को पक्षियों, पशुओं और रोगियों की सेवा करनी चाहिए। इससे बीमारी के आलावा, भूत बाधा भी दूर होते हैं साथ ही मानसिक शान्ति का भी अनुभव होता है।
6. पीने के पानी में थोड़ा गंगा जल मिलाकर पीने से भी रोगी को शीघ्र लाभ मिलता है।
7. प्रत्येक मंगलवार को बजरंबली को सिन्दूर चढ़ाएं और बजरंबली से जल्द ही स्वस्थ होने की प्रार्थना करें। साथ ही वह सिन्दूर रोगी भी लगाए।
8. शुक्ल पक्ष को सोमवार के दिन सात जटा वाले नारियल लेकर ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करते हुए नदी में प्रवाहित करें। इससे रोग अौर दरिद्रता दोनों ही दूर हो जाएंगे।
9. तकिए के नीचे सहदेई अैर पीपल की जड़ रखें, इससे लम्बे समय से चली आ रही बीमारी से छुटकारा मिल जाएगा।
10. दान पुण्य करने से भी बहुत लाभ होता है।