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एकाग्रता के लिए नटराज आसन करें
नटराज आसन और उत्थित जानू शीर्षासन ऐसे ही दो योगासन हैं जिनका अभ्यास साथ-साथ करना चाहिए.
विधि
नटराज आसन के लिए सबसे पहले सीधे खड़ें हो जाएँ. अपने सामने किसी बिंदु पर ध्यान केंद्रित करें. मन के एकाग्र होने पर दाएँ पैर का घुटना मोड़े. दाएँ हाथ से दाएँ पैर का टखना पीछे की ओर से पकड़ें.
घुटनों को मिलाकर रखें. यह प्रारंभिक स्थिति है. साँस भरें और दाएँ पैर को पीछे की तरफ से ऊपर उठाएँ. पैर के तलवे को पीछे की ओर खींचे. दायाँ बाज़ू सीधा रखें. बाएँ पैर का घुटना नहीं मोड़ें.
संतुलन बनाने के लिए बाएँ हाथ को कंधे के सामने लाएँ. बाज़ू सीधी रखें. बाएँ हाथ की मुद्रा बना लें. यानी अँगूठे और पहली अँगुली के अग्रभाग को मिला लें.
शेष तीनों उंगलियों को सीधा रखें. इस अवस्था में कुछ सेकेंड ठहरें. इसके बाद प्रारंभिक अवस्था में वापस आएँ. इसी तरह दूसरे पैर से भी नटराज आसन का अभ्यास करें.
लाभ
नटराज आसन पैरों की माँसपेशियों को व्यायाम देता है. इसके अलावा तंत्रिका तंत्र पर भी अच्छा प्रभाव डालता है. इसके नियमित अभ्यास से तंत्रिकाओं में आपसी तालमेल बेहतर होता है. इसके प्रभाव से शारीरिक स्थिरता आती है और मानसिक एकाग्रता बढती है.
नटराज आसन के साथ उत्थित जानू शीर्षासन किया जाना चाहिए.
विधि
उत्थित जानू शीर्षासन से मस्तिष्क में रक्त संचार सुचारू करने में मदद मिलती है
सीधे खड़े हो जाएँ. दोनों पैरों में दो फुट का अंतर रखें. साँस भरें. दोनों बाज़ुओं को कंधे के सामने लेकर आएँ. यह प्रारंभिक अवस्था है. उत्थित जानू शीर्षासन करने के लिए साँस बाहर निकालें.
कमर से आगे की ओर झुकें. माथे को घुटनों के समीप लाने का प्रयास करें.दोनों हाथों को बाहर की ओर से घुटनों या पिंडली के पीछे लेकर आएँ. दाएँ हाथ से बाएँ हाथ की कलाई पकड़ें.
बाज़ुओं में खिचाव लाएँ. हाथों को नीचे की ओर खींचे. ऐसा करने से आपका माथा घुटनों के और समीप आ जाएगा. इस अवस्था में दो-तीन सेकेंड ठहरें. फिर साँस भरते हुए सीधे खड़े हो जाएँ.
हाथों को भी कंधों के सामने लाएँ. फिर साँस निकालते हुए हाथों को नीचे कर लें. यह पूरा एक चरण है. तीन से पाँच बार तक इसका अभ्यास किया जा सकता है. उच्च रक्तचाप, श्याटिका या स्लिप डिस्क की समस्या होने पर इसका अभ्यास नहीं करें.
लाभ
उत्थित जानू शीर्षासन पेनक्रियाज़ पर समुचित दबाव डालता है. उसकी क्षमता को बढ़ाता है.
नियमित अभ्यास से कूल्हे के जोड़ और पैरों की माँसपेशियाँ तनाव रहित होती है. इससे मस्तिष्क की ओर रक्त का संचार सही तरह से होता है.