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अस्थमा के मरीजों के लिए डाइट प्लान

अस्थमा जानलेवा बीमारी है। यह फेफड़ों की घातक और लम्बे समय तक चलने वाली बीमारी है जिसके कारण सांस लेने के मार्ग में सूजन आ जाती है और यह रास्ता संकरा हो जाता है। अस्थमा के कारण घरघराहट, सीने में जकड़न, सांस लेने में तकलीफ और कफ़ की समस्या होती है। इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति को दर्द और सांस लेने में होने वाली तकलीफ के कारण जीवन नरक के समान लगने लगता है।
कुछ अध्ययनों से पता चला है कि उचित पोषण न मिलने के कारण अस्थमा की तकलीफ हो सकती है। यूनाइटेड स्टेट (संयुक्त राज्य में) अस्थमा के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है और ऐसा माना जाता है कि इसका एक मुख्य कारण डाइट के पैटर्न में होने वाला परिवर्तन है। अधिकाँश अमेरिकी लोग ताज़े फल और सब्जियां खाने के बजाय प्रोसेस्ड फ़ूड खाते हैं जिसके कारण अस्थमा का खतरा हो सकता है।
आज बहुत से लोग अस्थमा के उपचार के लिए आयुर्वेद का सहारा ले रहे हैं और इसके अच्छे परिणाम देखने मिल रहे हैं। यदि आप भी अपने डाइट प्लान में सुधार लाते हैं तो आपको भी निश्चित रूप से अच्छे परिणाम देखने मिलेंगे।
मोटापा और अस्थमा एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और ऐसा पाया गया है कि यदि मरीज़ का वज़न स्वस्थ और सामान्य रहे तो अस्थमा के अटैक कम हो जाते हैं। वज़न बढ़ने के कारण अस्थमा के अटैक भी बढ़ जाते हैं अत: अस्थमा के मरीजों के लिए हेल्दी डाइट लेना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है और इस लेख में हम इस विषय पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

ताज़े फल:
ताज़े फल एंटीऑक्सीडेंट और बीटा कैरोटीन का अच्छा स्त्रोत होते हैं और शोधकर्ताओं ने यह सिद्ध किया है कि वे लोग जो बचपन में बहित अधिक फल खाते हैं उन्हें अस्थमा होने की संभावना बहुत कम होती है। कीवी और ऑरेंज जैसे फलों में बहुत अधिक मात्रा में विटामिन सी और ई पाया जाता है। इस प्रकार के फलों से फेफड़ों में सूजन और जलन कम होती है।

ताज़ी और हरी पत्तेदार सब्जियां:
अस्थमा के मरीजों के लिए ताज़ी और हरी पत्तेदार सब्जियां बहुत लाभदायक होती है। इनमें बहुत अधिक मात्रा में विटामिन्स और फ्लेवोनाइड्स होते हैं जो शरीर में मुक्त कणों को नष्ट करते हैं। ये मुक्त कण शरीर में पाए जाने वाले टॉक्सिंस होते हैं जो अस्थमा को और अधिक बढ़ा सकते हैं।

सूखे मेवे:
सूखे मेवों में मैग्नीशियम और विटामिन ई पाया जाता है अत: अस्थमा के मरीजों के लिए ये अच्छा स्नैक है। मैग्नीशियम के कारण अस्थमा में होने वाली घरघराहट नहीं होती जबकि विटामिन ई आपकी इम्यूनिटी को बढ़ाता है और साथ ही साथ शरीर की मुक्त कणों से रक्षा करता है जो शरीर के ऊतकों को नुकसान पहुंचा कर उनमें सूजन पैदा कर सकते हैं।

साबुत अनाज:
अध्ययनों से पता चला है कि साबुत अनाज के सेवन से बचपन में अस्थमा होने की संभावना 50% तक कम हो जाती है।

दालें:
दालों में कैलोरी और फैट कम होता है और यह अस्थमा के लिए बहुत लाभदायक है। दालों में उच्च मात्रा में फाइबर पाया जाता है जो शरीर में लिपिड्स और कोलेस्ट्रोल को कम करता है। यह श्वसन में एलर्जी पैदा करने वाले बाहरी कणों को रोकता है। दालों में फैट को घोलने वाले कण पाए जाते हैं जो अस्थमा के कारण होने वाले ज़ुकाम और फ्लू के बैक्टीरिया को आने से रोकते हैं।

ऑलिव ऑइल: - ओमेगा-3 फैट:
सर्दिनेस, सालमोन और ट्यूना जैसी मछलियों में तथा पौधों से मिलने वाले कुछ पदार्थों जैसे ऑलिव और अलसी के बीजों में ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है। हालाँकि अभी यह साबित नहीं हुआ है; फिर भी इसे अपने आहार में शामिल करना अच्छा होता है।

नीबू पानी न पीयें:
नीबू में विटामिन सी पाया जाता है और नीबू के रस के कुछ ही गुण अस्थमा के रोगियों के लिए लाभदायक होते हैं। हालाँकि बहुत अधिक मात्रा में नीबू का जूस या नीबू पानी पीने से हार्टबर्न की समस्या हो सकती है। इसके अलावा नीबू में उपस्थित सल्फाइट्स और सल्फेटिंग एजेंट के कारण अस्थमा हो सकता है। अत: ऐसे लोग जिन्हें नीबू से एलर्जी है और उन्हें पहले से ही अस्थमा है तो अच्छा होगा कि आप नीबू पानी न पायें।

वाइन न पीयें:
वाइन में सल्फाइट्स नामक प्रिज़र्वेटिव होते हैं जिसके कारण अस्थमा का अटैक आ सकता है। हालाँकि अस्थमा के रोगियों द्वारा वाइन का सेवन किया जाना चाहिए या नहीं, इस विषय पर थोडा संशय है। इसके परिणाम अभी स्पष्ट नहीं हैं। परन्तु अच्छा होगा कि अस्थमा के मरीज़ इसका सेवन न करें।

दूध की अधिक मात्रा का सेवन न करें:
अस्थमा में दूध के सेवन के विषय पर भी संशय बना हुआ है। दूध विटामिन डी का अच्छा स्त्रोत है और यह वास्तव में यह अस्थमा से आराम दिलाता है। हालाँकि कुछ ऐसे बहे लोग होते हैं जिन्हें दूध से एलर्जी होती है जिसके कारण घरघराहट, कफ़ और श्वसन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। अत: खतरा उठाने से अच्छा है कि बच के रहें। अस्थमा के मरीजों के लिए अच्छा होगा कि वे ध्यान रखें कि उन्हें किन खाद्य पदार्थों से एलर्जी है और उसके अनुसार ही खाद्य पदार्थों का सेवन करें।

अंडो की अधिक मात्रा का सेवन न करें:
अस्थमा का एक अकारण अंडे भी हो सकते हैं। विशेष रूप से अस्थमा से ग्रस्त बच्चों को अंडे या अंडे से बने पदार्थ नहीं देने चाहिए।