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विश्व पर्यावरण दिवस: प्रदूषण से स्वास्थ्य को बुरा खतरा
हर साल 5 जून को पूरे विश्व में वर्ल्ड इन्वॉयरमेंड डे मनाया जाता है। स्कूलों से ले कर कार्यालयों में इस बात की शिक्षा दी जाही है कि हम कैसे अपनी धरती मां की सुरक्षा कर सकते हैं। पर्यावरण प्रदूषण एक ऐसी परेशानी है जिसे हम देख कर भी अंजान नहीं बन सकते। अगर हमने ध्यान नहीं दिया तो एक दिन पर्यावरण में इतना ज्यादा प्रदूषण फैल जाएगा कि वह हमें मार डालेगा।
इस विश्व पर्यावरण दिवस पर हम आप का ध्यान जरुरी चीजों पर खींचना चाहते हैं और बताना चाहते हैं कि प्रदूषण का हमारे स्वास्थ्य पर कितना गहरा असर पड़ सकता है। जी जान से प्यारे पेड़ पौधे: विश्व पर्यावरण दिवस
क्या आप जानते हैं कि प्रदूषण बढ़ने से सांस और स्किन की बीमारियां होने लग गई हैं। अगर हमने विश्व पर्यावरण दिवस के दिन अपने पर्यावरण को बचाने की ना ठानी तो हमारे हवा-पानी को बचाने वाला कोई दूसरा नहीं आएगा।
सिरदर्द और थकान
क्या आप जानते हैं कि सिदर्द और थकान का कारण प्रदूषण भी है? ध्वनि प्रदूषण आपके ब्रेन सेल को डैमेज कर के आपको थकान का एहसास करवा सकता है।
फेफड़े का कैंसर
इन दिनों शहरों में प्रदूषण इतना ज्यादा फैल गया है कि इनका धुंआ हमारे फेफड़ों में जहर भरने लगा है। पहले तो फेफड़े का कैंसर सिगरेट के धुएं से होता था पर अब वायु प्रदूषण से भी होने लगा।
ओवरी में सिस्ट
फल और सब्जियां आज कल हाइब्रिड मिलने लगी हैं, जिसको खाने से महिलाओं की ओवरी में सिस्ट बन जाते हैं, जिससे वे कभी मां नहीं बन पाती।
जहरीले धातुओं का असर
देखा गया है कि वे लोग जो फैक्ट्री के आस-पास घरों में रहते हैं, उन्हें सिलिकॉन और अभ्रक की वजह से कैंसर, त्वचा संबन्धी रोग और खून में जहर फैल जाने की वजह से मरना पड़ता है। यह सब जहरीले धातुओं की वजह से होता है।
ब्रोंकाइटिस
ब्रोंकाइटिस एक फेफड़े और सांस संबन्धि खराबी है जो कि हाई लेवल के प्रदूषण की वजह से होती है।
मेलानोमा
मेलानोमा एक त्वचा कैंसर है जो कि ओजोन लेयर के डायरेक्ट कांटैक्ट में रहने से आती है। हमारी ओजोन लेयर बुरी तरह से फट रही है और इसका कारण प्रदूषण ही है।
पेट की बीमारी
कई समय तक जब आप विषाक्त भोजन और प्रदूषित पानी पीते हैं, तो आपको पेट की बीमारी लग जाती है। हाइब्रिड भोजन जो हम उगा रहे है, उसे खाने से पेट की कई बीमारियां होती हैं।
पागलपन
सड़कों पर इतनी तेज चीखते-चिल्लाते मोटरों की आवजे काफी होती हैं हमें पागल बनाने के लिये। ऊपर से अगर आप तेज आवाज में गाने सुनते हैं तो उससे भी आपके दिमाग पर गहरा असर पड़ता है।
अस्थमा
अस्थमा सांस की बीमारी है और इसका अटैक तब तेज हो जाता है जब आप प्रदूषण के घेरे में पैर रखते हैं। आज कल अस्थमा स्कूल जाते बच्चों को भी होने लग गया है।
जन्म दोष
जब हमारा वास्ता वातावरण में फैले जहरीले तत्वों से पड़ता है तो, यही जहरीले तत्व हमारे साथ हमारे पेट में पल रहे शिशुओं के अंदर भी चला जाता है। यह जहरीले तत्व अब हमारी जीन में बस चुके हैं, जिनसे छुटकारा पाना थोड़ा मुश्किल है।