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शरीर में पानी की कमी से हो सकती है ये बीमारियां

By Super
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कई लोगों को निर्जलीकरण एक बडी समस्या नहीं लगती है क्योंकि वे सोचते हैं कि यह समस्या केवल रगिस्तानी इलाकों में रहने वालों को होती है। जबकि यह सच नहीं है। हमारे शरीर को हर रोज पर्याप्त मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है और जब हम इसकी इस जरूरत को पूरा नहीं करते हैं तब हम डिहाइड्रेशन का शिकार होते हैं।

शोधकर्ताओं का कहना है कि दमकती त्वचा पानी हो या मोटापे पर काबू पाना हो तो, सबसे जरूरी है कि आप भरपूर मात्रा में पानी पिएं। एक व्यक्ति को दिन भर में 8-10 गिलास पानी जरूर पीना चाहिए।

वॉटर थेरेपी ट्रीटमेंट और उसके लाभ

आज कल लोग काफी कम मात्रा में पानी पीने लग गए हैं, जिसके कारण से उन्‍हें कई बीमारियों का शिकार होना पड़ रहा है।

1 थकान एवं ऊर्जा की कमी:

1 थकान एवं ऊर्जा की कमी:

ऊतकों के निर्जलन के कारण एंजाइमी गतिविधियों की रफ्तार धीमी हो जाती है।

2 असामयिक बूढापा:

2 असामयिक बूढापा:

नवजात शिशु का 80 प्रतिशत शरीर पानी से भरा होता है। जैसे बच्चा बडा होने लगता है पानी की संख्या घटती जाती है तथा वयस्क होने तक उसके शरीर में पानी की मात्रा 70 प्रतिशत तक घट जाती है। बूढापे तक यह मात्रा घटती चली जाती है।

3 मोटापा:

3 मोटापा:

पानी से भरे खाद्य पदार्थ की लालसा के कारण हम कुछ व्यंजनो का सेवन अधिक मात्रा में करते हैं। अतः गले को शांत करने के लिए हम पेट को भरते हैं। इस विपरीत कार्य से हमारा वजन बढता है।

4 हाई व लो ब्लड प्रेशर:

4 हाई व लो ब्लड प्रेशर:

पानी की कमी के कारण धमनियों, नसों एवं केशिकाओं को पूरी तरह से भरने के लिए शरीर में रक्त की मात्रा पर्याप्त नहीं रहती है।

5 कोलेस्ट्रॉल:

5 कोलेस्ट्रॉल:

निर्जलीकरण के कारण कोशिकाओं के अंदर मौजूद पानी सूखने लगता है, इस प्रक्रिया को रोकने के लिए हमारा शरीर अधिक मात्रा में कोलेस्ट्रॉल को उत्पन्न करना आरंभ करता है।

6 कब्ज:

6 कब्ज:

जब भोजन पेट में प्रवेश करता है तब उसमें पानी की मात्रा बहुत अधिक होती है। मल के सही निर्माण के लिए पेट की दीवारे अधिक पानी को सोख लेती हैं। परंतु निर्जलीकरण की स्थिति में, शरीर के अन्य भागों को पानी प्रदान करने के लिए पेट में मौजूद पानी का इस्तेमाल किया जाता है जो कब्ज का कारण बन जाता है।

7 पाचन विकार:

7 पाचन विकार:

निर्जलीकरण में, पाचक रसों का स्राव कम होता है।

8 जठरशोथ व पेट का अल्सर :

8 जठरशोथ व पेट का अल्सर :

पेट में उत्पन्न होने वाले पाचन एसिड से श्लेष्मा मेंब्रेन को नष्ट होने से बचाने के लिए पेट श्लेम की एक परत को स्रावित करता है। जिससे आपको जठरशोथ व पेट का अल्सर हो सकता है।

9 श्वसन समस्या:

9 श्वसन समस्या:

हवा में मौजूद नुकसानदायक तत्वों से श्वसन तंत्र को बचाने के लिए श्वसन क्षेत्र का श्लेष्मा मेंब्रेन थोडा सा नम रहता है।

10 एसिड-क्षारीय असंतुलन:

10 एसिड-क्षारीय असंतुलन:

निर्जलन, एंजाइमी की गति को घटता है व अम्लीकरण की गति को बढ़ाता है।

11 एक्जिमा:

11 एक्जिमा:

विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने के लिए आपके शरीर को पर्याप्त मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है। पानी, विषाक्त पदार्थों को पतला करता है ताकि इससे त्वचा को जलन महसूस ना हों।

12 मूत्र संक्रमण:

12 मूत्र संक्रमण:

अगर मूत्र में मौजूद विषाक्त पदार्थ पर्याप्त मात्रा में पतले ना हों तो वे आपके मूत्र श्लेष्मा के मेंब्रेन को हानि पहुंचा सकते हैं।

13 गठिया:

13 गठिया:

असामान्य रूप से निर्जलीकरण, रक्त एवं सेलुलर फ्लोइड में विषाक्त पदार्थों के संग्रहण को बढ़ाता है। इन विषाक्त पदार्थों के संग्रहण से व्यक्ति के शरीर में दर्द उठने लगते हैं।

English summary

Disorders Caused by Lack of Water

Most people don’t think they need to worry about dehydration. This list of 13 symptoms will inspire you to go get a glass of water, and then another, and another…
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